#readerfirst 08 countries of the world where there is no mosque and there is no chance of becoming one
No Mosque Countries : दुनियाभर में 200 से ज्यादा देश हैं. तकरीबन हर देश में मुस्लिम रहते हैं और इन सभी जगहों पर उनकी इबादतगाह यानि मस्जिद भी है लेकिन दुनियाभऱ के 08 देश अपवाद हैं, जो यूरोप, लातीनी अमेरिकी देशों में हैं, एक देश एशिया में भी है, ये देश छोटे भी हैं और बड़े भी. इन देशों में मस्जिद नहीं है और ना ही बनने के आसार हैं.
मोनैको – यूरोप महाद्वीप में एक छोटा सा देश है मोनैको, जो टैक्स फ्री कंट्री होने के साथ अपनी शानदार जीवनशैली और कैसिनो के लिए प्रसिद्ध है. फ़्रांस और इटली के बीच स्थित मोनैको दुनिया का दूसरा सबसे छोटा देश है. यहां दुनिया के किसी भी देश से ज़्यादा प्रतिव्यक्ति करोड़पति हैं. यहां यूं तो सभी धर्मों के लोग रहते हैं लेकिन केवल चर्च हैं और कोई दूसरे धर्मस्थल नहीं. यहां मुस्लिम भी रहते हैं. कुछ शोहरतमंद और दौलतमंद भी. यहां कोई मस्जिद नहीं है. ना ही बनने के कोई आसार
वैटिकन सिटी – वैटिकन शहर यूरोप महाद्वीप में स्थित ऐसा देश है, जो पृथ्वी का सबसे छोटा देश है. इसका क्षेत्रफल केवल 44 हेक्टेयर (108.7 एकड़) है. यह इटली के नगर रोम के भीतर स्थित है. ईसाई धर्म के प्रमुख संप्रदाय रोमन कैथोलिक चर्च का यही केन्द्र है. यहीं इसके सर्वोच्च पंथगुरु पोप का निवास है, यहीं से वो दुनियाभर के कैथोलिक चर्चों का नियंत्रण रखते हैं और उनके लिए नीतियां बनाते हैं वैटिकन सिटी के राजनयिक संबंध दुनिया के सभी देशों से हैं. वैटिकन सिटी में ना तो किसी दूसरे धर्म के लोग रह सकते हैं और ना ही कोई धार्मिक स्थान बना सकते हैं.
उरुग्वे दक्षिण अमेरिका के दक्षिणीपूर्वी हिस्से में स्थित एक देश है. देश में रहने वाली करीबन 35 लाख की आबादी में 11 लाख लोग राजधानी मोंटेवीडियो और उसके महानगरीय क्षेत्र में रहते हैं. देश की 88–94% आबादी यूरोपीय लोगों या मिश्रित वर्ण के लोगों की है. उरुग्वे दक्षिण अमेरिका में सूरीनाम के बाद दूसरा सबसे छोटा देश है.उरुग्वे में राजनीति को पूरी तरह धर्म से अलग रखा जाता है. यहां कई धर्मों के लोग रहते हैं, जिसमें हिंदू और मुस्लिम भी हैं. यहां 1000 के आसपास मुस्लिम रहते हैं. जो ब्राजीली सीमा के करीब शहर चुए में रहते हैं, कुछ मुस्लिम रिवेरा, एर्टिगस और मोंटेवीडियो में रहते हैं. मोंटवीडियो में तीन इस्लामिक सेंटर हैं, कोई मस्जिद नहीं. मुस्लिम इन्हीं केंद्रों में इबादत करते हैं.
साओ टॉम एंड प्रिंसिपी मध्य अफ्रीका को एक बहुत छोटा गणतांत्रिक देश है. यहां पुर्तगाली बोली जाती है. यहां मुस्लिम रहते हैं लेकिन बहुत कम संख्या में. ईसाई बहुतायत में हैं. ये कभी पुर्तगाल का गुलाम देश था. 1970 से पहले तो यहां मुस्लिम थे ही नहीं. बाद में मुस्लिम शरणार्थी यहां आकर बसने लगे, जो पड़ोसी देश नाइजीरिया और कैमरून से आए. तब भी यहां उनकी आबादी 1000 से भी कम है. यहां कोई मस्जिद नहीं. मुस्लिम खुले में कहीं भी नमाज अता करते हैं
इस्तोनिया में मुस्लिम आबादी बहुत कम है. वर्ष 2011 जनगणना के अनुसार वहां तब 1508 मुस्लिम रहते थे, यानि वहां की आबादी का केवल 0.14 फीसदी हिस्सा. हालांकि निश्चित तौर पर अब तक इसमें बढोतरी हुई होगी लेकिन अब ये संख्या बहुत कम है. यहां कोई मस्जिद नहीं है. अलबत्ता एक इस्लामिक कल्चर सेंटर जरूर है, जहां आमतौर पर मुस्लिम नमाज के लिए इकट्ठा होते हैं. यहां आमतौर पर सुन्नी तातार और शिया अजेरी मुस्लिम रहते हैं, जो कभी रूसी सेना में नौकरी किया करते थे.
स्लोवाकिया में 2010 में यहां मुस्लिमों की आबादी 5000 के आसपास थी. वो देश की कुल आबादी का 0.1 फीसदी थे. यहां जो मुस्लिम 17वीं सदी के आसपास आए वो तुर्क और उइगर थे, जो स्लोवाकिया के मध्य और दक्षिण हिस्से में बस गए. कभी ये देश यूगोस्लाविया कहलाता था. उसके बाद ये जब टूटा तो स्लोवाकिया अलग देश बन गया. यूगोस्लाविया टूटने से बने अन्य देशों बोस्निया और अल्बानिया से भी तमाम मुस्लिम यहां शरणार्थी के रूप में पहुंचे. यहां की राजधानी ब्रातिसिओवा है. यहां एशियाई मुल्कों से आए अऩ्य मुस्लिम भी रहते हैं.
यहां कोई मस्जिद नहीं है. इसे लेकर विवाद भी होता रहा है. वर्ष 2000 में स्लोवाकिया की राजधानी में इस्लामिक सेंटर बनाने पर बहुत विवाद हुआ. ब्रातिसिओवा के मेयर ने स्लोवाक इस्लामिक वक्फ फाउंडेशन के ऐसे किसी भी प्रस्ताव को खारिज कर दिया.30 नवंबर 2016 को स्लोवाकिया ने एक कानून पास करके इस्लाम को आधिकारिक धर्म का दर्जा देने पर रोक लगा दी यानि कि इस्लाम को स्लोवाकिया में एक धर्म के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा
सान मैरीनो दुनिया का पांचवां छोटा देश है. ये इटली के करीब दक्षिणी यूरोप में है. ये केवल 61 वर्ग किलोमीटर में बसा है और आबादी है महज 33,562.यहां की 95 फीसदी आबादी कैथोलिक ईसाइयों की है. यहां यहूदी भी रहते हैं.यहां एक भी मुस्लिम नहीं है, लिहाजा मस्जिद होने का तो सवाल ही नहीं होता
भूटान में कुल मुसलमानों की संख्या 5000 से 7000 के आसपास है. लंबे समय से वो वहां पर मस्जिद बनाने की मांग करते रहते हैं लेकिन आधिकारिक तौर पर वहां कोई मस्जिद नहीं है, ना सरकार ने इसकी अनुमति दी है. इसी तरह से ईसाई धर्म भी वहां लंबे समय से है लेकिन भूटान सरकार ने उन्हें कभी भी चर्च बनाने की अनुमति नहीं दी