- राजनीति में महिलाओं की स्थिति भी पुरुषों के समान हो, इसकी मांग 1931 में ही उठी थी
- 1947 में देश आजाद हुआ तो संविधानसभा में भी महिला आरक्षण को लेकर बहसें हुईं
- 1993 में दो संविधान संशोधनों के जरिए पंचायतों और निकायों में महिला आरक्षण की व्यवस्था हुई
- हालांकि संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की मांग बरकरार है
Women Reservation Bill News: केंद्र सरकार की तरफ से संसद में महिला आरक्षण बिल लाया जा सकता है. सोमवार से संसद के विशेष सत्र की शुरुआत हुई है. ऐसे में बुधवार को महिला आरक्षण बिल को लोकसभा में पेश किया जा सकता है. सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है. इस बिल के आसानी से पारित होने की उम्मीद भी नजर आ रही है, क्योंकि बिल को लेकर विपक्षी नेताओं ने भी सहमति जताई है. विपक्ष की तरफ से इस बिल को लेकर जोरदार हिमायत की गई है.
दरअसल, सोमवार से शुरू हुए सत्र से ठीक एक दिन पहले सरकार ने सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया. इसमें विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. समेत एनडीए के नेताओं ने हिस्सा लिया. इस दौरान महिला आरक्षण बिल को लेकर चर्चा हुई, जिसे पास कराने को लेकर न सिर्फ इंडिया नेताओं ने हामी भरी, बल्कि एनडीए नेता भी इसके समर्थन में नजर आए. इससे ही साफ हो गया था कि इस बिल को बेहद ही आसानी से संसद से पास करवाया जा सकेगा.
महिला आरक्षण बिल पर क्या कहा गया?
महिला आरक्षण से संबंधित मांगों के बारे में पूछे जाने पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसे ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि सर्वदलीय बैठकों के दौरान पार्टियां अलग-अलग मांगें करती हैं. उन्होंने कहा कि उपयुक्त समय पर इस संबंध में फैसला लिया जाएगा.
इसी तरह का एक विधेयक 2010 में राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था, जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान था. हालांकि, यह संसद के निचले सदन में पारित नहीं हो सका और लोकसभा के भंग होने के साथ ही यह स्वत: रद्द हो गया.
संसद में महिलाओं का वर्तमान प्रतिनिधित्व
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल 82 महिलाएं जीत दर्ज कर संसद पहुंची थीं। तब बीजेपी को अकेले 303 सीटें मिलीं और उसने केंद्र की सत्ता में दमदार वापसी कर ली। लोकसभा की 538 सीटों में 82 महिलाएं होने का मतलब है कि उनकी भागीदारी 15.2 प्रतिशत रही। राष्ट्रीय संसदों से आंकड़े जुटाने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था आईपीयू पार्लिने (IPU Parline) के मुताबिक, राज्यसभा के 238 निर्वाचित सांसदों में से 33 महिलाएं हैं। इस तरह, भारतीय संसद के उच्च सदन में महिलाओं की भागीदारी 13.9 प्रतिशत है।