Supreme Court reprimands Kejriwal government, I will stop your advertising budget, will attach it and bring it here…’ Know why the Supreme Court got angry.
दिल्ली में हर साल सर्दियों के दिनों में होने वाली वायु प्रदूषण की समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं डाली गई हैं, जिसकी आज सुनवाई हुई।
शुरुआत में अदालत ने पंजाब में जलने वाली पराली की समस्या पर सुनवाई की और उसके बाद दिल्ली सरकार को आरआरटीएस प्रोजेक्ट के लिए पैसा न देने को लेकर लताड़ लगाई और ये भी कहा कि आप का विज्ञापन बजट रोक देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल सरकार को कड़े शब्दों में फटकार लगाई और यहां तक कहा कि उनके विज्ञापन का पैसा प्रॉजेक्ट में लगा दिया जाए. सर्वोच्च अदालत ने आम आदमी पार्टी की सरकार को एक सप्ताह की मोहलत दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले जुलाई में भी केजरीवाल सरकार से नाराजगी जाहिर की थी और प्रॉजेक्ट के लिए पैसा जारी करने को कहा था. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘दिल्ली सरकार ने इस कोर्ट के आदेश का पालन क्यों नहीं किया? हम आपके (दिल्ली सरकार) विज्ञापन बजट पर स्टे लगा देंगे. हम इसे अटैच कर देंगे और यहां लगाएंगे.’
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा दिए गए आश्वासनों का “घोर उल्लंघन” हुआ।
पीठ ने कहा कि अप्रैल में उन्होंने विशेष रूप से दिल्ली सरकार द्वारा देय शेष राशि (415 करोड़ रुपये) का उल्लेख किया और सरकार को राशि का शीघ्र भुगतान करने का निर्देश दिया। पीठ ने आरआरटीएस प्रोजेक्ट के महत्व को भी रेखांकित करते हुए कहा कि इसका प्रदूषण कम करने पर प्रभाव पड़ता है। पीठ ने आगे कहा कि पिछले तीन वर्षों में विज्ञापनों के लिए बजटीय आवंटन लगभग 1100 करोड़ रुपये है और इस वित्तीय वर्ष के लिए 550 करोड़ रुपये है।
NCRTC ने दायर की दिल्ली सरकार के खिलाफ याचिका
दिल्ली सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश हुईं वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने एक हफ्ते का समय मांगा। इसके बाद कोर्ट ने मामले को एक हफ्ते बाद के लिए सूचीबद्ध कर दिया और कहा कि अगर फंड आवंटित नहीं किया गया तो उनका आदेश लागू हो जाएगा। बता दें कि नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉपरेशन (NCRTC) ने दिल्ली सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें दिल्ली सरकार पर समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया है। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार की खिंचाई की।