Keeping the phone near the head can cause cancer, brain tumor, stress and depression. Do you also have the habit of sleeping with the mobile phone on, then know its serious consequences
इन दिनों मोबाइल फोन तेजी से हमारी दिनचर्या का हिस्सा बनता जा रहा है। बच्चों से लेकर बड़े तक, आजकल हर कोई अपना ज्यादातर समय मोबाइल फोन पर गुजार रहा है। ऑफिस का काम हो या स्कूल का असाइनमेंट हर कोई अपने काम के लिए मोबाइल का इस्तेमाल कर रहा है। इसके अलावा कई लोग खाली समय में अक्सर स्क्रीन स्क्रॉल करते हुए अपना वक्त बिताते हैं। खासकर रात को सोते समय कई लोगों की मोबाइल चलाने की आदत होती है। इतना ही नहीं मोबाइल चलाने के बाद या तो लोग तकिए के नीचे सिरहाने पर ही मोबाइल रख कर सो जाते हैं या फिर इसका इस्तेमाल करते-करते अचानक उन्हें नींद आ जाती है।

ऐसे में सिरहाने पर फोन रखकर सोने से हमारी सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इसकी वजह से न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी काफी प्रभावित होता है। अगर आपकी उन्हीं लोगों में से हैं, जो रात में सोते समय तकिए के नीचे सिरहाने पर मोबाइल रखकर सोते हैं, तो तुरंत ही अपनी इस आदत में सुधार कर लें। आज इस आर्टिकल में हम आपको इससे होने वाले कुछ ऐसे नुकसान बताने जा रहे हैं, जिससे आपके होश उड़ जाएंगे।
फोन को सिर के पास रखने के कारण ब्रेन ट्यूमर की समस्या होती है.
मोबाइल से कैंसर का खतरा बढ़ता है?
Fact Check: हम ऐसे दौर में जी रहे हैं जब हमारा मोबाइल फोन हमें खुद का ही एक हिस्सा लगता है. ऐसे में इसकी सुरक्षा के बारे में सवालों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. एक चिंता यह है कि क्या मोबाइल फोन को शारीरिक रूप से अपने पास रखने से खास तौर पर सोते समय, ब्रेन ट्यूमर का जोखिम बढ़ जाता है? अंतर्राष्ट्रीय ब्रेन ट्यूमर अवेयरनेस ग्रुप के मुताबिक साउथ फर्स्ट ने इस बारे में विशेषज्ञों से बात की.
कई रिसर्च में यह बात साबित हुई है कि मोबाइल फोन के कारण कई सारे हेल्थ इश्यू होते हैं. साथ ही साथ यह भी कही गई कि कई सारी स्वास्थ्य जोखिमों का खतरा बढ़ता है. जबकि कुछ रिसर्च में फोन के इस्तेमाल और ब्रेन ट्यूमर के बीच संभावित संबंध का सुझाव दिया गया है.
डॉक्टर कुमार बताते हैं कि मोबाइल फोन रेडियोफ्रीक्वेंसी (आरएफ) एक खास तरह के रे निकालती हैं. जो एक प्रकार का गैर-आयनीकरण विकिरण है. एक्स-रे के आयनीकरण विकिरण के विपरीत, जो डीएनए को नुकसान पहुंचा सकता है और संभावित रूप से कैंसर का कारण बन सकता है. गैर-आयनीकरण विकिरण ट्यूमर बनाती है इसका कोई प्रमाण नहीं मिले हैं. मेनिंगियोमा जैसे सौम्य ट्यूमर और ग्लियोमा जैसे कैंसर वाले ट्यूमर दोनों को देखा है. रिसर्च में यह पता चला कि इसके कोई सबूत नहीं है. कुछ अध्ययनों ने कैंसर के जोखिम में मामूली जोखिम देखी गई है लेकिन इसके पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं.
यहां आपको यह भी बता दें कि मोबाइल रैडिएशन को लेकर हुए कई अध्ययनों में भी कहा गया है कि इससे तमाम दिक्कतें हो सकती हैं, जिनमें प्रमुख हैं- सिरदर्द, सिर में झनझनाहट, लगातार थकान महसूस करना, चक्कर आना, डिप्रेशन, नींद न आना, आंखों में ड्राइनेस, काम में ध्यान न लगना, कानों का बजना, सुनने में कमी, याददाश्त में कमी, पाचन में गड़बड़ी, अनियमित धड़कन, जोड़ों में दर्द आदि।
नींद की समस्या या इंसोमनिया
मोबाइल फोन से निकलने वाली नीली रोशनी (Blue Lights) मेलाटोनिन के उत्पादन में बाधा डाल सकती है। मेलाटोनिन एक हार्मोन है, जो नींद को नियंत्रित करने में मदद करता है। ऐसे में इसके प्रोडक्शन में होने वाली रुकावट की वजह से नींद आना और सोना कठिन हो सकता है।
प्रजनन क्षमता में कमी
कुछ अध्ययनों से यह भी पता चला है कि मोबाइल फोन से निकरने वाली रेडियोफ्रीक्वेंसी रेडिएशन के संपर्क में आने से पुरुषों में शुक्राणु (स्पर्म) की गुणवत्ता कम हो सकती है, जो प्रजनन क्षमता में कमी का कारण बन सकती है।
तनाव और डिप्रेशन
अगर रात में सोते समय मोबाइल आपके तकिए के नीचे या सिरहाने पर रखा है, तो इससे तनाव और डिप्रेशन का स्तर भी बढ़ सकता है। दरअसल, मोबाइल के इस्तेमाल सेे शरीर में कोर्टिजोन नामक स्ट्रेस हार्मोन का लेवल बढ़ता है और आप नींद में भी तनाव में रहते हैं।
कितनी दूर रखकर सोएं मोबाइल
वैसे तो इस बारे में कोई लिखित स्टैंडर्ड या पैमाना नहीं है, लेकिन मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन से बचने के लिए इसे सोते समय खुद से दूर रखना ही बेहतर होगा. ठीक तो यही रहेगा कि आप अपने बेडरूम में मोबाइल रखें ही न. लेकिन, अगर ऐसा संभव नहीं है तो सोते समय कम से कम 3 फीट की दूरी पर आपका मोबाइल होना चाहिए. ऐसा करने से मोबाइल से निकलने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक की ताकत काफी कम हो जाती है और आप पर रेडिएशन का जोखिम भी नहीं रहता. लिहाजा आप अपने तकिए के नीचे फोन रखकर तो कतई न सोएं.