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अब मजदूर का बच्चा मजदूर नहीं रहेगा, श्रम विभाग द्वारा किए जा रहे विशेष प्रयास

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Now a labourer’s child will no longer be a labourer, special efforts are being made by the Labour Department

रायपुर / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा श्रमिकों एवं उनके परिजनों की बेहतरी के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही है। इन योजनाओं के माध्यम से श्रमिकों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए लगातार आर्थिक मदद दी जा रही है। श्रम विभाग के तीनों मंडल – छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार मंडल, छ.ग. असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल एवं छ.ग. श्रम कल्याण मंडल के माध्यम से योजनाओं का सफल क्रियान्वयन हो रहा है। इसी का परिणाम है कि बीते सवा साल में श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लगभग 500 करोड़ रूपए डीबीटी के माध्यम से उनके खाते में अंतरित किए जा चुके हैं।
प्रदेश के श्रम मंत्री श्री लखनलाल देवांगन का कहना है कि प्रदेश में विष्णु देव सरकार के सुशासन में अब मजदूर का बच्चा मजदूर नहीं रहेगा। श्रम विभाग द्वारा श्रमिकों के हितों में अनेक कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही है। इनमें प्रमुख रूप से मुख्यमंत्री नौनिहाल छात्रवृत्ति योजना, मिनीमाता महतारी जतन योजना, मुख्यमंत्री श्रमिक औजार किट योजना, मुख्यमंत्री नोनी बाबू मेधावी शिक्षा प्रोत्साहन योजना, निर्माण श्रमिकों के बच्चों हेतु निःशुल्क गणवेश एवं पुस्तक कॉपी हेतु सहायता राशि योजना, निर्माण श्रमिकों के बच्चों हेतु उत्कृष्ट खेल प्रोत्साहन योजना, मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक आवास सहायता योजना, शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना संचालित की जा रही है। प्रदेश के श्रम मंत्री श्री देवांगन का कहना है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सोच है कि हर हाथ को काम इस दिशा में प्रदेश के वाणिज्य उद्योग एवं श्रम विभाग द्वारा हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। श्रम विभाग के लिए चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में 255 करोड़ 31 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है।

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मजदूर दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है। 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस या श्रमिक दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य मजदूरों के अधिकारों, सामाजिक न्याय और बेहतर कामकाजी परिस्थितियों के लिए संकल्प लेना है। यह दिन श्रमिकों के योगदान को याद करने और उनके संघर्षों को सम्मानित करने के लिए भी मनाया जाता है। यह दिवस वर्ष 1886 में शिकागो के हेमार्केट स्क्वायर में मजदूरों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की याद में मनाया जाता है, जहां अनेक श्रमिकों ने 8 घंटे के कार्य दिवस की मांग की थी। सन् 1889 में, द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में घोषित किया था। इस दिन को मनाने का उद्देश्य मजदूरों के अधिकारों को सुनिश्चित करना, सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना और बेहतर कामकाजी परिस्थितियों के लिए आवाज बुलंद करना है। भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1923 में चेन्नई (मद्रास) से हुई थी। भारतीय संविधान निर्माण सभा के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर ने श्रमिकों के काम का समय 12 घंटे से घटाकर 8 घंटे किया। इसके अलावा उन्होंने महिलाओं को प्रसूति अवकाश की सुविधा उपलब्ध कराई।

श्रम विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल के अंतर्गत अटल श्रम सशक्तिकरण योजना के लिए वर्ष 2025-26 के बजट में 125 करोड़ 10 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। इसी तरह वर्ष 2025-26 में पंजीकृत 2 लाख 26 हजार संगठित श्रमिकों के लिए राज्य शासन के अनुदान हेतु 6 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। श्रम मंत्री श्री लखनलाल देवांगन का कहना है कि विष्णु देव सरकार की सोच है कि हर हाथ को काम मिले उसका उचित दाम मिले और हर पेट को अन्न मिले यह हमारी सरकार की आदर्श नीति है। इस नीति को क्रियान्वित करने हेतु राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री द्वारा शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना प्रदेश के सभी जिलों में प्रारंभ करने की घोषणा की गई है, जिसके परिपालन में इस वर्ष 13 जिलों में 31 भोजन केंद्र प्रारंभ किए जा चुके हैं। जिसका विस्तार चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में समस्त जिलों में किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा असंगठित क्षेत्र के कर्मकारों एवं निर्माण श्रमिकों के पंजीयन हेतु विकासखण्ड स्तर पर मोबाईल कैम्प लगाए जाने की पहल विभाग द्वारा की गई है। अब तक 4 हजार 705 मोबाईल कैम्प लगाए जा चुके हैं।

औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा हेतु चालू वित्तीय वर्ष में 6 करोड़ 24 लाख 25 हजार रूपए का बजट प्रावधान किया गया है। श्रम विभाग के अंतर्गत कर्मचारी राज्य बीमा सेवाएं का मुख्य दायित्व श्रमिकों एवं उनके परिवार के सदस्यों को भी चिकित्सा हित लाभ उपलब्ध कराया जाता है। कर्मचारी राज्य बीमा सेवाएं के लिए 64 करोड़ 18 लाख रूपए का प्रावधान राज्य सरकार द्वारा किया गया है।

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