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महिलाओं की सुरक्षा व गरिमा के लिए महिला समन्वय रायगढ़ की बड़ी पहल

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रेस्टोरेंट, पार्लर, जिम, टेलरिंग और टैटू स्टूडियो में महिलाओं को मिले प्राथमिकता

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मातृशक्ति को स्वावलंबन और सुरक्षित कार्य वातावरण देने दिशा में क्रांतिकारी सुझाव

शासन-प्रशासन और समाज से की गई सक्रिय भागीदारी की अपील

रायगढ़ |
देश और प्रदेश में महिलाओं के विरुद्ध बढ़ती असहज घटनाओं और अपराधों को ध्यान में रखते हुए महिला समन्वय रायगढ़ ने एक सशक्त और संवेदनशील पहल की है। संगठन की सहयोजिका स्नेहा तिवारी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में न केवल महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा पर चिंता जताई गई है, बल्कि ठोस दिशा-निर्देशों की मांग भी की गई है जो न केवल रायगढ़ बल्कि पूरे देश में एक मिसाल बन सकते हैं।

महिलाओं की असहजता की जड़: पुरुषों द्वारा महिलाओं से जुड़े कार्य!
प्रेस विज्ञप्ति में यह बताया गया है कि वर्तमान में कई संस्थानों और सेवाओं में पुरुषों द्वारा महिलाओं से जुड़े कार्य — जैसे मेहंदी लगाना, साड़ी पहनाना, टैटू बनाना, वस्त्रों की नाप लेना आदि — किए जा रहे हैं, जिससे महिलाएं असहज और कई बार असुरक्षित भी महसूस करती हैं।

प्रमुख मांगें और सुझाव:
1. मेहंदी लगाने पर पुरुषों पर रोक
सभी दुकानों को निर्देशित किया जाए कि मेहंदी लगाने का कार्य केवल महिलाएं और युवतियां करें।

2. महिला वस्त्रालय और टेलरिंग में पुरुषों की भूमिका समाप्त हो
साड़ियों का प्रदर्शन और अंगवस्त्रों की नाप का कार्य सिर्फ महिला कर्मचारियों द्वारा किया जाए।

3. पार्लर, जिम, योग: महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था
एक ही छत के नीचे चलने वाले जिम और पार्लर में महिलाएं असहज महसूस करती हैं, इसलिए अलग महिला सेक्शन और महिला प्रशिक्षकों की अनिवार्यता हो।

4. होटलों में महिला स्टाफ के कार्य समय निर्धारित हों
देर रात तक कार्यरत महिला कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कार्य समय तय किया जाए और समय पर घर भेजने की जिम्मेदारी होटलों की हो।

5. होटल-बार में महिलाओं की नियुक्ति न हो
शराब परोसने के काम से महिलाओं को पूरी तरह दूर रखने की मांग की गई है।

6. मेकअप और टैटू की सेवाएं महिला कर्मचारियों से हों
शादी-ब्याह में मेकअप और टैटू बनवाने जैसी सेवाएं सिर्फ महिलाएं ही दें।

7. महिलाओं के निजी कार्यक्रमों में पुरुष स्टाफ न हों
महिला कार्यक्रमों में केवल महिला कर्मचारी ही व्यवस्था देखें।

8. खेल और कोचिंग सेंटर में प्राथमिकता महिला कोच और शिक्षकों को
जहां पुरुष कोच हों, वहां सीसीटीवी कैमरे और शिकायत पेटी अनिवार्य की जाए।

महिलाओं को मिलेगा सुरक्षित कार्यस्थल और रोजगार के नए अवसर

महिला समन्वय रायगढ़ का मानना है कि इन दिशा-निर्देशों को लागू करने से महिलाओं को न केवल एक सुरक्षित और गरिमामय वातावरण मिलेगा, बल्कि स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में भी नए रास्ते खुलेंगे।

स्नेहा तिवारी ने बताया कि “यह केवल सुरक्षा का मामला नहीं, बल्कि महिलाओं के सम्मान और आत्मनिर्भरता की लड़ाई है। समाज, प्रशासन और सभी संगठनों से अपील है कि वे इस पहल में सक्रिय भागीदार बनें।”

महिला समन्वय रायगढ़ की यह पहल महिलाओं के लिए एक संरक्षित और सम्मानजनक वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम हो सकती है। यदि शासन-प्रशासन इसपर गंभीरता से अमल करे, तो यह न केवल रायगढ़ बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा बन सकती है।

समाज की सोच बदलेगी, तभी बदलेगा देश की दिशा।

महिलाओं की सुरक्षा के लिए अब सिर्फ बातें नहीं, ठोस कार्यवाही जरूरी।

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