केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर मंगलवार (8 अगस्त) से चर्चा होगी. लोकसभा की सदस्यता बहाल होने के बाद राहुल गांधी की संसद में वापसी हो गई है और वह इस पर बहस शुरू कर सकते हैं. तीन दिन में 16 घंटे अविश्वास प्रस्ताव को लेकर चर्चा की जाएगी और प्रधानमंत्री मोदी 10 अगस्त को इस पर जवाब दे सकते हैं.
मणिपुर मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई और तेलंगाना की सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति के नामा नागेश्वर राव ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है. हालांकि, नंबर गेम के लिहाज से सरकार को इससे कोई खतरा नहीं है. यह दूसरी बार है जब पीएम मोदी की सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रही है. पिछले कार्यकाल में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी, जिसके खिलाफ 325 वोट पड़े थे, जबकि पक्ष में 126 वोट पड़े थे. आइए अब जानते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव होता क्या है, जिसकी इतनी चर्चा हो रही है
अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है?
किसी खास मुद्दे पर विपक्ष की नाराजगी होती है जैसा इस बार मणिपुर को लेकर है. उस मुद्दे को लेकर लोकसभा का सांसद नोटिस देता है. जैसा इस बार कांग्रेस के गौरव गोगोई ने दिया. नोटिस के बाद लोकसभा स्पीकर उसे सदन में पढ़ते हैं. इस बार भी ऐसा ही हुआ. फिर उस नोटिस को अगर 50 सांसदों का समर्थन मिलता है तो बहस होती है. गौरव गोगोई ने जो नोटिस दिया उसे पचांस सांसदों ने समर्थन दिया अब उस पर बहस होगी और बहस के बाद वोटिंग भी होगी. बहस में विपक्ष की ओर से आरोप लगाए जाएंगे और सरकार की ओर से उन आरोपों का जवाब दिया जाएगा. बहस के बाद वोटिंग होगी.
अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कितने सांसदों की जरूरत होती है?
उत्तर- सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को नियम 198 के तहत लोकसभा में पेश किया जा सकता है. इस अविश्वास प्रस्ताव को पेश करने के लिए ही करने के लिए ही करीब 50 विपक्षी सांसदों का समर्थन होना जरूरी है. लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव एक अहम कदम माना जाता है. अगर संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाए और सदन के 51% सांसद अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करते हैं, तो यह पारित हो जाता है और माना जाता है कि सरकार ने बहुमत खो दिया है और उसे पद से इस्तीफा देना होगा. सरकार को या तो विश्वास मत लाकर सदन में अपना बहुमत साबित करना होता है या विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद सरकार से बहुमत साबित करने के लिए कह सकता है.
अविश्वास प्रस्ताव पर कितनी देर बहस होती है? कौन-कितनी देर बोलेगा ये कैसे तय होता है?
अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में कितनी देर बहस होगी, इसका कोई फिक्स नियम नहीं है। अलग-अलग मामलों में ये समय बदलता रहता है। लोकसभा स्पीकर इसे तय करते हैं। जैसे- 1963 में नेहरू सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया तो 40 घंटे तक बहस चली थी। वहीं 2018 में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर महज 12 घंटे बहस हुई थी।
कौन सा सांसद कितनी देर बोलेगा, ये लोकसभा स्पीकर तय करते हैं। आमतौर पर लोकसभा में जिस पार्टी के सांसद ज्यादा होते हैं, उन्हें ज्यादा वक्त दिया जाता है। जिस पार्टी के कम सांसद होते हैं, उन्हें कम वक्त दिया जाता है। सरकार को आरोपों पर जवाब देने का पूरा समय दिया जाता है।
अब तक कितनी बार अविश्वास प्रस्ताव पेश हुए। उसमें से कितनी बार सफल हुए और सरकार गिर गई?
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत के इतिहास में अब तक 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाए गए, लेकिन ये कभी सफल नहीं रहे। सिर्फ एक बार ऐसा हुआ है कि मोरारजी देसाई के पास बहुमत नहीं था, तो उन्होंने वोटिंग से पहले ही इस्तीफा दे दिया।
मोरारजी देसाई वाले मामले को छोड़ दें, तो अब तक 27 बार पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव सरकार गिराने में कभी सफल नहीं रहे। ये बात प्रस्ताव पेश करने वाले भी जानते हैं। इसके बावजूद अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का मकसद सरकार की कमियों को संसद के सामने ऑन रिकॉर्ड रखना होता है। इसे देश की जनता भी देखती है। विपक्ष के आरोपों पर प्रधानमंत्री को जवाब भी देना पड़ता है। इस बार पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव का मकसद भी यही मालूम होता है।
NDA और INDIA के पास कितनी ताकत
लोकसभा में कुल 538 सीटें हैं, बहुमत का आंकड़ा 270 है, जबकि अकेली बीजेपी के पास 301 सीटें हैं, उसके सहयोगियों की सीटों की संख्या 30 है. शिवसेना (शिंदे गुट) जो कि एनडीए में शामिल हैं, जिसके पास 12 लोकसभा सीटें हैं. एलजेपी के पास 6 सीटें हैं, अपना दल (S) के पास 2, एनसीपी के (अजित गुट) के पास 1 सांसद है, आजसू के पास 1 और AIADMK 1 सीट है. इसके अलावा मिजो नेशनल फ्रंट 1, नागा पीपुल्स फ्रंट 1, नेशनल पीपुल्स पार्टी 1, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी- 1, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के पास 1 सीट है. इसके अलावा दो निर्दलीय भी एनडीए में शामिल हैं. इस तरह एनडीए के सहयोगियों का कुल आंकड़ा 30 बनता है और इसमें बीजेपी की 301 सीटों को जोड़ दिया जाए तो एनडीए के पास संख्या बल 331 हो जाता है.
अब कांग्रेस के नेतृत्व वाले INDIA की ताकत के बारे में जाते हैं:
कांग्रेस के पास 50 लोकसभा सीट हैं, डीएमके 24, टीएमसी 23, जेडीयू 16, सीपीएम 3, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग 3, नेशनल कॉन्फ्रेंस 3, सपा 3, सीपीआई 2, आम आदमी पार्टी 1, जेएमएम 1, केरल कांग्रेस 1, आरएसपी (रेवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी 1), वीसीके 1, शिवसेना (उद्धव गुट) 7, एनसीपी (पवार गुट), 4 और निर्दलीय 1. इस तरह INDIA के पास 144 सीटें हैं.
अब एक नजर उन दलों पर डालते हैं जो न एनडीए में हैं और न ही INDIA में:
जगन रेड्डी की पार्टी वाईआरएस के पास 22 लोकसभा सीटें, बीजेडी के पास 12 लोकसभा सीटें हैं, बीएसपी के पास 9, टीडीपी 3, अकाली दल 2, एआईयूडीएफ 1, जेडीएस 1, आरलएपी 1, अकाली दल (सिमरजीत सिंह मान) 1, एआईएमआईएम 2, टीआरएस के पास 9 सीटें हैं. इस तरह एनडीए और INDIA से अलग दलों के पास 63 सीटें हैं.