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Reading: राजद्रोह कानून खत्म, लव जिहाद अपराध की श्रेणी में,नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को फांसी, अमित शाह ने अंग्रेजों के कानून बदलने के लिए 3 बिल किए पेश; पढ़ें क्या होगा असर
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राजद्रोह कानून खत्म, लव जिहाद अपराध की श्रेणी में,नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को फांसी, अमित शाह ने अंग्रेजों के कानून बदलने के लिए 3 बिल किए पेश; पढ़ें क्या होगा असर

readersfirstcg@gmail.com
Last updated: 2023/08/11 at 10:05 AM
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  • केंद्र सरकार अंग्रेजों के जमाने के कुछ कानूनों में संशोधन करने जा रही है। इसके लिए सरकार दंड प्रक्रिया संहिता संशोधन विधेयक 2023 लाएगी।
  • इसकी जानकारी लोकसभा में देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘आज मैं जो तीन विधेयक एक साथ लेकर आया हूं, वे सभी पीएम मोदी के पांच प्रणों में से एक को पूरा करने वाले हैं।
  • इन तीन विधेयक में एक है इंडियन पीनल कोड, एक है क्रिमिनल प्रोसीजर कोड, तीसरा है इंडियन एविडेंस कोड।
  • इंडियन पीनल कोड 1860 की जगह, अब ‘भारतीय न्याय संहिता 2023’ होगा। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023’ प्रस्थापित होगा।
  • और इंडियन एविडेंट एक्ट, 1872 की जगह ‘भारतीय साक्ष्य अधिनियम’ प्रस्थापित होगा।’

 

Contents
अमित शाह ने बताया, ये होंगे बड़े बदलावरेप पीड़िता की पहचान उजागर करने पर सजामहिला की निजी तस्वीरें वायरल करने पर होगी सजा सरकार ने 2020 में बनाई थी कमेटी

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार का लक्ष्य न्याय सुनिश्चित करना है, सजा देना नहीं. उन्होंने कहा, जिन कानूनों को निरस्त किया जाएगा, उन कानूनों का फोकस ब्रिटिश प्रशासन की रक्षा करना था और उन्हें मजबूती देना था. उन कानून में दंड देने का विचार था, न्याय देना नहीं. अब नए तीनों कानून भारतीय नागरिक के अधिकारों की रक्षा करेंगे.उन्होंने कहा, भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 को आगे की जांच के लिए संसदीय पैनल के पास भेजा जाएगा. अमित शाह ने कहा, नए कानून में हमारा लक्ष्य सजा देना नहीं है, बल्कि न्याय दिलाना होगा. शाह ने कहा, प्रधानमंत्री जी ने गत 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से देश के सामने 5 प्रण रखे थे. उनमें से एक प्रण था कि हम गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त कर देंगे. आज मैं जो 3 विधेयक लेकर आया हूं, वो तीनों विधेयक मोदी जी द्वारा लिए गए प्रण में से एक प्रण को पूरा कर रहे हैं.

 

 

अमित शाह ने बताया, ये होंगे बड़े बदलाव

  1. इस ब‍िल के सबसे पहले चैप्‍टर में मह‍िलाओं और बच्‍चों के साथ अपराध को रखा गया है. दूसरा चैप्‍टर मानव वध और मानव शरीर के ख‍िलाफ अपराध को लेकर है.
  2. इतना ही नहीं यौन उत्‍पीड़न की पीड़‍िता के बयान की वीडियो र‍िकॉर्ड‍िंग करानी अनिवार्य होगी. 90 दिन में उसकी स्‍टेटस र‍िपोर्ट भेजनी होगी. इतना ही नहीं 7 साल से अधिक सजा के प्रावधान वाले केसों में पीड़‍िता को सुने ब‍िना उस केस को खत्‍म नहीं किया जा सकेगा.
  3. अब जीरो एफआईआर को मजबूत किया जाएगा और कोई भी शख्‍स कहीं से भी जीरो एफआईआर करा सकता है. अपराध की रिपोर्ट को 15 दिन में संबंधित थाने को भेजना होगा. इस ब‍िल के मुताब‍िक, 90 दिन में आरोप की चार्जशीट फाइल करनी होगी. सिविल सर्वेंट के ख‍िलाफ पुलिस को चार्जशीट के लिए अनुमति लेनी होगी.
  4. किसी को अगर पुल‍िस ह‍िरासत में लेती है तो उस शख्‍स के पर‍िवारवालों को ऑनलाइन और कागजी रूप में सूचना देना अन‍िवार्य होगा.
  5. दाऊद इब्राहिम जैसे भगोड़े अपराधी की अनुपस्थिति में ट्रायल होगा और सजा भी दी जाएगी.
  6. मौत की सजा वाले अपराध‍ियों को आजीवन में बदलाव हो सकता है, लेकिन ऐसे अपराध‍ियों को किसी भी तरह छोड़ा नहीं जाएगा.
  7. राजद्रोह को कमप्लीट खत्म किया जा रहा. पहली बार टेररिज्म की व्याख्या और संपति को जब्त किया जाएगा. कोर्ट ऑर्डर करेगा पुलिस नहीं करेगी.
  8. बलात्कार पर 20 साल की कैद का प्रावधान और 18 साल की कम उम्र की बच्ची से बलात्कार पर मृत्युदंड की सजा का प्रावधान है.
  9. अब सर्च और जब्‍ती के दौरान वीडियो रिकॉर्ड अन‍िवार्य होगी. इन नए कानून का लक्ष्‍य दोषी स‍िद्धी को 90 प्रतिशत से ऊपर तक ले जाना है. ज‍िन अपराधों में 7 साल या उससे ज्‍यादा की सजा उन सभी अपराधों के क्राइम साइट पर फॉरेंसिक टीम का जाना अनिवार्य होगा.
  10. थानों में टूटी फूटी गाड़ियों का ढेर खत्म होगा. उसको वीडियोग्राफी करके इनको डिस्पोज ऑफ किया जाएगा. सबको ज्यादा से ज्यादा 3 साल में सजा करवाने का प्रावधान होगा.

 

 

तीनों विधेयक पेश करते हुए अमित शाह ने कहा, “1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों के बनाए कानूनों के मुताबिक चलती थी। तीन कानूनों को बदल दिया जाएगा और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव आएगा।”

 

रेप पीड़िता की पहचान उजागर करने पर सजा

नए कानून में बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करने पर सजा का प्रावधान है. धारा 72. (1) में जो कोई नाम या किसी भी मामले को मुद्रित या प्रकाशित करता है, जिससे किसी ऐसे व्यक्ति की पहचान हो सकती है जिसके खिलाफ धारा 63 या धारा 64 या धारा 65 या धारा 66 या धारा 67 या धारा 68 के तहत अपराध का आरोप लगाया गया है या पाया गया है- अपराध किया गया है (इसके बाद इस धारा में पीड़ित के रूप में संदर्भित किया गया है) को किसी भी अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
बलात्कार से संबंधित मसौदे में ये भी कहा गया है कि अगर पीड़ित विरोध नहीं कर पाई तो इसका मतलब ये कतई नहीं होगा कि उसकी सहमति थी.
आजीवन कारावास को किया गया परिभाषित
आजीवन कारावास को प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास के रूप में परिभाषित किया गया. कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास होगा और जुर्माने भी वसूल किया जाएगा.

 

महिला की निजी तस्वीरें वायरल करने पर होगी सजा

नए कानून में किसी महिला के निजी वीडियो/फोटो के वायरल करने पर दंड का प्रावधान है. धारा 76 में जो कोई किसी महिला को ऐसी परिस्थितियों में निजी कार्य करते हुए देखता है या उसकी फोटो खींचता है, जहां उसे आमतौर पर अपराधी द्वारा या अपराधी के आदेश पर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा नहीं देखे जाने की उम्मीद होती है या ऐसी तस्वीर को वायरल करता है- पहली बार दोषी पाए जाने पर कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि एक वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है. दूसरी बार या उसके बाद दोषी पाए जाने पर कारावास से दंडित किया जाएगा. किसी भी प्रकार की अवधि के लिए जो तीन साल से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माने भी वसूला जाएगा.

देशद्रोह कानून होगा निरस्त

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इस कानून के तहत हम देशद्रोह जैसे कानून निरस्त कर रहे हैं। शाह ने कहा कि 1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय व्यवस्था अंग्रेजों के बनाए कानून से चल रहा था। अब इन तीन नए कानूनों से देश की आपराधिक न्याय व्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा। इस विधेयक के तहत हमने लक्ष्य तय किया है कि दोषसिद्धि की दर को 90 प्रतिशत से ज्यादा किया जाएगा। अपराध स्थल पर फोरेंसिक टीम का जाना अनिवार्य होगा। नए विधेयक में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने के मामले से संबंधित नए प्रावधान किए गए हैं। नाबालिग से दुष्कर्म जैसे मामलों में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही एक तय सीमा में सरकारी कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी जाएगी।

नए कानून की भावना भारतीयों को अधिकार देने की‘
लोकसभा में बोलते हुए गृहमंत्री ने कहा कि ‘इन तीनों कानूनों को रिप्लेस कर के इनकी जगह तीन नए कानून जो बनेंगे, उनकी भावना भारतीयों को अधिकार देने की होगी। इन कानूनों का उद्देश्य किसी को दंड देना नहीं होगा। इसका उद्देश्य होगा लोगों को न्याय देना।’ अमित शाह ने कहा कि ’18 राज्यों, छह केंद्र शासित प्रदेशों, भारत की सुप्रीम कोर्ट, 22 हाईकोर्ट, न्यायिक संस्थाओं, 142 सासंद और 270 विधायकों के अलावा जनता ने भी इन विधेयकों को लेकर सुझाव दिए हैं। चार साल तक इस पर काफी चर्चा हुई है। हमने इस पर 158 बैठकें की हैं।

सरकार ने 2020 में बनाई थी कमेटी

गौरतलब है कि मार्च 2020 में केंद्र सरकार ने आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 को संशोधित करने के लिए सुझाव देने के लिए एक आपराधिक कानून सुधार समिति का गठन किया था. समिति की अध्यक्षता नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वीसी प्रोफेसर डॉ रणबीर सिंह ने की थी. इसमें एनएलयू-डी के तत्कालीन रजिस्ट्रार प्रोफेसर डॉ. जीएस बाजपेयी, डीएनएलयू के वीसी प्रोफेसर डॉ. बलराज चौहान, वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी और दिल्ली के पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश जीपी थरेजा शामिल थे.

 

 

Sedition law abolished, Love Jihad in the category of crime, hanging guilty of raping a minor, Amit Shah presented 3 bills to change the British law; Read what will be the effect

 

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