#readerfirst Beaten in the in-laws house, craving for bread.. Then became an officer, the first educated girl of the village,
कुछ लोग जिंदगी में हो रहे छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव से घबराकर हार मान लेते हैं. वहीं कुछ हर विषम परिस्थिति से लड़कर अपनी एक अलग राह बना लेते हैं. मध्य प्रदेश के एक गरीब आदिवासी परिवार में जन्मीं सविता प्रधान को ससुराल में घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ा. हर दुख-दर्द से निपटते हुए आखिरकार वह अफसर बन गईं.
फोटो में नजर आ रही लड़की किसी मॉडल से कम नहीं लग रही है.. सुंदर और आत्मविश्वास से भरपूर.. लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए इसे बहुत मेहनत करनी पड़ी. संघर्ष के साथ ही कई त्याग भी करने पड़े. दो बच्चों की मां सविता प्रधान के लिए आईएएस अफसर बनना आसान नहीं था. उनकी जिंदगी में कई तरह के उतार-चढ़ाव आएं. पढ़ाई-लिखाई से लेकर अपनी शादीशुदा जिंदगी तक में, उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा.
सविता प्रधान ने एक वीडियो इंटरव्यू में अपनी जिंदगी के कई अहम पहलुओं पर बात की है. उनकी गिनती मध्य प्रदेश की तेज-तर्रार अधिकारियों में की जाती है. फिलहाल वह ग्वालियर संभाग में ज्वाइंट डायरेक्टर हैं. 2021 में वह खंडवा नगर निगम की पहली महिला कमिश्नर बनी थीं. मंदसौर सीएमओ रहते हुए उन्होंने खूब सुर्खियां बटोरी थीं. वहां उन्होंने माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाकर अफीम तस्करों पर एक्शन लिया था. इस दौरान अवैध तरीके से करोड़ों के बंगलों को मिट्टी में भी मिलवा दिया था.
सविता प्रधान का जन्म एमपी के मंडी नाम के गांव में एक आदिवासी परिवार में हुआ था. वह बहुत गरीबी में पली-बढ़ी हैं. वह अपने माता-पिता की तीसरी संतान हैं. उनके गांव में तब 10वीं तक का स्कूल था और ज्यादातर लड़कियों को पढ़ाई के लिए भेजा ही नहीं जाता था. वह अपने गांव से 10वीं बोर्ड परीक्षा पास करने वाली पहली लड़की थीं. उनके स्कूल जाने से माता-पिता को स्कॉलरशिप के 150-200 रुपये मिल जाते थे. इसके बाद उनका एडमिशन 7 किमी दूर एक स्कूल में करवा दिया गया था.
इस सरकारी स्कूल तक आने-जाने के लिए 2 रुपये लगते थे. तब सविता कई बार पैदल ही स्कूल चली जाती थीं. फिर उनकी मां को उस गांव में एक छोटी सी नौकरी मिल गई थी और सविता को वहीं शिफ्ट होने का मौका. 11वीं-12वीं में उन्होंने बायोलॉजी विषय के साथ पढ़ाई की थी. तभी उनके लिए एक बड़े घर से रिश्ता आ गया था. 16-17 साल की उम्र में उनकी मर्जी के खिलाफ उनकी उस लड़के से सगाई कर दी गई थी.
सविता प्रधान की शादीशुदा जिंदगी काफी मुश्किलों भरी थी. उनके ससुरालवाले उन्हें बहुत प्रताड़ित करते थे और उन पर कई तरह की पाबंदियां भी लगा दी गई थीं. वह सबसे साथ बैठकर खाना नहीं खा सकती थीं. उन्हें हंसने-बोलने की इजाजत नहीं थी. अगर खाना खत्म हो जाए तो दोबारा बनाना भी मना था. इस डर से वह अपने अंडरगार्मेंट में रोटियां छिपा लेती थीं. उनका पति अक्सर उन्हें मारता-पीटता था
प्रेगनेंसी के बाद भी उन पर हो रहे जुल्म कम नहीं हुए थे. दूसरे बेटे के जन्म के बाद भी उनका पति उन्हें मारता-पीटता रहा. इससे तंग आकर उन्होंने फांसी का फंदा तैयार कर लिया था. तभी उन्होंने अपनी सास को देखा, जिसने उन्हें बचाने के लिए कुछ नहीं किया. तब वह अपने बच्चों को लेकर ससुराल से निकल गईं और एक पार्लर में काम के साथ पढ़ाई शुरू कर दी. उन्होंने इंदौर यूनिवर्सिटी से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स किया और पहले प्रयास में सिविल सर्विस परीक्षा भी पास कर ली (UPSC Exam).
सरकारी नौकरी में आने के बाद सविता ने अपने पति और ससुरालवालों पर घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज करवा दिया था वह सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं उनके फेसबुक प्रोफाइल से पता चलता है कि उन्होंने डिजिटल क्रिएटर हर्ष राय गौड़ से दूसरी शादी कर ली है.
ससुराल में पिटाई, रोटी को तरसी.. फिर बनी अफसर गांव की पहली पढ़ी-लिखी लड़की,

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