अगर आप ट्रेन में सफर कर रहे हैं और अचानक फोन का चार्ज खत्म हो जाए तो आप तुरंत चार्जिंग सॉकेट के पास जाकर उसका इस्तेमाल करते हैं. अगर यह सुविधा बंद कर दी जाए तो जाहिर तौर पर यात्रियों को परेशानी होगी. रेलवे ने ऐसा कर दिया है. हालांकि, इसके पीछे का मकसद लोगों को तंग करना नहीं बल्कि उनकी सुरक्षा को और मजबूत करना है. ट्रेन में कई छोटी-मोटी आग की घटनाओं की जांच में पाया गया कि इसका मुख्य कारण सॉकेट में शार्ट सर्किट था. अक्सर लोग रात को फोन या लैपटॉप चार्ज में लगाकर सो जाते हैं जिसे शॉर्ट सर्किट का खतरा पैदा हो जाता है.
रेलवे ने ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए ही रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक ट्रेन के चार्जिंग सॉकेट के इस्तेमाल पर सख्ती से रोक लगा दी है. इसका अनुपालन अच्छे तरीके से हो सके इसके लिए यह सुनिश्चित भी किया जाता है कि रात 11 बजे के बाद सॉकेट को मिलने वाली बिजली की मेन सप्लाई ही बंद कर दी जाए. यह कोई नई शुरुआत नहीं है. रेलवे ने 2021 में ही इसे लेकर निर्देश जारी कर दिए थे. पश्चिमी रेलवे ने 16 मार्च को 2021 को चार्जिंग पोर्ट्स में बिजली की सप्लाई बंद कर के इसकी शुरुआत की थी. इससे भी 2014 में रेलवे बोर्ड ने सभी जोन को ऐसा ही करने का निर्देश दिया था.