(Chief Minister’s statement on Chhattisgarh State Public Service Commission’s examination result controversy)
रायपुर । आरक्षण पर असमंजस की स्थिति साफ होने के बाद विगत दिनों राज्य लोक सेवा आयोग का परीक्षा परिणाम घोषित हुआ है । परिणाम घोषित होने के बाद ही सोशल मीडिया पर इसे लेकर जिस तरह को प्रतिक्रियाएं आ रही हैं उसे देखकर 2005 के परीक्षा परिणाम लोगों को याद आ गए । आपको बता दें कि 2005 के चयनित अधिकारिर्यों के खिलाफ धोखाधड़ी और चार सौ बीसी के केस अभी भी सुप्रीम कोर्ट में चल रहे हैं । गौरतलब है कि बिलासपुर हाईकोर्ट ने इस रिजल्ट के खिलाफ फैसला सुनाया था पर सुप्रीम कोर्ट में अभी भी यह प्रकरण समाप्त नहीं हुआ है । इस मामले में राज्य लोक सेवा आयोग के तत्कालीन चेयरमैन अशोक दरबारी निलंबित कर दिए गए थे । यहां इस बात का जिक्र क्यों किया गया है इसकी चर्चा आगे मुख्यमंत्री के बयान के संदर्भ में समीचीन होगी । अभी आपको यह बता दें कि सोशल मीडिया पर यह बात चल रही है कि इस बार के रिजल्ट में नेता, नौकरशाह और रसूखदार पूंजीपतियों के पुत्र पुत्री और दामाद का चयन हुआ है । लाखों रुपए देकर मेरिट लिस्ट में नाम शामिल किया गया है , यह बात भी सोशल मीडिया में वायरल हो रही है । ऐसे में प्रदेश के मुखिया का बयान आया है कि राजनेता और अफसरों के परिवार से चयन अपराध नहीं है । भाजपा तथ्य दे तो सरकार जांच कराएगी । यह योग्यता का परिचायक है । इस पर सवाल उठाना उचित नही है । निश्चित रूप से राजनेता नौकरशाहों और पूंजीपतियों के परिवार से लोकसेवा में चयनित होना अपराध नहीं है । पर इस बार के परीक्षा परिणामों में इतने संयोग एक साथ बन गए हैं कि लोगों के मन में शंका के बीज घर कर गए हैं । पुत्र , पुत्री , भाई बहन , बेटी दामाद का एक साथ चयनित होना अनोखा संयोग है । यहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान की अगली लाइन गौरतलब है कि ” मेरे पास भाजपा शासनकाल में सिलेक्ट हुए बच्चों के भी नाम हैं , लेकिन उजागर करूंगा तो उनका भी मन खराब होगा ।” अगर मुख्यमंत्री को भाजपा के शासनकाल में हुई गड़बड़ी और सिलेक्टेड बच्चों के नाम पता हैं तो उन्हें तथ्यों को निष्पक्षता से आम जनता के समक्ष रखना चाहिए । प्रकरण कोर्ट में है इसकी आड़ नही लेनी चाहिए । उनके बयान से तो यही प्रतिध्वनित हो रहा है कि भाजपा के शासनकाल की गड़बड़ियों में कांग्रेस खामोश थी तो कांग्रेस की गड़बड़ियों में भाजपा भी खामोश रहे ! अब शासन माननीय का है तो तथ्य कोई दूसरा कैसे पेश करेगा ? क्या किसी जूलियन असांजे का इंतजार है ?