रायगढ़ । रायगढ़ में कोचिंग डिपो , टर्मिनल खोलने की एक दशक पुरानी मांग रेलवे बोर्ड ने तकनीकी कारणों का हवाला देकर खारिज कर दिया । मालूम हो कि रायगढ़ में यह मांग पिछले 10 सालों से की जा रही है ।
विगत दो दशकों में रायगढ़ बहुत तेजी से बढ़ा है और बढ़ी है उसी तेजी से आबादी । आबादी में बढ़ोत्तरी दीगर प्रांतवासियों की ज्यादा है । अभी लोगों को बाहर जाने के लिए झारसुगुड़ा और बिलासपुर से ट्रेन पकड़नी होती है या फिर सड़क मार्ग का सहारा लेना पड़ता है जो खर्चीला भी है और पर्यावरण के विपरीत भी । अभी बिलासपुर रेलवे स्टेशन पर यात्री गाड़ियों का लोड बहुत ज्यादा है। रायगढ़ में कोचिंग डिपो खोलकर इस समस्या को दूर किया जा सकता था । छत्तीसगढ़ के पूर्वांचल का अंतिम बड़ा शहर रायगढ़ यहां कोचिंग डिपो के लिए एकदम माकूल जगह है । मालूम हो कि नीतीश कुमार जब रेल मंत्री थे तब यहां के लिए टर्मिनल की स्वीकृति भी हुई थी । पर फिर ना जाने किन कारणों से यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया। हालांकि एस ई सी आर द्वारा दो बार रायगढ़ में कोचिंद टर्मिनल का प्रस्ताव भेजा जा चुका है पर रेलवे बोर्ड द्वारा दोनों बार प्रस्ताव खारिज कर दिया गया ।
कोचिंग टर्मिनल रायगढ़ में खोलने का प्रस्ताव खारिज किया जाता रहा है जिसकी वजह से यहां से नई ट्रेनें भी शुरू नही की जा सकती हैं।
दरअसल यह स्थानीय जनप्रतिनिधियों की घोर अक्षमता है कि वे रेल प्रशासन पर अपेक्षित दबाव नहीं बना पा रहे हैं। ना तो कांग्रेस पार्टी और ना ही भाजपा के सांसदों और विधायकों ने इस दिशा में दिलचस्पी दिखाई है । जबकि पिछले दो युगों से भाजपा के सांसद रायगढ़ से चुने जाते रहे हैं ।
रेलवे को केवल राजस्व से मतलब है जो रायगढ़ में मालगाड़ियों के परिचालन से पर्याप्त मात्रा में मिल रहा है । ऐसे में उसे आम जनता की फिक्र क्यों होने लगी । कोयले का अपार भंडार , दर्जनों छोटे बड़े उद्योग धंधे , स्टील और ऊर्जा की नगरी रायगढ़ केवल दोहन के लिए है । आम जनता की सहूलियतें से किसी जिम्मेदार को कोई वास्ता नहीं है । मालूम हो कि पहले भी से की कमी का हवाला देकर कुछ लंबी दूरी की गाड़ियों का स्टॉपेज खत्म कर दिया गया था। इस पर भी किसी जनप्रतिनिधि ने मुंह खोलने की जहमत मोल नहीं ली । यहां से जनशताब्दी और गोंडवाना अभी छूटती है जिनका मेंटेनेंस अन्य डिपो में किया जाता है । जनशताब्दी का क्या हाल है यह रायगढ़ की भुक्तभोगी जनता जानती है । इस बात की चर्चा आम है कि आय की कमी का हवाला देकर इसे भी बंद किया जा सकता है । रायगढ़ से रेलवे का यह सौतेला व्यवहार कब तक ? जबकि रेलवे को आय देने में रायगढ़ कहीं कमतर नहीं है !
एक दशक पुरानी मांग फिर खारिज , बोर्ड ने चार ट्रेनों के स्टॉपेज का पकड़ाया झुनझुना

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