रीडर्स फस्र्ट । रायगढ़
शासन प्रशासन पर्यावरण के कितने बड़े हितैषी हैं , यह इस बात से जाहिर होता है कि एन जी टी के स्पष्ट आदेश के बावजूद रायगढ़ जिले के सरायपाली क्षेत्र में स्थित सुनील स्पॉन्ज प्राइवेट लिमिटेड को अपनी क्षमता विस्तार के लिए जनसुनवाई की अनुमति दे दी गई ।
क्या है एन जी टी का आदेश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस पूरे क्षेत्र का सर्वेक्षण करने के बाद साफ साफ कहा था कि क्षेत्र में औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण से बाहर है और ना तो नए उद्योग लगने चाहिए और ना ही पुराणों का विस्तार होना चाहिए ।
विस्तार के बाद कितनी होगी क्षमता सुनील स्पॉन्ज की
अभी वर्तमान में सुनील स्पॉन्ज प्राइवेट लिमिटेड की उत्पादन क्षमता 29.7 मीट्रिक टन है। कंपनी ने 2 लाख 11 हजार टन उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए प्रस्ताव पेश किया है जिसे जनसुनवाई के लिए स्थानीय लोगों के समक्ष रखा जायेगा ।
अभी क्षेत्र की वर्तमान स्थिति को ही देखा जाय तो विभिन्न कंपनियों के कारण प्रदूषण अपने चरम पर है । क्षेत्र का पारिस्थितिक तंत्र बदल चुका है और पर्यावरण संतुलन नष्ट हो चुका है। इसी भयावह स्थिति को देखते हुए एन जी टी ने इस क्षेत्र में नए प्लांट लगाने और पुराने किसी भी प्लांट का विस्तार नहीं करने की बात कही थी। अभी की स्थिति में ही लोगों का जीना मुहाल हो चुका है । ऐसे में सुनील स्पॉन्ज को सीधे 70 गुना अधिक क्षमता विस्तार के लिए जनसुनवाई की अनुमति देने का औचित्य समझ से परे है । क्या शासन प्रशासन को , पर्यावरण विभाग को यह सब दिख नही रहा है ?
क्या कह रहे हैं स्थानीय लोग
इस क्षेत्र के स्थानीय जागरूक निवासी कटी नही चाहते कि सुनील स्पॉन्ज का विकास हो । उनके अनुसार पूरा क्षेत्र प्रदूषण की चपेट में है । आम लोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों से त्रस्त हैं । काले डस्ट के कारण फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं । कई किसानों ने तो खेती किसानी से भी मुंह मोड़ लिया है। कभी हरे भरे जंगलों और स्वास्थ्यवद्र्धक क्लाइमेट के लिए जाने जाना वाला यह क्षेत्र पूरी तरह बर्बाद हो चुका है । जल, जंगल और जमीन को तथाकथित विकास की अंधी दौड़ ने निगल लिया है । अगर कंपनी को इतने विस्तार की अनुमति मिल जायेगी तो क्या होगा इस क्षेत्र के पर्यावरण का और क्या होगा यहां के निवासियों का , यह कल्पना ही भय पैदा करती है ।
क्या है अभी की वस्तुस्थिति
स्थानीय ग्रामीण सुनील स्पॉन्ज प्राइवेट लिमिटेड के बिस्तर के पक्ष में नहीं हैं । पर इस बात की चर्चा गर्म है कि सुनील स्पॉन्ज के प्रबंधन द्वारा ग्रामीणों के ऊपर साम ,दाम ,दण्ड और भेद की नीति अपनाई जा रही है और कंपनी प्रबंधन इसमें काफी हद तक सफल भी रहा है। जैसी की चर्चा है ग्रामीण लामबंद होकर मंगलवार को कलेक्ट्रेट जाने की तैयारी कर थे , पर कंपनी के कुछ खैरख्वाह लोगों के दबाव में ग्रामीणों में ही फूट पड़ गई और कलेक्ट्रेट जाने और कलेक्टर से शिकायत करने की योजना धरी की धरी रह गई । चर्चा इस बात की भी है ग्रामीणों के रुख को देखते हुए कि इस बार सुनील स्पॉन्ज के मालिक ने खुद ही मोर्चा संभाला हुआ है और जो भी जिस तरीके से से भी कंपनी के पक्ष में बोलने के लिए तैयार हो रहा है , वह तरीका कंपनी अख्तियार कर रही है । जाहिर है कंपनी की यह रणनीति मुफीद साबित हो रही है और प्रतिरोध के स्वर मंद पड़ रहे हैं ।
बहरहाल यह तो तय है कि अगर सुनील स्पॉन्ज प्राइवेट लिमिटेड को क्षमता विस्तार की अनुमति मिल जाती है तो यह क्षेत्र साक्षात नरक बन जायेगा ।