#Readerfirst Different types of Sun played a role in the beginning of life on Earth
पृथ्वी पर जीवन के मूल भूत तत्वों का निर्माण करने वाले घटक खास परिस्थितियों में ही बने थे. लेकिन वे कैसे बनीं यह रहस्य ही है. नए अध्ययन में उन हालातों के एक अहम कारक का पता लगाया है. सूर्य से आने वाले ऊर्जावान कणों की मदद से ही उस वक्त ये संभव था.
पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत करने के पीछे कौन से कारक थे, यह जानना वैज्ञानिकों के लिए सबसे प्रमुख विषयों में से एक है. वे सबसे ज्यादा यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि वे कौन से हालात थे जब पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत हो सकी और उनके बनने में कौन कौन से कारकों की भूमिका थी. यह विषय बहुत ही बड़ा है और इसमें बहुत सारी प्रक्रियाओं और घटनाएं शामिल होंगे. नए शोध में सुझाया गया है कि जीवन के पहले निर्माण तत्व सूर्य से निकली सैर लपटों की वजह से बने होंगे.
लाइफ में प्रकाशित अध्ययन में रासायनिक प्रयोगों की शृंखला के जरिए दर्शाया गया है कि पृथ्वी के शुरुआती वायुमडंल से टकराकर कैसे सौर कणों का गैसों से टकारव होने के कारण जीवन के मूल निर्माण तत्व अमीनो एसिड और कार्बोक्सिलिक एसिड का निर्माण हुआ. शुरुआती तत्वों को प्रकाश, ऊष्मा और अन्य स्रोतों से ऊर्जा मिली जिससे प्रतिक्रियाएं होने के कारण जैविक अणुओं का निर्माण हुआ
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के वैज्ञानिक स्टैनली मिलर ने पुरातन स्थितियों को फिर से बनाने के लिए 1953 में एक प्रयोग किया था. अमोनिया मीथेन, पानी और परमाणु हाइड्रोजन वाले बंद चेम्बर में विद्युत चिंगारियों से पुरातन पृथ्वी के वायुमंडल के जैसा माहौल बनाया और एक हफ्ते बाद उन्होंने पाया वहां 20 प्रकार के अमीनो एसिड बने हैं. नए अध्ययन में बताया गया है कि उस मय अमोनिया और मीथेन बहुत कम मात्रा में था जबकि CO2 और नाइट्रोजन ज्यादा थे. ऐसे में ज्यादा ऊर्जा की जरूरत थी
नासा के केप्लर अभियान के आंकड़ो से नई संभावना का खुलासा हुआ है और वह सूर्य से आने वाले ऊर्जावान कण. कुछ साल पहले खुसाला हुआ है कि पृथ्वी के शुरुआती 10 करोड़ सालों में सूर्य करीब 30 फीसद कम चमकीला था. लेकिन सौर ज्वालाओं के उत्सर्जन तब हर 3 से 10 दिन में होते हैं जबकि आज करीब हर 100 सालों में एक बार देखने को मिलते हैं. इसी लिए संभावना है कि उस दौर में जीवन के मूल तत्वों के निर्माण के लिए जरूरी ऊर्जा उन सौर ज्वालाओं से आई होगी
योकोहामा नेशनल यूनिवर्सिटी के डॉ कोबायाशी और नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के व्लादिमीर एयरापेटियन और उनके सहयोगियों ने CO2, नाइट्रोजन, पानी को मिलाकर सिम्यूलेटिंग सौर कणों के प्रकाश से उनका सामना कराया. पाया गया कि जब मीथेन 0.5 फीसद से ज्यादा होता है तो अमीनो एसिड और कर्बोक्सिलिक एसिड की पहचान होने लगती है. लेकिन चिंगारी से अमीनो एसिड बनने के लिए 15 फीसद तक मीथेन की मात्रा जरूरी थी. फिर भी प्रकाशीय फोटोन की तुलना में चिंगारी से 15 फीसद मीथेन होने पर भी बहुत कम अमीनो एसिड बन रहे थे
शोधकर्ताओं ने पाया कि ऐसा लगता है कि सूर्य के ऊर्जावान कणों से ही जीवन के मूलभूत तत्व के निर्माण होने की स्थिति बन सकी थी. यह अध्ययन पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत को समझने के नए आयाम खोलने वाली साबित होगी और इसमें जीवन के मूल तत्वों के निर्माण में सूर्य की गतिविधियों की भूमिका को रेखांकित किया गया है. आने वाले समय में इस संबंध में और ज्यादा खुलासे हो सकते हैं.