(Do someone, someone fill double standard of mineral department.)
रायगढ़ । जिले का खनिज विभाग लाइमस्टोन और डोलोमाइट के अवैध कारोबार से जुड़े लोगों के साथ जिस प्रकार से दोहरा मापदंड अपना रहा है वह हैरत में डालनेवाला है । जानकारों का कहना है कि एक मोटे अनुमान के अनुसार खनिज विभाग साल भर में अमूमन 75 से 100 गाड़ियों को अवैध खनिज के परिवहन के जुर्म में पकड़ता है । जाहिरा तौर पर उनपर जुर्माना भी लगाया जाता है । कई बार गाड़ी के ड्राइवर पर केस भी दर्ज किया जाता है । खनिज विभाग की इस तरह की कार्रवाई एक परिपाटी के तौर पर स्थापित हो गई है और यह परिपाटी काफी लंबे समय से जारी है । खनिज विभाग ओवरलोडेड गाड़ियों पर भी कार्रवाई करता है । कई बार वाहन तो कई बार वाहन समेत खनिज की जप्ती बनाई जाती है । पर शायद आजतक यह देखने में नहीं आया कि खनिज विभाग ने किसी क्रशर पर दंडात्मक कार्रवाई की हो । आखिर अवैध लाइमस्टोन और डोलोमाइट किसी न किसी क्रशर से ही तो गाड़ियों में लोड की जाती है । वाहन के साथ टी पी लगभग अनिवार्य रूप से होती है जिसमें यह साफ दर्ज होता है कि गाड़ी कौन से क्रेशर से बाहर निकली है । टी पी का क्रमांक भी यह जानकारी देता है । फिर भी खनिज विभाग कभी किसी क्रशर संचालक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता । आखिर इसकी वजह क्या हो सकती है ? कायदे के मुताबिक होना तो यह चाहिए था कि जो भी गाड़ी पकड़ में आए , उसके ड्राइवर के साथ साथ संबंधित क्रेशर पर भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए । पर जो भी होना होता है वह केवल वाहन चालक के साथ ही होता है । क्रशर संचालक को हवा भी नहीं छूती है। सारा खेल माया का है । खनिज विभाग अवैध परिवहन के प्रकरणों के दस्तावेज इस प्रकार से तैयार करता है कि क्रशर संचालक बेदाग रहते हैं और गरीब ड्राइवर बेचारा फंस जाता है । यही कारण है कि जिले में गौण खनिजों का अवैध कारोबार खूब जोरों से फल फूल रहा है ।