रिपोर्ट संतोष जायसवाल
पोडी बचरा/बैकुंठपुर| जिले में ऐसे बहुत से वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जिनके नंबर प्लेट ही नहीं है। इनमें खासकर अवैध रेत परिवहन में संलिप्त वाहन शामिल हैं बुधवार को राजस्व विभाग के दबिश में आए अवैध रेत परिवहन में 2 मिनी हाइवा जिसमें एक हाइवा में नंबर प्लेट ही नहीं लगा है जबकि यह हाइवा लगातार बैकुंठपुर जिला मुख्यालय में अवैध रेत का परिवहन करते हुए फर्राटा भर रहा है यह वाहन हर चौक-चौराहों से गुजरता है जबकि चौकों पर यातायात पुलिस के जवान तैनात रहते हैं लेकिन ऐसे वाहन के ऊपर ध्यान नहीं जाता है यातायात विभाग एवं पुलिस विभाग के अधिकारी कर्मचारियों का ध्यान जाता भी है तो किसानों के ट्रैक्टर ट्राली पर उनके वाहन को रोककर चालान करते हुए 15 दिनों तक थाने परिसर में खडा करा दिया जाता है लेकिन ऐसे हाइवा जो बिना नंबर प्लेट के लगातार चिरमी गेज नदी से रेत भरकर सरपट जिला मुख्यालय में दौड़ रहें हैं ऐसे वाहनों पर नहीं परिवहन विभाग की नजर पड़ती है नहीं पुलिस विभाग की आखिर ऐसे वाहनों को किनका संरक्षण प्राप्त है कि इन वाहनों पर कार्रवाई करने से कानून की रक्षा करने वालें ऐसे वाहनों पर आखिर कार्यवाही करने से कतराते क्यो है
इसके अलावा बहुत ऐसे वाहन हैं, जिन पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं है। बिना हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के चालान का प्रावधान है लेकिन इसके बावजूद यह वाहन सरपट सड़कों पर दौड़ रहे हैं ऐसे वाहन चालकों के ऊपर जब कभी कार्यवाही हो भी जाता है लेकिन इसके बावजूद लोग सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। बिना नंबर प्लेट वाले वाहन से दुर्घटना होने के बाद वाहन की पतासाजी में भी परेशानी होती है जबकि हादसों के बाद इन वाहनों को पता लगाना पुलिस के लिए बड़ा चैलेंज होता है शहर में लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच की जाएं तो सिटी में ऐसे बहुत से वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं जिनके नंबर प्लेट ही नहीं है. हादसों के बाद इन वाहनों को ट्रेस कर पाना ट्रैफिक पुलिस के लिए चैलेंज बनता है बिना नंबर प्लेट के वाहनों का चालान भी नहीं हो पाता. आखिर ऐसे वाहनों की बढ़ती संख्या का जिम्मेदार कौन है? नियमत: यातायात पुलिस को ऐसे वाहनों की धरपकड़ के लिए अभियान चलाकर कार्रवाई करनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. ऐसे वाहनों के चलते यातायात पुलिस की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में आती है कई ऐसे मामले हो चुके है जिनमें बिना नंबर प्लेट के वाहनों से हुए हादसे में पीड़ितों को कार्रवाई के बजाय सिर्फ आश्वासन की घुट्टी पिलाकर प्रशासन इतिश्री कर लेता है।