रिपोर्ट संतोष जायसवाल @ पोड़ी बचरा/बैकुंठपुर।।
ग्राम पंचायत में सांवला में नहर निर्माण कार्य में ठेकेदार द्वारा गुणवत्ताविहीन कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। जिसकी शिकायत ग्रामीणों ने जलसंसाधन विभाग के अधिकारी से की थी। किसानों के खेतों में अच्छी फसल का उत्पादन हो और सिंचाई के लिए नहरों के माध्यम से पर्याप्त पानी मिलें। इसी मंशा से प्रदेश व केन्द्र सरकार पुराने नहरों को मजबूत बनाने लाखों रुपए की स्वीकृति प्रदान कर निर्माण कार्य करा रही है। इससे गांव के गरीब मजदूरों को कार्य भी मिल सकें। लेकिन ठेकेदार द्वारा नहर निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग कर शासन की राशि का बंदरबाट किया जा रहा है
गौरतलब हो कि सांवला में पुराने नहर का मरम्मत एवं सीमेंटीकरण किया जा रहा है जल संसाधन विभाग के द्वारा ठेकेदार से निर्माण कार्य कराया जा रहा है। लेकिन ठेकेदार द्वारा शासन के नियमों को दरकिनार कर गुणवत्ताविहीन काम किया जा रहा है जो नहर की दीवार हल्की बारिश में पहले गिर चुकी थी। जो खबर अखबारों में सुर्खिया में रही। रिर्ड्स फर्स्ट में छपे खबर को आधार मानकर जल संसाधन विभाग के अधिकारी कर्मचारी 25 अप्रैल को निर्माण स्थल पर पहुंचे थे और जांच में घटिया निर्माण की पोल खुल गई थी जिसमें मुख्य अभियंता एके टोप्पो ने ठेकेदार के मुंशी को जमकर फटकार लगाते हुए लगभग 50 मीटर नहर की दीवार को तोड़ने का आदेश दिया और नए सिरे से निर्माण कार्य शुरू करने निर्देशित किया था लेकिन ठेकेदार के मुंशी नहीं ठेकेदार को मुख्य अभियंता के बातों का असर हुआ नहीं घटिया निर्माण कार्य को सुधारा गया जिसका परिणाम यह हुआ कि 5 मई को जलाशय के पानी को नहर में डायवर्ट किया गया जैसे ही नहर का पानी बनतलवा पारा सुंदर के घर के पास पहुंचा वैसे ही गुणवत्ता की पोल खोलते हुए लगभग 25 मीटर नहर की दीवार भरभरा कर गिर गई जिससे देख ग्रामीणों में विभाग व ठेकेदार के ऊपर भारी आक्रोश है।
जानकारों का कहना है कम बेस डालने से टूट रही नहर
ग्राम सांवला के राम-लखन यादव एवं हेमेंद्र राजवाड़े ने बताया कि निर्माण सामग्री का उपयोग भी पर्याप्त मात्रा में न कर अनियमितता की जा रही है। इससे नहर में दराद आ रहा है और पानी रिसाव होने से नहर की दीवार टूट कर की गिर रहा है। नहर टूटने से शासन की राशि बर्बाद तो हो ही रही है साथ ही किसानों कोआने वाले समय में नुकसान भुगतना पड़ सकता है पानी खेतों तक नहीं पहुंचेगा और जहां नहर टूट जाएगी खेत तालाब बन जाएगा और फसल भी चौपट होगी किसानों का कहना है ऐसे सीमेंटीकरण कार्य से ज्यादा अच्छा तो कच्ची नहर ही ठीक था कम से कम पानी खेतों तक तो पहुंच जाता है लेकिन अब ऐसा लगता है इस प्रकार के मरम्मत व सीमेंटीकरण से शायद ही पानी खेतों तक पहुंच पाएगा