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सिर्फ नुकसान नहीं पहुंचाती है भांग। इसे पीने से हमें कई फायदे भी होते हैं। लेकिन जरूरी है कि हमें पता होना चाहिए कि आखिर इसे कब और कितना लेना है। नहीं हो हमारी गलती का दोष भांग को दिया जाने लगेगा…
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इस बात में कोई दोराय नहीं है कि नशा किसी भी चीज का हो बुरा ही होता है। फिर चाहे किसी को चाय, कॉफी का नशा हो या फिर सिगरेट, शराब और तंबाकू का। लेकिन तंबाकू और सिगरेट को छोड़कर अगर बाकी चीजों का बहुत सीमित सेवन किया जाए तो शरीर को लाभ भी पहुंचाती हैं…
सीमित नशे के फायदे
जैसे कॉफी और चाय पीने से थकान उतारने और सिरदर्द में राहत मिलती है। इसकी वजह होता है, इनके अंदर पाया जानेवाला कैफीन। जो हमारे ब्रेन में जाकर हैपी हॉर्मोन्स को बढ़ाता है और कॉर्टिसोल जैसे निराशा बढ़ानेवाले हॉर्मोन्स को सीमित करता है।
आज सिर्फ भांग की बात करेंगे
- -बाकी नशों को साइड में रखते हुए आज हम सिर्फ भांग के बारे में बात करेंगे। आखिर लोग भांग पीते क्यों हैं? क्या यह सिर्फ नुकसान करती है? अगर ऐसा होता तो पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव तो कभी भांग का सेवन नहीं करते! लेकिन शिवजी पर तो भांग चढ़ाई जाती है…
- -दअसल भांग एक आयुर्वेदिक औषधि भी है, जिसका अधिक मात्रा में सेवन करने से नशा होता है। जबकि सीमित मात्रा में कई दूसरी औषधियों के साथ मिलाकर इसका उपयोग कई बीमारियों को दूर करने में किया जाता है।
लत नहीं शौक चलेगा!
होली का मतलब मस्ती और रंग. होली पर स्वाभाविक तौर पर बड़ी संख्या में लोग भांग का सेवन करते हैं. जमकर दूध और मेवों को मिलाकर भांग की ठंडाई पी जाती है. फिर कुछ देर बाद इसका सुरूर चढ़ना शुरू हो जाता है. हमारे शरीर पर भांग का नशा असर करने लगता है. किसी पर भंग का असर ज्यादा होता है तो किसी पर कम. आखिर ये नशा कितनी देर तक रह सकता है.
भांग का दूसरे नशा की तुलना में कुछ अलग होता है. ये इस तरह होता है कि आपको अपने शरीर पर कंट्रोल खत्म होता हुआ लगेगा.
कैसा होता है असर
भांग की ठंडाई या फिर मिठाई का आखिर शरीर पर कितना असर होता है. इसका जवाब ये है कि अगर भांग हल्की-फुल्की मात्रा में ली गई है तो निश्चित तौर पर ज्यादा असर नहीं होगा. अगर हुआ भी तो ज्यादा समय के लिए नहीं.
चूंकि मेवों के साथ भांग को बारीक पीस कर बनाई ठंडाई काफी स्वादिष्ट होती है. लिहाजा लोग इसे ज्यादा ही पी जाते हैं. फिर भांग का नशा अपना रंग दिखाने लगता है. इस नशे में लोग जो भी काम करना शुरू करते हैं उसी को बार-बार करते हैं. कई बार नशे के दौरान ये महसूस भी होता है कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं लेकिन इसके बाद भी वो उस काम को बार-बार करते रहते हैं.
मुंह का टेस्ट किस तरह लगता है
नशा चढ़ने के बाद मुंह और जीभ का टेस्ट कड़वा हो जाता है. तब कुछ खाने पर उसका स्वाद महसूस नहीं होता. बिस्तर पर लेटने पर लगता है कि ऊपर उठकर उड़ते जा रहे हैं. भांग का ज्यादा नशा कर लिया तो असर दो से तीन दिनों तक भी रह सकता है. कई बार असर हफ्ते भर भी रह जाता है. कोई नहीं कह सकता है कि भांग का नशा तब कितनी देर में उतरेगा.
अस्पताल ले जाने की नौबत भी आ जाती है
चूंकि भांग खाने से शरीर पर आपका नियंत्रण खत्म हो जाता है, लिहाजा ये स्थिति कई बार खतरनाक भी हो जाती है, अस्पताल ले जाने की नौबत आ जाती है. ऐसे में ये ध्यान रखें कि अगर होली पर भांग का सेवन कर भी रहे हों तो इसकी मात्रा ज्यादा नहीं हो.
कितनी देर में चढ़ता है भांग का नशा
भांग का नशा तुरंत नहीं होता. इसे असर में आने में दो से तीन घंटे लग जाते हैं. लेकिन जब चढ़ना शुरू होता है तो चढ़ता जाता है, सुरूर बढ़ने लगता है. ये वो स्थिति होती है जब दिमागी तौर पर शरीर का नियंत्रण खत्म होने लगता है. मसलन नशा असर दिखाने के बाद लोग या तो लगातार हंसते रहते हैं या फिर रोते रहते हैं. नहा रहे हैं तो लगातार वैसा ही करने का मन करेगा.
लगातार सेवन से कई तरह की समस्याएं
भांग के लगातार सेवन से साइड इफेक्ट होता है. इसका असर दिमाग पर पड़ता है. भांग का सेवन करने वालों में यूफोरिया, एंजाइटी, याददाश्त का असंतुलित होना, साइकोमोटर परफार्मेंस जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं.
– भांग के सेवन से मस्तिष्क पर खराब असर पड़ता है
– गर्भवती महिलाओं में भ्रूण पर बुरा प्रभाव पड़ता है
– याददाश्त पर होता है इसका असर
– आंखों और पाचन क्रिया के लिए भी अच्छा नहीं
– जब भांग की पत्तियों को चिलम में डालकर इससे धूम्रपान किया जाता है तो इसके रासायनिक यौगिक तीव्रता से खून में प्रवेश करते हैं. सीधे दिमाग और शरीर के अन्य भागों में पहुंच जाते हैं.
– ज्यादा नशा मस्तिष्क के उन रिसेप्टर्स को प्रभावित करता है, जो खुशी, स्मृति, सोच, एकाग्रता, संवेदना और समय की धारणा को प्रभावित करते हैं.
– भांग के रासायनिक यौगिक आंख, कान, त्वचा और पेट को प्रभावित करते हैं.
– भांग के नियमित उपयोग से साइकोटिक एपिसोड या सीजोफ्रेनिया (मनोभाजन) होने का खतरा दोगुना हो सकता है.
– भूख में कमी, नींद आने में दिक्कत, वजन घटना, चिड़चिड़ापन, आक्रामकता, बेचैनी और क्रोघ बढ़ना जैसे लक्षण शुरू हो जाते हैं.
– यदि कोई व्यक्ति 15 दिन तक लगातार भांग का सेवन करे तो वह आसानी से मानसिक विकार का शिकार हो सकता है.
किस तरह होता है तैयार
ये एक प्रकार का पौधा है जिसकी पत्तियों को पीस कर भांग तैयार की जाती है. उत्तर भारत में इसका प्रयोग बहुतायत से स्वास्थ्य, हल्के नशे तथा दवाओं के लिए किया जाता है. भांग विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार एवं पश्चिम बंगाल में प्रचुरता से पाई जाती है. भांग के पौधे 03-08 फुट ऊंचे होते हैं.
क्या है भांग का गांजे और चिलम से नाता
भांग के नर पौधे के पत्तों को सुखाकर भांग तैयार की जाती है. भांग के मादा पौधों की रालीय पुष्प मंजरियों को सुखाकर गांजा तैयार किया जाता है. भांग की शाखाओं और पत्तों पर जमे राल के समान पदार्थ को चरस कहते हैं.
भांग की खेती प्राचीन समय में ‘पणि’ कहे जानेवाले लोगों द्वारा की जाती थी. ईस्ट इंडिया कंपनी ने कुमाऊं में शासन स्थापित होने से पहले ही भांग के व्यवसाय को अपने हाथों में ले लिया था. काशीपुर के नजदीक डिपो की स्थापना कर ली थी. दानपुर, दसोली तथा गंगोली की कुछ जातियां भांग के रेशे से कुथले और कम्बल बनाती थीं.
उत्तराखंड में खूब होती है भांग की पैदावार
टनकपुर, रामनगर, पिथौरागढ़, हल्द्वानी, नैनीताल, अल्मोडा़, रानीखेत,बागेश्वर, गंगोलीहाट में बरसात के बाद भांग के पौधे हर जगह देखे जा सकते हैं. नम जगह भांग के लिए अनुकूल रहती है.
क्यों करता है बार-बार लेने का मन?
-भांग में टैट्राहाइड्रोकार्बनबिनोल (THC)पाया जाता है। हर ब्रेन में जाकर डोपामाइन के स्तर को बढ़ा देता है और इससे बहुत अधिक खुशी और मदहोशी का अहसास होता है। यह एक बड़ी वजह है कि लोग इसकी लत पाल लेते हैं। लेकिन यह लत उनकी लाइफ पर भारी पड़ सकती है!
Learn why you do the same thing again and again after consuming cannabis, the benefits of cannabis make people crazy…