#readerfirst Preparation from RSS to BJP? CM Yogi steps towards 2024 through Atiq and Mukhtar
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले रैलियों में जिस तरह “माफिया और अपराधियों की सफाई” का जिक्र किया, उससे ये साफ है कि योगी 2024 में होने वाले चुनाव की स्क्रिप्ट लिखने के लिए पूरी तरह तैयार हैं
उत्तर प्रदेश में 4 मई और 11 मई को दो चरणों में निकाय चुनाव होने वाले हैं. इसे लेकर एक तरफ जहां सभी पार्टियां तैयारियों में लगी है तो वहीं दूसरी तरफ सीएम योगी ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे है. पिछले सात दिनों में सीएम योगी ने उत्तर प्रदेश के लगभग 19 जनसभाओं को संबोधित किया. इन रैलियों में उन्होंने माफिया, अपराधी, दंगा, गुंडा तमंचा, सफाई जैसी तमाम बातों का कई दफा जिक्र किया है.
पिछले कुछ सप्ताह में जिस रफ्तार में “माफिया और अपराधियों की सफाई” की जा रही है और रैलियों में इस मुद्दे को भुनाया जा रहा है उसे देखते हुए तो यही लग रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की स्क्रिप्ट लिखने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. योगी ने जनसभाओं में क्या कुछ कहा
निकाय चुनाव के प्रचार के दौरान की जा रही जनसभाओं में सीएम आदित्यनाथ लगातार लोगों को बताने में जुटे हैं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने कैसे राज्य में अपराधी और अपराध को जड़ से उखाड़ने के लिए बड़ा कदम उठाया है. सीएम ने कई बार बाहुबली अतीक और मुख्तार का नाम लेते हुए उसे समाजवादी पार्टी से जोड़कर सपा पर निशाना साधने की भी कोशिश की है.
यहां तक कि उत्तर प्रदेश बीजेपी के यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो भी साझा किया गया है जिसमें “माफिया और अपराधियों” विशेष रूप से अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी को समाजवादी पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ जोड़ा गया है. इस वीडियो में भारतीय जनता पार्टी लगातार कहती नजर आ रही है कि इस तरह के अपराधी राज्य में “अखिलेश” की वापसी की कामना कर रहे हैं.
योगी आदित्यनाथ ने कई जनसभाओं में अखिलेश पर साधा निशाना
24 अप्रैल 2023 को निकाय चुनाव के प्रचार के दौरान सीएम योगी ने सहारनपुर, शामली और अमरोहा में तीन जनसभाएं की. इस दौरान शामली में जनता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘लोगों को लग रहा होगा कि सिर्फ राज्य माफिया और अपराधी ही नहीं, बल्कि उनके हमदर्द भी गायब हो गए हैं.’
अमरोहा में सीएम आदित्यनाथ ने एक बार फिर बाहुबलियों की सफाई को लेकर कहा, ‘हमने भी ढोलक बजाकर माफिया को रसातल में पहुंचाने का काम किया है.’ वहीं सहारनपुर में योगी कहते हैं, ‘न कर्फ्यू, न दंगा, यूपी में सब चंगा.’
बीते शनिवार को योगी गोरखपुर में व्यापारियों के सम्मेलन में अखिलेश यादव पर जमकर निशाना साधा. मुख्यमंत्री ने कहा, “पहले गरीबों की संपत्ति और उनकी जमीनों पर कोई भी गुंडा, माफिया या सत्ताधारी दल का व्यक्ति जबरन कब्जा कर लेता था. आज उत्तर प्रदेश अराजकता से मुक्त हो गया है, प्रदेश में अब कानून का राज है, सुरक्षा की गारंटी है.”
अखिलेश यादव ने भी दिया जवाब
वहीं अखिलेश यादव ने रविवार को गोरखपुर में अपने अभियान की शुरुआत करते हुए स्वच्छता और कानून-व्यवस्था दोनों मुद्दों पर मुख्यमंत्री को आड़े हाथ लिया. उन्होंने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा, ‘राज्य में आपराधिक घटनाओं से लोग थक चुके हैं. बलात्कार और डकैती की घटनाएं अपने चरम पर हैं. ”
उन्होंने कहा आपराधिक मामलों का ये हाल तब है जब सीएम योगी हर दिन 4-5 जनसभा को संबोधित करते हुए जनता की सुरक्षा और उनकी सरकार की कानून व्यवस्था पर कड़ी पकड़ के बारे बताते रहते हैं.
इसके अलावा अखिलेश ने दावा किया है कि बीजेपी पिछले छह सालों में शहरों में कचरा हटाने और नालियों की सफाई करने में विफल रही है.
अखिलेश ने राज्य में भ्रष्टाचार के चरम पर होने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘यहां जिस दिन सड़कें बनती हैं, वे टूट जाती हैं. सड़कों के निर्माण में कोई सही से काम नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाने वाले अब गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के लिए 5,000 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं, लेकिन इतने बड़े बजट के बावजूद एक्सप्रेसवे नहीं बन सका.”
महंगाई और बेरोजगारी भी बना बड़ा मुद्दा
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ को टारगेट करते हुए कहा, ‘लोग दूध, तेल, आटा और दालें उच्च कीमत पर खरीद रहे हैं. राज्य के युवा वर्ग के पास नौकरी नहीं है. वो हर दिन नौकरी के लिए भटक रहे हैं. इन सबके लिए बीजेपी जिम्मेदार है. प्रदेश की जनता बीजेपी से ऊब चुकी है. अब उन्होंने बदलाव का मन बना लिया है.
अखिलेश आगे कहते हैं, ‘सपा पहले भी गोरखपुर में भारतीय जनता को हरा चुकी है और आगे भी हराएगी.’ इसके साथ ही अखिलेश ने राज्य में जाति जनगणना की अपनी पार्टी की मांग को भी दोहराया. उन्होंने कहा कि हम एक जातिगत जनगणना चाहते हैं ताकि सभी समुदायों को उनकी आबादी के अनुसार उनका हक मिल सके.
बुलडोजर की छवि बरकरार रखने की कोशिश में योगी
राज्य में निकाय चुनाव के लिए 4 और 11 मई को मतदान होने हैं और 13 मई को नतीजे आ जाएंगे. 25 अप्रैल सीएम योगी आदित्यनाथ रायबरेली, उन्नाव और लखनऊ में लोगों को संबोधित करने पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने कई बार अपनी ‘बुलडोजर बाबा’ की छवि को बरकरार रखते हुए बयान दिए.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने रायबरेली में जनता को संबोधित करते हुए कहा, ‘माफिया कहता है कि बख्श दो, ठेला लगाकर जी लूंगा.’
उन्नाव में जनता को संबोधित करते हुए रैली में सीएम योगी आदित्यनाथ कहते हैं, ‘कैसे एक विशेष पार्टी से जुड़े हुए लोग साल 2017 से उत्तर प्रदेश में तमंचा लहराते थे.’
अप्रैल को मथुरा, फिरोजाबाद और आगरा में रैली के दौरान भी सीएम के सुर कुछ इसी तरह रहे. उन्होंने जनता के संबोधित करते हुए कहा, ‘हमारी सरकार की एक ही युक्ति, अपराधी और गंदगी से मिले प्रदेश को मुक्ति.’
आगरा में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शहर के युवाओं के हाथ में अब टैबलेट होते हैं, तमंचे नहीं.
बीते शुक्रवार यानी 28 अप्रैल को योगी ने सीतापुर, लखीमपुर, बलरामपुर और गोरखपुर का दौरा किया था. उस दौरान उन्होंने सीतापुर में माफिया, अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को राक्षसों का चेहरा बताया था.
बुलडोजर राजनीति से परेशान विपक्ष
उत्तर प्रदेश में बीजेपी की बुलडोजर राजनीति ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को परेशान कर के रख दिया है. साल 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव की पार्टी सपा ने अपने चुनाव प्रचार में भारतीय जनता पार्टी पर कई बार पलटवार करते हुए बुलडोजर के नाम का इस्तेमाल किया था.
अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान हर भाषण में बुलडोजर को बीजेपी से जोड़ते हुए पार्टी को तानाशाही का मिसाल बताया था. हालांकि उनकी ये रणनीति काम नहीं आई और जनता ने एक बार फिर योगी को ही अपना सीएम चुना.
बुलडोजर का सफरनामा
डीजीपी मुख्यालय ने एक आंकड़ा जारी किया जिसके अनुसार राज्य में 30 मार्च 2022 तक 25 माफियाओं के 879.96 करोड़ रुपये की संपत्ति को बुलडोजर से ढहा दिया गया है या फिर जब्त किया जा चुका है. इनके अलावा 8 छोटे माफिया की 42.33 करोड़ रुपये की संपत्ति का जब्तीकरण/ध्वस्तीकरण किया गया.
इसी आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा बुलडोजर राज्य में मुख्तार अंसारी और उसकी गैंग की संपत्तियों पर चलाया गया है. आंकड़ों की मानें तो गैंगस्टर एक्ट के तहत मुख्तार अंसारी और उससे जुड़े लोगों की लगभग 393 करोड़ की संपत्ति पर बुलडोजर चलाई जा चुकी है.
RSS ने भी शुरू कर दी लोकसभा चुनाव की तैयारी
यूपी में संघ की सक्रियता विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही बढ़ गई थी. संघ ने अपनी पहुंच गांव मोहल्ला तक बनाने की रणनीति पर काम में तेज ला दी है. आरएसएस ने मिशन 2024 के लक्ष्य को पूरा करने के लिए राज्य में काम तेज कर दिया है. संघ के केंद्र में इस बार रोजगार और प्रत्येक गांव में शाखा शुरू करने का लक्ष्य है. यानी हर गांव में संघ की शाखाएं लगाई जाएंगी. हिंदुत्व के एजेंडे को गांव तक धार देने में संघ जुट गया है.
अतीक की हत्या और असद के एनकाउंटर से बीजेपी को फायदा या नुकसान
15 अप्रैल को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस की मौजूदगी के दौरान ही गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड पर यूपी के लोग क्या सोचते हैं इस पर ABP न्यूज़ चैनल और C वोटर ने सर्वे किया था.
सर्वे में पूछा गया कि अतीक की हत्या और असद के एनकाउंटर से भारतीय जनता पार्टी को आने वाले निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव में फायदा होगा या नुकसान’, इसके जवाब में 47 प्रतिशत लोगों ने माना कि इससे बीजेपी को फायदा मिलेगा. वहीं 17 प्रतिशत लोगों का कहना है कि इस हत्याकांड के बाद बीजेपी को नुकसान होगा. जबकि 28 प्रतिशत लोगों की मानना था कि इससे बीजेपी और आने वाले चुनाव में पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ेगा. जबकि 10 प्रतिशत लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया.
अतीक ही हत्या पर क्या सोचते हैं यूपी के लोग
इसी सर्वे में अतीक और अशरफ की हत्या पर लोगों की राय पूछी गई तो 14 फीसदी लोगों का मानना है कि ऐसा होना पुलिस की नाकामी है. जबकि 24 प्रतिशत लोगों ने इस घटना को राजनीतिक साजिश बताया और 51 फीसदी का कहना है कि वह माफिया था और उससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह जिंदा है या नहीं. जबकि 11 प्रतिशत को इस बारे में पता नहीं है.
इस सर्वे में पूछा गया कि अपराधियों के एनकाउंटर पर राज्य की जनता क्या सोचती है तो 50 फीसदी लोगों ने एनकाउंटर को सही और नैतिक बताया. जबकि 28 प्रतिशत ने ऐसा करना इंसाफ का तरीका नहीं है कहकर इसे गलत बताया. 13 फीसदी लोगों ने इसे न सही न नैतिक कहा और 9 प्रतिशत ने कोई भी जवाब नहीं दिया.
निकाय चुनाव जीतना बीजेपी के लिए क्यों जरूरी
नगर निकाय चुनाव होने में 15 दिन से भी कम का समय बचा हुआ है. यह चुनाव बीजेपी के लिए इसलिए भी जरूरी है क्योंकि में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा बीजेपी की दांव पर लगी है. इसका एक कारण ये भी है कि नगर निकाय चुनाव में बीजेपी हमेशा से ही बेहतर प्रदर्शन करती आ रही है. दूसरा कारण ये है कि सरकार में रहते पार्टी पर बड़ा दबाव है.
भारतीय जनता पार्टी ने पिछले नगर निगम चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया था, लेकिन नगर पालिका और नगर पंचायत में पिछड़ गई थी. उस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सपा और निर्दलीयों ने कड़ी टक्कर दी थी. नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में निर्दलीय बीजेपी से दो गुना ज्यादा जीते थे. इस बार सपा और बसपा ने विधानसभा चुनाव के बाद से ही तैयारी शुरू कर दी थी, जिसके चलते बीजेपी की चुनौती बढ़ गई है.