#readerfirst Why ‘invincible’? Brij Bhushan Singh, who is facing opposition from the entire sports fraternity, is so much in BJP ..
हाइलाइट्स
पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों पर विवादों में घिरे हैं
आधा दर्जन लोकसभा क्षेत्रों में है बृजभूषण सिंह का दबदबा
6 बार के सांसद की नगर निकाय चुनाव में है अहम भूमिका
लखनऊः बृजभूषण शरण सिंह इन दिनों महिला पहलवानों के लागाए आरोपों के कारण चर्चा में हैं। उन्होंने जो ‘अजेयता की ढाल’ पहन रखी है, वह उन्हें उत्तर प्रदेश के आधा दर्जन लोकसभा क्षेत्रों में उनके दबदबे के कारण मिली हुई है। एक बात यह भी है कि भाजपा के कई अन्य सांसदों की तुलना में संतों के साथ उनके मजबूत संबंध हैं और अयोध्या में राम मंदिर के लिए चले आंदोलन में उनकी निभाई भूमिका भी उन्हें मजबूत बनाती है। पूर्वी यूपी में उनके दर्जनों शैक्षणिक संस्थान हैं, जो उनके वोट बैंक को जोड़ते हैं। इसके अलावा, नगर निकाय चुनावों ने एक ऐसा माहौल बनाया है जो 6 बार के सांसद के पक्ष में काम करता है। इस समय महिला पहलवानों के लगाए यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर वह विवादों में हैं।
दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तारी की कोशिश भी नहीं की
सिंह भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष हैं और इन दिनों कई भारतीय पहलवान उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली पुलिस ने सिंह के खिलाफ दो मामले दर्ज किए हैं। प्राथमिकी में से एक नाबालिग लड़की की दी हुई यौन उत्पीड़न की लिखित शिकायत पर है, जो कड़े यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम के तहत दर्ज की गई है, जिसमें जमानत की कोई गुंजाइश नहीं है। फिर भी दिल्ली पुलिस ने सिंह को गिरफ्तार करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया है।
बृजभूषण पर बीजेपी ने भी मूंद ली हैं आंखें
सिंह जोर देकर कहते हैं कि वह जांच का सामना करेंगे, लेकिन ‘अपराधी के रूप में’ इस्तीफा नहीं देंगे। अनुशासन पर दृढ़ रहने का दावा करने वाली भाजपा ने फिलहाल उनके व्यवहार को लेकर आखें मूंद ली हैं। 2011 में डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभालने से बहुत पहले सिंह अपनी बाहुबली वाली छवि के लिए जाने जाते थे। अयोध्या आंदोलन में एक प्रमुख खिलाड़ी रहे सिंह को उस समय उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए वन-मैन आर्मी के रूप में जाना जाता था, जब पार्टी की राज्य में राजनीतिक मंच पर मौजूदगी कम थी।
छात्रनेता के रूप में शुरू की राजनीति
साल 1957 में गोंडा में जन्मे सिंह की राजनीति में दिलचस्पी सत्तर के दशक में एक कॉलेज छात्र नेता के रूप में शुरू हुई। उन्होंने प्रतिशोध के साथ राजनीति में प्रवेश किया, जब भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी अयोध्या आंदोलन के दौरान गोंडा आए थे। सिंह ने आडवाणी के रथ को ‘ड्राइव’ करने की पेशकश की और इसने उन्हें भाजपा के भीतर तुरंत प्रसिद्धि दिलाई। सिंह ने अपना पहला चुनाव 1991 में गोंडा से राजा आनंद सिंह को हराकर जीता था। अगले साल उन्हें बाबरी विध्वंस मामले में एक अभियुक्त के रूप में नामित किया गया, जिसने उनकी ‘हिंदू समर्थक छवि’ को मजबूत किया। उन्हें 2020 में अन्य लोगों के साथ बरी कर दिया गया था।
6 बार जीता चुनाव
सिंह गोंडा, बलरामपुर और कैसरगंज से छह बार लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं और अपनी राजनीतिक सूझबूझ से कहीं ज्यादा उन्हें क्षेत्र के माफिया के रूप में जाना जाता रहा है। एक समय सिंह पर तीन दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। 1996 में उन पर अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के साथियों को पनाह देने का आरोप लगा था। उस पर आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (टाडा) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया और उसे जेल भेज दिया गया। जेल में रहने के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने कथित तौर पर उन्हें पत्र लिखा था, जिसमें उन्हें साहस रखने और ‘सावरकरजी को याद करने के लिए कहा गया था, जिन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी’।
बीजेपी ने दिया है राजनैतिक संरक्षण
बाद में मुख्य रूप से सबूतों की कमी के कारण उन्हें मामले में बरी कर दिया गया था। वर्ष 1996 में जब वह जेल में थे, तब भाजपा ने उनकी पत्नी केतकी सिंह को लोकसभा का टिकट दिया और वह बड़े अंतर से जीतीं। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा ने सिंह को हमेशा ‘पर्याप्त राजनीतिक संरक्षण’ दिया है, मुख्यत: पूर्वी यूपी और राजपूतों के बीच उनके दबदबे के कारण। पार्टी नेतृत्व जानता है कि अगर उसने सिंह को बाहर का दरवाजा दिखाया तो उसे सीटों का नुकसान होगा। सदी के अंत के बाद ही सिंह का दबदबा बढ़ा है और इसलिए उनकी धन शक्ति भी बढ़ी है।
‘अजेय’ क्यों हैं? पूरी खेल बिरादरी का विरोध झेल रहे बृजभूषण सिंह भाजपा में इतने ..

Leave a comment
Leave a comment