Principal Secretary Sonamni Bora inspected the Shaheed Veer Narayan Singh Museum under construction in Nava Raipur
निर्धारित समय-सीमा में गुणवत्ता के साथ पूरा करने के दिए निर्देश
रायपुर, 04 सितम्बर 2024/आदिम जाति, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग तथा अल्प संख्यक विकास विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने आज नवा रायपुर में निर्माणाधीन शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय का साप्ताहिक निरीक्षण किया। उन्होंने मौके पर उपस्थित अधिकारियों, इंजीनियर्स, क्यूरेटर एवं निर्माण एजेंसी के अधिकारियों से अब तक के कार्य की प्रगति के संबंध में जानकारी ली। उन्होंने निर्माण एजेंसी के अधिकारियों से कार्य को निर्धारित समयावधि में पूरा करने के लिए मैन पावर बढ़ाने के निर्देश दिए।
बोरा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा माह नवंबर में संग्रहालय का लोकार्पण किया जाना प्रस्तावित है। अतः कार्य में गुणवत्ता के साथ तेजी लाई जाए। इस अवसर पर सचिव सह आयुक्त श्री नरेन्द्र कुमार दुग्गा एवं अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी (स्वतंत्रता संग्राम सेनानी) संग्रहालय पुरखौती मुक्तांगन के समीप 45 करोड़ की लागत से लगभग 10 एकड़ भूमि पर स्थापित किया जा रहा है।
प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने कहा कि यह संग्रहालय न केवल छ.ग. के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के स्वतंत्रता काल में दिए गए सर्वोच्च बलिदान को याद दिलाएगा, बल्कि छत्तीसगढ़ की गौरवशाली आदिवासी परंपरा से भी आमजन को रूबरू करवाएगा। बोरा ने निर्माणाधीन स्थल पर उपस्थित मूर्तिकारों से भी चर्चा की। क्यूरेटर द्वारा द्वारा बताया गया कि संग्रहालय में लगने वाली लगभग 60 प्रतिशत मूर्तियों का निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है, जबकि शेष कार्य को भी निर्धारित समयावधि में पूरा कर लिया जाएगा। मूर्तियों की फिनिशिंग का कार्य भी समानांतर रूप से किया जा रहा है।
गौरतलब है कि निर्माणाधीन संग्रहालय में कुल 15 गैलरियां हैं। प्रथम गैलरी में छत्तीसगढ़ की जनजातीय जीवन शैली का परिचय का खूबसूरत वर्णन किया गया है, वहीं दूसरी गैलरी में राज्य की जनजातियों पर अंग्रेजों और स्थानीय हुकूमत के अत्याचार का, तीसरी गैलरी में वर्ष 1774-79 के डोंगर क्षेत्र के हल्बा विद्रोह का दृश्य, चौथी गैलरी में सरगुजा विद्रोह (1792) का दृश्य, पांचवी गैलरी में भोपालपट्टनम विद्रोह (1795) का दृश्य, छठवीं गैलरी में परलकोट विद्रोह (1824-25) का दृश्य, सातवीं गैलरी में तारापुर विद्रोह (1842-54) का दृश्य, आठवीं गैलरी में लिंगागिरी विद्रोह (1856) का दृश्य, नौवीं गैलरी में कोई विद्रोह (1859) का दृश्य, दसवीं गैलरी में दंतेवाड़ा के मेरिया विद्रोह (1842-63) का दृश्य, ग्यारवीं गैलरी में मुरिया विद्रोह (1876) का दृश्य, बारहवीं गैलरी में रानी चौरिस विद्रोह (1878-82) का दृश्य, तेरहवीं गैलरी में बस्तर के भूमकाल विद्रोह (1910) का दृश्य, चौदहवीं गैलरी में शहीद वीर नारायण सिंह के सोनाखान विद्रोह (1857) का दृश्य एवं पंद्रहवीं गैलरी में झण्डा सत्याग्रह एवं जंगल सत्याग्रह के वीर आदिवासी नायकों के संघर्ष (1923, 1920) के दृश्य का बखूबी चित्रण किया जा रहा है। निश्चित ही यह संग्रहालय सभी वर्ग के लोगों के लिए एक आकर्षण का केन्द्र के रूप में बनकर उभरेगा।