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दीपावली महत्वपूर्ण त्योहारो में से एक है जानिए पांच दिनों की दीपावली पर खास बातें

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नारायणपुर-दिवाली या दीपावली दीपक के जलता प्रकाश की उजाला तरह मानव जीवन मे आने वाले अन्य त्योहार के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह दियों या रोशनी का पर्व है। दिवालीका त्योहार 14 साल के वनवास के बाद भगवान राम की अपने राज्य अयोध्या में वापसी के रूप में मनाया जाता है। इतना ही नहीं यह त्योहार समृद्धि की देवी लक्ष्मी और बुद्धि के देवता और बाधाओं को दूर करने वाले गणेश से भी जुड़ा हुआ है।

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पांच दिवसीय है दिवाली का पर्व- दिवाली का पर्व गोवर्धन पूजा से शुरू होकर भाईदूज के दिन संपन्न होता है। यह पांच दिवसीय त्योहार है। जिसमें धनतेरस, छोटी दिवाली, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे त्योहार मनाए जाते हैं।

दिवाली या दीपावली 2023 कब है-
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल का दिवाली या दीपावली कार्तिक महीने के 15वें दिन अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है। इस साल देशभर में दिवाली 12 नवंबर 2023, रविवार को मनाई जाएगी। इस साल गणेश-लक्ष्मी पूजा मुहूर्त शाम 06:11 बजे से रात 08:15 बजे तक रहेगा।

अमावस्या तिथि कब से कब तक-
इस साल अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 44 मिनट से प्रारंभ होगी और 13 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट पर समापन होगा।

धनतेरस, छोटी दिवाली, दिवाली, गोवर्धन पूजा व भाई दूज 2023 की डेट- इस साल धनतेरस का त्योहार 10 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा। छोटी दिवाली 11 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी। इसके ठीक अगले दिन दिवाली का पर्व 12 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा। 13 नवंबर 2023 को गोवर्धन पूजा मनाई जाएगी। 14 नवंबर 2023 को भाई दूज का त्योहार मनाया जाएगा।

धनतेरस क्यों मनाया जाता है: धनतेरस का त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व दिवाली के आने की पूर्व सूचना देता है। शास्त्रों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। माना जाता है कि संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए भगवान विष्णु ने ही धन्वंतरि का अवतार लिया था। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में धनतेरस का पर्व मनाया जाता है।

छोटी दिवाली क्यों मनाते हैं: धनतेरस के दूसरे दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली का पर्व मनाया जाता है। हर पर्व अश्विन या कार्तिक के अंधेरे पखवाड़े के चौदहवें दिन आती है। छोटी का अर्थ है छोटा, नरक का अर्थ है नरक और चतुर्दशी का अर्थ है चौदहवां। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह खुशी का दिन से कृष्ण द्वारा राक्षस नरकासुर की हार से जुड़ा है, जिसने 16 हजार राजकुमारियों का अपहरण कर लिया था।

दिवाली क्यों मनाई जाती है: रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम जब लंका के राजा रावण का वध कर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे तो उस दिन पूरी अयोध्या नगरी में दियों से सजी थी। भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या वापसी पर दीपावली का त्योहार मनाया जाता है।

गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है:

दिवाली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष का पहला दिन होता है। दुनिया के कुछ हिस्सों में इसे अन्नकूट (अनाज का ढेर), पड़वा, गोवर्धन पूजा, बाली प्रतिपदा, बाली पद्यामी और कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के रूप में भी मनाया जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, हिंदू भगवान कृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से होने वाली लगातार बारिश और बाढ़ से खेती और गाय चराने वाले गांवों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था। इसके बाद से ही गोवर्धन पूजा की जाने लगी।

भाई दूज क्यों मनाया जाता है: यह पंच दिवसीय दिवाली के पर्व का अंतिम दिन होता है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन आता है। इस दिन को भाई दूज, भाऊ बीज, भाई तिलक या भाई फोंटा के नाम से जाना जाता है। कुछ लोग इस खुशी के दिन को यम की बहन यमुना द्वारा तिलक लगाकर यम का स्वागत करने के संकेत के रूप में देखते हैं, जबकि अन्य इसे नरकासुर की हार के बाद सुभद्रा के घर में कृष्ण के प्रवेश के रूप में देखते हैं। सुभद्रा ने भी भगवान कृष्ण के माथे पर तिलक लगाकर उनका स्वागत किया था।

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