Birsa Munda, folk hero of tribal society: – OP Choudhary
बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने मोदी जी ने लिया ऐतिहासिक निर्णय
रायगढ़ :- बिरसा मुंडा को भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और मुंडा जनजाति का लोक नायक बताते हुए वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि वे आदिवासियों के पहले ऐसे नायक रहे जिन्हें भगवान का दर्जा दिया गया। भगवान बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश राज के दौरान 19 वीं शताब्दी के अंत में बंगाल प्रेसीडेंसी (अब झारखंड) में हुए आदिवासी धार्मिक सहस्राब्दी आंदोलन का नेतृत्व किया। यही वजह है कि वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए। ‘धरतीआबा’ नाम भी उनका परिचय रहा। 19 वीं शताब्दी के अंत के दौरान अंग्रेजों की कुटिल नीति से आदिवासियों से हड़पी गई जल-जंगल-जमीन का हक दिलाने के लिए भगवान बिसरा मुंडा ने आदिवासीयो के विद्रोह का नेतृत्व किया। 1895 में अंग्रेजों द्वारा लागू की गयी जमींदारी प्रथा और राजस्व-व्यवस्था के ख़िलाफ़ लड़ाई के साथ-साथ जंगल-जमीन की खुली लड़ाई करने वाले भगवान बिरसा मुंडा के लिए यह नेतृत्व सिर्फ विद्रोह के लिए नहीं बल्कि आदिवासी अस्मिता, स्वायतत्ता और संस्कृति को बचाने के लिए बड़ा महा संग्राम था। आदिवासियों के मसीहा बिरसा मुंडा ने संग्राम के पहले समाज के लोगों एक मंच पर संगठित किया फिर अंग्रेजों के ख़िलाफ़ महासंग्राम का शंखनाद कर दिया। भाजपा नेता विधायक रायगढ़ ओपी चौधरी ने महानायक बिरसा मुंडा को आदिवासी पुनरुत्थान का जनक निरूपित करते हुए कहा आदिवासी समाज से जुड़े लोगों के परेशानियों को नज़दीक से समझने वाले वे पहले लोक नायक थे । लोभ लालच के जरिए आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कराने वाले संगठनों के खिलाफ भी भगवान बिरसा मुंडा एक सशक्त आवाज बने। शिक्षा चिकित्सा के अभाव को ईश्वर का श्राप बता कर धर्म परिवर्तन कराने वालों के खिलाफ भी लोक नायक ने मजबूती से लड़ाई लड़ी और सामाजिक बदलाव के लिए आदिवासियों की प्रेरित किया। भगवान बिरसा मुंडा पहले ऐसे नायक थे जो आदिवासियों को यह समझाने में सफल रहे कि धर्म परिवर्तन से जीवन नहीं बदल सकता।आदिवासियों के नायक भगवान बिरसा मुंडा ने आदिवासियों को धर्म एवं संस्कृति से जुड़े रहने के साथ साथ धर्मांतरण के कुचक्र से बाहर निकलने का मार्ग सुझाया। आदिवासी पुनरुत्थान के नायक बिरसा मुंडा, अंग्रेजों के साथ साथ धर्म परिवर्तन करने वालों की आँखों में खटकने लगे थे। ओपी चौधरी ने उनके जीवन को संघर्ष की मिशाल बताते हुए राजनीति से जुड़े लोगो के लिए भी उनके जीवन को प्रासंगिक बताया।