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पर्यावरण को खतरा: बरमकेला के छैलफोरा में प्रस्तावित डोलोमाइट खदान के खिलाफ उठी आवाज

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रायगढ़। बरमकेला क्षेत्र का पर्यावरण और जनजीवन फिर एक नई चुनौती का सामना करने जा रहा है। ग्राम छेलफोरा में शुभ मिनिरल्स द्वारा प्रस्तावित डोलोमाइट खदान के लिए 18 नवंबर को जनसुनवाई आयोजित की गई है। इस खदान की उत्पादन क्षमता 10 हजार टन प्रतिवर्ष तय की गई है, जो 50 वर्षों तक संचालित होगी। हालांकि, खदान के विरोध में स्थानीय नागरिक और पर्यावरणविद् पहले ही अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं।

झूठी ईआईए रिपोर्ट की चर्चा

खदान के लिए तैयार की गई पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए) रिपोर्ट को लेकर गंभीर आरोप लग रहे हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि खदान संचालन से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा, बल्कि क्षेत्र में रोजगार और जीवनस्तर में सुधार होगा। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि इस क्षेत्र में वन्यजीवों की उपस्थिति नहीं है। लेकिन स्थानीय लोग इसे झूठा और भ्रामक करार दे रहे हैं।

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वास्तविकता: प्रदूषण और पर्यावरणीय क्षति

बरमकेला क्षेत्र में पहले से ही कई वैध और अवैध खदानें चल रही हैं, जिनका दुष्प्रभाव स्थानीय पर्यावरण और स्वास्थ्य पर स्पष्ट दिखता है। वायु, जल, मृदा और ध्वनि प्रदूषण का स्तर पहले ही खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है। खनिज और पर्यावरण विभाग के पास इन खदानों की ईआईए रिपोर्ट को जांचने का समय नहीं है, जिससे खनन कंपनियां मनमानी करती हैं।

सड़क दुर्घटनाओं का बढ़ सकता है खतरा

50 वर्षों तक संचालित होने वाली इस खदान से भारी परिवहन होगा, जिससे हाईवे पर ट्रैफिक लोड और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाएगा। इसके अलावा, खदान के आसपास लगातार धूल और शोर का स्तर बढ़ेगा, जिससे स्थानीय निवासियों का जीवन प्रभावित होगा।

छेलफोरा और आसपास के गांवों के लोग खदान के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उनका कहना है कि क्षेत्र में पहले से मौजूद खदानों ने पर्यावरण और उनके जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। वे चाहते हैं कि इस नई खदान को स्वीकृति न दी जाए और क्षेत्र के पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान दिया जाए।

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