Acharya Anshuman Shastri was the origin of Maharaj Dashrath’s tenth chariot
साकेत तिवारी जांजगीर – तिवारी निवास में चांपा में चल रहे भागवत कथा में आचार्य अंशुमन शास्त्री ने दशरथ जन्म की कथा सुनाते हुए कहा कि एक समय की बात है जब राजा दशरथ के पिता महाराज अज को आत्मग्लानि हुई कि मेरे पुत्र नहीं है तब वह एक महात्मा प्रार्थना कर पूछने लगे कि मुझे पुत्र प्राप्ति कैसे होगी तब महात्मा जी ने कहा कि हे अज तुम अपने मेहनत से धन एकत्रित करो और उस यज्ञ करो जिससे तुम्हें संतान की प्राप्ति होगी महात्मा जी के आज्ञा से महाराज अज एक दिन के लिए एक लोहार के घर में काम करने गया और एक दिन जो काम करके धन कमाया उसी से यज्ञ किया जब संपूर्ण हुआ तभी यज्ञ कुंड से एक-एक करके रथ निकलते गए 9 रथ निकले और आकाश की ओर अंतर्ध्यान हो गए दसवां रथ निकाला जिसमें एक बालक था और आकाशवाणी हुई की है अज यह पुत्र को तुम स्वीकार करो और महाराज अज ने उस पुत्र को स्वीकार किया चूंकि दसवीं रथ में वह बाला के को प्राप्त किया इसलिए उसे बालक का नाम पड़ा महाराज दशरथ है