सूरा सो पहचानिये , जो लरे दीन के हेत
सौरभ बरवाड़/भाटापारा- सरवंश दानी श्री गुरुगोविन्द सिंघ जी जब केवल नौ बरस के थे तबt उनके पिता श्री गुरुतेग बहादुर जी ने दिल्ली के चाँदनी चौक पर हिन्दू धर्म की रक्षा के लिये अपने शीश की बलि दे दी , परिवार से मिले त्याग और बलिदान के संस्कारों से अपने सरवंश दान कर धर्म की रक्षा की श्री गुरुगोविन्द सिंघ जी के बड़े बेटे वीर योद्धा अजित सिंघ जी महज 18 वर्ष की उम्र वीर योद्धा जुझार सिंघ जी ने 14 वर्ष की उम्र में चमकौर की धरती पर मुगल सैनिकों से युद्ध करते हुए अपनी शहादत दीं । दोनों छोटे साहबजादों जोरावरसिंह महज 9 वर्ष और सबसे छोटे साहेबजादे फतेह सिंह जी 6 वर्ष की उम्र में जिन्दा दीवार में चुनवा दिया गया , दादा श्रीगुरतेग बहादुर साहिब और दादी माता गुज़री के साथ सिक्ख पंथ के दशम गुरु पिता श्री गुरुगोविन्द सिंघ के धर्म के प्रति आदर्शों को मान रखते हुए अपनी शहादत दे दी ।
आज के इस दिवस 26 दिसम्बर को भारत सरकार ने *वीर बालदिवस* के रूप में पूरे देश में मनाये जाने की घोषणा की ।
स्थानीय पंजाबी गुरुद्वारा गुरूसिंघ सभा द्वारा आज प्रातः शहीदी मार्च का आयोजन किया गया जिसमें समाज के बुजुर्गों , महिलाओं एवं बच्चे शामिल हुए , महिलाओं के द्वारा शहीदी के शबद कीरतन करते हुए नगर भ्रमण किया युवा समिति के उत्साही युवाओं ने भी शहीदी भजनों का गायन किया ।
शहीदी मार्च नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ पंजाबी गुरुद्वारा गुरूसिंघ सभा में सम्पन्न हुआ ।
समाज के अध्यक्ष स. त्रिलोक सिंघ सलूजा एवं सरदार रविन्द्रर सिंह चावला ,अरूण छाबड़ा ,देवेन्द्र सचदेव ने इस बलिदान दिवस पर साहबजादों को श्रद्धांजलि देते हुए उनको नमन किया ।
समाज के वरिष्ठजनों के साथ साथ युवाओं , महिलाओं एवं बच्चों ने सक्रियता से भाग लिया ।
स्थानीय गुरुद्वारा गुरूसिंघ सभा में 21 दिसम्बर से 28 दिसम्बर तक शहीदी सप्ताह का आयोजन भी किया गया है ।
जिसमें समाज के युवाओं , बच्चों एवं महिलाओं द्वारा श्रद्धांजलि स्वरूप कविता पाठ , शबद कीरतन , लेक्चर का आयोजन किया गया ।