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संत बालयोगी ने द्वितीय दिवस पर अर्थ, काम, धर्म, मोक्ष की कथा से बताया देवी भागवत की महिमा

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On the second day, Saint Balyogi explained the glory of Devi Bhagwat through the stories of wealth, work, religion and salvation

■कथावाचक विष्णु अरोड़ा ने भक्तो से कहा कथा सुनने के कीमती समय में देवी भागवत के सिख को जीवन में अपनाओ

सौरभ बरवाड़/भाटापारा :- भाटापारा में नागरिक ज्ञान यज्ञ समिति भाटापारा द्वारा आयोजित श्रीमद देवी भागवत के द्वितीय दिवस पर कल्याण क्लब मैदान पर संत बालयोगी विष्णु अरोड़ा के मुखार बृंद से देवी कथा की गंगा बही । जिसमे उन्होंने बताया कि देवी भागवत महापुराण में आखिर है क्या। देवी भागवत में 18 हजार श्लोक हैं इसमें आदमी के अज्ञान को मिटाने के लिए और ज्ञान का प्रकाश लाने के लिए यह देवी भागवत पुराण है । देवी भागवत के ज्ञान को जीवन में धारण करने का ग्रंथ है, जब तक ज्ञान की प्राप्ति नहीं होगी तब तक मुक्ति संभव नहीं है चाहे सैकड़ो जन्म हम ले ले । 18 पुराणों में सबसे सर्वोत्तम देवी भागवत को माना गया है क्योंकि यह ग्रंथ जीवन में हमें चार चीज़ प्रदान करता है, जिससे चतुष् पदार्थ कहते हैं अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष को प्रदान करता है और जब हम चारों को लेंगे तो हमारा लोक भी सुधर जाएगा और परलोक भी। देवी भागवत से हमारा लोक भी सुधरेगा और परलोक भी सुधरेगा। सबसे बड़ी विशेषता इसकी यह है की श्रीमद् भागवत तो बहुत बार सुनी होगी लेकिन उसमें जो महात्म की कथा है वह एक या दो कथा है लेकिन देवी भागवत में चार-चार कथाएं महात्म की है। कथावाचक विष्णु अरोड़ा जी ने महत्तम की कथाओ में जामवंतीन और भगवान के विवाह एवं देवी भागवत की कथा सुनने की कथा, वसुदेव का देवी भागवत सुनने की कथा सुनाई और उसका कथा का निचोड़ कथा वाचक बाल संत योगी विष्णु अरोड़ा जी ने बताया और कथा सुनने वाले भक्तों से निवेदन किया कि जो कीमती समय लेकर आप कथा सुनने के लिए आते हैं तो सिर्फ कथा सुनने के लिए नहीं अपने जीवन में इसे अपनाने की भी कोशिश करें। सियांतक मणि, रेवती नक्षत्र की कथा सुनाते हुए अर्थ, काम, मोक्ष, धर्म से सम्बंधित कथा बताई । सभी कथाओ का सार बताते हुए कथाओ से जुड़ी भ्रांतियों एवं शंकाओ का निवारण किया । अंतिम में देवी आरती एवं प्रसादी हुआ ।

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