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Hit and Run: क्या है ‘हिट एंड रन’ का नया कानून , क्या-क्या है सख्त प्रावधान ,किन नियमों से ड्राइवर हैं डरे….

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राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita 2023) अब कानून बन चुका है. आने वाले समय में इसके नए प्रावधान इंडियन पीनल कोड (IPC) के पुराने कानूनों की जगह ले लेंगे. लेकिन इसके एक प्रावधान को लेकर अभी से विरोध शुरू हो गया है. इस विरोध का कारण है हिट एंड रन (Hit and Run) का नया कानून. नया कानून कहता है कि अगर सड़क दुर्घटना (Road Accident) में किसी की मौत हो जाती है और गाड़ी चालक मौके से फरार हो जाता है तो उसे 10 साल की सजा हो सकती है. साथ ही जुर्माना भी भरना पड़ेगा.

कई राज्यों में ट्रक चालक इस नए कानून का विरोध कर रहे हैं. कुछ जगहों से चक्काजाम, अराजकता और पुलिस की ओर से हल्के बल प्रयोग की भी खबरें आई हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि हिट एंड रन को लेकर नया कानून क्या कहता है, पुराना कानून क्या था, इसे लेकर विरोध क्यों हो रहा है और ट्रक ड्राइवरों का यह विरोध कितना जायज़ है.

 

सेक्शन 104 में है हिट एंड कानून का जिक्र

दरअसल हिट एंड रन कानून को नई बनी भारतीय न्याय संहिता के सेक्शन 104 में समाहित किया गया है। इसके अनुसार यदि गलत ड्राइविंग या फिर लापरवाही के चलते यदि किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो फिर वाहन चालक को अधिकतम 7 वर्ष की सजा होगी और जुर्माना भी लगेगा। सेक्शन 104 (A) में इसका जिक्र किया गया है। वहीं 104 बी में साफ लिखा गया है कि यदि कोई हादसा हो जाता है और गाड़ी से टक्कर के बाद ड्राइवर खुद मौके से या वाहन समेत भाग निकलता है तो उसे 10 वर्ष की सजा होगी।

ड्राइवरों को सबसे ज्यादा चुभ रहा है यह सख्त प्रावधान

इसमें लिखा गया है कि यदि हादसे के बाद चालक घटना की जानकारी पुलिस अधिकारी या फिर मजिस्ट्रेट को नहीं देता है तो उसे 10 साल तक की कैद हो सकती है और फाइन भी देना होगा। इसी प्रावधान को लेकर ड्राइवरों में उबाल है। फिलहाल बस, ऑटो, टैक्सी और ट्रक ड्राइवर ही आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन यह सभी पर लागू होगा। ऐसे में निजी वाहन चालकों के लिए भी यह कानून चिंता का मसला है। ऐसे में आने वाले दिनों में हिट एंड रन को लेकर चल रहा आंदोलन बढ़ भी सकता है।

हिट एंड रन पर क्या कहते हैं कानूनी जानकार

कानून के जानकारों का कहना है कि हिट एंड रन को लेकर नए सख्त प्रावधान एक चुनौती बढ़ा सकते हैं। दरअसल इसमें कहा गया है कि हादसे के बाद वाहन चालक को पुलिस या मजिस्ट्रेट को जानकारी देनी होगी। यदि वह पीड़ित को मरता छोड़कर भाग जाता है तो 10 साल तक की कैद होगी और फाइन लगेगा। जानकार कहते हैं कि यह दोहरी मुसीबत है। यदि हादसे के बाद ड्राइवर रुकता है और पीड़ित को अस्पताल पहुंचाने के बारे में विचार करता है तो भीड़ उसे पीट-पीटकर मार सकती है। ऐसी घटनाएं कई बार हो चुकी हैं। अब यदि वह नहीं रुकता है तो फिर 10 साल की सजा होगी। इस तरह यह कानून दोधारी तलवार हो सकता है और इसी वजह से विरोध जारी है।

 

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