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Chhattisgarh News: देखें- सचिव से लेकर मैदानी स्‍तर तक के अफसरों की पात्रता, वित्‍त विभाग ने जारी किया निर्देश,

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Chhattisgarh News: See- Eligibility of officers from Secretary to field level, Finance Department issued instructions,

रायपुर। सरकारी अफसरों, कर्मचारियों और विभागों के वाहन की पात्रता को लेकर वित्‍त विभाग ने नया निर्देश जारी किया है। वित्‍त विभााग ने शासकीय वाहनों की पात्रता एवं क्रय के साथ नवा रायपुर अटल नगर स्थित कार्यालयों के लिए शासकीय वाहनों की ईंधन सीमा के निर्धारण के संबंध में निर्देश जारी किए गए है। उक्त समस्त निर्देशों को अधिक्रमित करते हुए निम्नानुसार समेकित निर्देश जारी किया जाता है

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01. विभाग / कार्यालय में शासकीय वाहनों की उपलब्धता के आधार पर शासकीय वाहन की पात्रता निम्नांकित अधिकारियों को होगी :-

(अ) अखिल भारतीय सेवा के वरिष्ठ वेतनमान एवं उससे ऊपर के अधिकारी।

(ब) मंत्रालय तथा विभागाध्यक्ष कार्यालयों के संयुक्त संचालक व उसके ऊपर के ऐसे अधिकारी, जिनके कार्य की प्रकृति ऐसी हो जिन्हें वाहन देना आवश्यक हो तथा

(स) मैदानी कार्यालय के ऐसे अधिकारी, जिनके लिये प्रशासकीय विभाग, वित्त विभाग की सहमति से पात्रता निर्धारित करें।

02. नये वाहन का क्रय व्यय का नवीन मद है। अतः कोई भी नया वाहन वित्त विभाग के माध्यम से बजट में प्रावधान कराने के बाद, सक्षम स्वीकृति के पश्चात् ही क्रय किये जाये।

03. नये वाहन भंडार क्रय नियम का पालन करते हुये क्रय किये जाये।

04. नये वाहन ऐसे क्रय किये जायें जिनकी परिचालन लागत तथा ईंधन व्यय कम हो।

05. वाहन उपयोग करने वाले प्राधिकारी के आधार पर नये वाहन क्रय हेतु निम्नानुसार संशोधित वित्तीय सीमा निर्धारित की जाती है

(अ) सचिव अथवा सचिव से उच्च स्तर के अधिकारी तथा जिला न्यायाधीश, जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक के उपयोग हेतु रू. 12.00 लाख की सीमा तक तथा

(ब) मंत्रालय एवं विभागाध्यक्ष कार्यालय में पदस्थ संयुक्त संचालक एवं उच्च स्तर के अधिकारी के उपयोग हेतु रू. 08.50 लाख की सीमा तक।

(स) मैदानी कार्यालय के अधिकारियों एवं पुल वाहन हेतु रू. 10.00 लाख की सीमा तक (कार्य एवं आवश्यकता के दृष्टिगत केवल Utility Vehicle SUV TYPE वाहनों हेतु रू. 10.00 लाख, शेष हेतु रू. 08.50 लाख तक)।

06. नवीन वाहन क्रय के प्रस्ताव में विभागों द्वारा वाहन क्रय हेतु जो प्रस्ताव वित्त विभाग को स्वीकृति हेतु भेजे जाते है, वे अपूर्ण होते है, जिससे प्रस्ताव का परीक्षण करने में कठिनाई होती है। अतः वाहन क्रय से संबंधित प्रस्ताव में प्रशासकीय विभाग द्वारा निम्नांकित जानकारी अनिवार्य रूप से दी जावे-

12 लाख से अधिक की गाड़ी नहीं खरीद सकते

वित्त विभाग ने वाहन उपयोग करने वाले प्राधिकारी के आधार पर नए वाहन खरीदने के लिए वित्तीय सीमा तय की है। सरकार ने साफ किया है कि सचिव, सचिव से उच्च स्तर के अधिकारी, जिला न्यायाधीश, जिला कलेक्टर, एवं पुलिस अधीक्षक के उपयोग के लिए 12 लाख तक की गाड़ी खरीदी जा सकती है। मंत्रालय एवं विभागाध्यक्ष कार्यालय में पदस्थ संयुक्त संचालक एवं उच्च स्तर के अधिकारी के लिए साढ़े 8 लाख तक की, मैदानी कार्यालयों के अधिकारियों एव पुल वाहन के लिए 10 लाख तक की सीमा एवं आवश्यकता को देखते हुए यूटिलिटी व्हीकल, एसयूवी टाइप की वाहनों के लिए 10 लाख की सीमा होगी।

बिना काम के गाड़ी का उपयोग नहीं

वित्त विभाग ने ये कहा है कि, शासकीय अधिकारियों द्वारा कार्य क्षेत्र के बाहर शासकीय वाहन को ले जाने पर प्रतिबंध रहेगा। विशेष परिस्थितियों में यह प्रतिबंध विभागाध्यक्ष द्वारा ही शिथिल किया जा सकेगा। वाहनों का मुख्यायलय एवं मुख्यालय के बाहर यात्रा करने पर प्रति लीटर औसत दूरी तय करने निर्धारण अधीक्षक स्टेट गैरेज द्वारा किया जाएगा। स्टेट गैरेज द्वारा निर्धारित औसत से अधिक पेट्रोल-डीजल का भुगतान नहीं हो रहा है, यह सुनिश्चित करने का दायित्व कार्यालय प्रमुख का होगा। यह आदेश शासन के सभी सार्वजनिक उपक्रम, निगम, मंडल, आयोग, विश्व विद्यालय एवं स्थानीय निकायों पर भी लागू होगा।

यात्रा भत्ता सीमित

वित्त विभाग ने एक अलग आदेश जारी कर शासकीय सेवकों की यात्रा एवं दैनिक भत्तों की दरों का पुनरीक्षण आदेश जारी किया है। हवाई यात्रा के लिए एचएजी वेतन मान प्राप्त करने वाले अधिकारी देश के अंदर एक्जीक्यूटीव क्लास से यात्रा के पात्र होंगे। वेतन लेवल 14 पे ग्रेड 7600 या इससे अधिक वेतन पाने वाले अधिकारी देश के अंदर इकोनॉमी क्लास से यात्रा के पात्र होंगे। वेतन लेबल 14 ग्रेड पे 7600 से कम वेतन प्राप्त करने वाले सभी अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी देश के अंदर विमान से इकॉनामी क्लास से यात्रा के पात्र होंगे। इस आदेश के अंत में ये भी कहा गया है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि यात्रा सक्षम स्वीकृती के बाद मितव्ययिता को ध्यान में रखते हुए किया गया है तथा इस आदेश के अंतर्गत किए गए व्यय को विभाग के चालू वित्तीय वर्ष के बजट प्रावधानों से अधिक न हो।

 

 

 

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