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चुनाव से पहले ट्रंप को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सुप्रीम कोर्ट का फैसला ट्रंप की जीत लेकिन ये चुनावों में फांस भी बन सकता है ,आधिकारिक फैसले के लिए नहीं चला सकते मुकदमा

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Trump gets a big relief before the election, Supreme Court said- Supreme Court’s decision is Trump’s victory but it can also become a thorn in the elections, case cannot be filed for official decision

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ट्रंप के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि ट्रंप के राष्ट्रपति रहते हुए लिए गए फैसलों पर किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला 6 जनवरी 2021 के दंगे को लेकर आया है. कोर्ट ने कहा कि आधिकारिक फैसलों के लिए ट्रंप पर मुकदमा नहीं चल सकता है. डोनाल्ड ट्रंप ने फैसले के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमारे संविधान और लोकतंत्र के लिए ये बड़ी जीत है. एक अमेरिकी होने पर गर्व है.

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ट्रंप ने इसके खिलाफ वाशिंगटन की निचली अदालत में केस दर्ज कर के अपील की थी कि उन पर आपराधिक मामलों चलाए जाएं और पूर्व राष्ट्रपति होने के नाते उन्हें छूट दी जाए. हालांकि निचली अदालत ने ट्रंप की इस अपील को खारिज कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब लोअर कोर्ट के फैसले को पलट दिया है. पिछले हफ्ते बाइडेन और ट्रंप के डिबेट में ट्रंप को मिली सफलता के बाद ट्रंप को दूसरी राहत मिली है.

चुनाव में धांधली करने का आरोप
अमेरिका में 6 जनवरी 2021 को कैपिटल हिल यानी अमेरिकी संसद में ट्रंप के समर्थकों ने हिंसा की थी. 2020 में राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग में बाइडेन को 306 और ट्रंप को 232 वोट मिले थे, जिसके बाद ट्रंप और उनके समर्थकों ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए हिंसा की थी. ट्रंप के समर्थक के समर्थकों ने संसद में घुसकर वहां तोड़फोड़ और हिंसा की, जिसमें पुलिस अफसर समेत 5 लोगों की मौत हो गई थी. हिंसा के बाद ट्रंप पर आरोप था कि उन्होंने अपने समर्थकों को भड़काया था. इस मामले में पिछले साल दिसंबर में जांच कमेटी ने एक रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें ट्रंप को दोषी ठहराया गया. इसमें 1000 चश्मदीदों के बयान दर्ज किए गए थे. वहीं 900 से ज्यादा लोगों पर आरोप लगाए गए थे.

अमेरिका में इस साल पांच नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं. चुनाव से पहले रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्डट्रंप और जो बाइडेन के बीच लाइव डिबेट हुई, जिसमें बाइडेन पर ट्रंप भारी नजर आए थे.
न्यायालय ने माना कि शक्तियों के संवैधानिक के तहत, एक पूर्व राष्ट्रपति राष्ट्रपति पर उन मामलों में आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता, जो उसने राष्ट्रपति के तौर पर “निर्णायक और विशिष्ट संवैधानिक अधिकार” के भीतर लिये थे. हालांकि उस छूट की सीमाओं को अभी आगे की कार्यवाही में निर्धारित करने की आवश्यकता होगी.

– न्यायालय ने ये भी कहा कि राष्ट्रपति को अपनी राष्ट्रपति शक्तियों के दायरे से बाहर “अनौपचारिक कामों” के लिए छूट नहीं है.

– मामले को यह निर्धारित करने के लिए निचली अदालत में भेज दिया गया है कि ट्रम्प द्वारा कौन सी विशिष्ट कार्रवाइयां आधिकार के दायरे में थीं और कौन सी नहीं.

– सुप्रीम कोर्ट जब ये फैसला दे रहा था तो फैसला 6-3 से हुआ, जिसमें न्यायालय के रूढ़िवादी बहुमत ने ट्रम्प का पक्ष लिया. उदारवादी न्यायाधीशों ने असहमति जताई.

इस फैसले के खतरे क्या हैं
– अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति बाइडन भी ये आशंका जता चुके हैं कि ये फैसला राष्ट्रपति को बेअंदाज और खासा ताकतवर कर सकता है तो कानून के राज को कमजोर भी. आलोचक भी यही कहना है जबकि समर्थकों का कहना है कि ये फैसला राष्ट्रपति पद की शक्तियों की उचित रूप से रक्षा करता है.

ये फैसला किस तरह ट्रंप के पक्ष में

1. यह ट्रंप की स्पष्ट जीत है
– ये फैसला डोनाल्ड ट्रंप की राजनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि ऐसा नहीं है कि मुकदमे ने उन्हें पूरी तरह पाकसाफ ठहरा दिया है लेकिन बहुत हद तक उन्हें राहत दे दी है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति पद पर बैठे हुए उन पर कैपिटल हिंसा के लिए चलाए जा मुकदमे में उन्हें अपने फैसले से इससे निकाल लिया है. हालांकि लोअर कोर्ट अब ये देखेगा कि उनके सारे कामों में कौन संविधान के दायरे में आता था और कौन सा नहीं. हालांकि ये कहना चाहिए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बहुत गहराई से विचार नहीं किया है.

ट्रंप पर एक मामला ये बन रहा था कि उन्होंने चुनावों में नतीजे आने के बाद न्याय विभाग के अधिकारियों से इसे लेकर बात की थी, जिसमें उन्होंने नतीजों को पलटने के लिए दबाव भी डाला था लेकिन सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ये उनके अधिकार क्षेत्र में आता है, हालांकि कोर्ट के ये कहने पर बहुत से लोग हैरान हैं.
अब ये लोअर कोर्ट तय करेगी कि ट्रंप पर अन्य कार्रवाइयों के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है या नहीं.

2. ट्रंप अब चुनाव लड़ सकते हैं और जीते तो इम्युनिटी मिलेगी
तकनीकी रूप से ट्रंप पर अब भी मुकदमा चलाया जा सकता है, लेकिन ये 2024 का चुनाव होने के बाद ही होगा. चुनाव से पहले ट्रंप पर मुकदमा चलाने की उम्मीद नहीं थी; इससे जो भी संभावना थी, वह कम हो गई. इसका मतलब ये भी हुआ कि अगर चुनाव में ट्रंप जीतकर प्रेसीडेंट बन जाएंगे तो फिर इस पद की इम्युनिटी हासिल कर मुकदमों से सबंधित फैसलों के प्रभाव तब तक लटका सकते हैं जब तक कि इस पद पर रहें.

3. क्या कोर्ट ने प्रेसीडेंट को कानून से ऊपर मान लिया
ये फैसला फौरी तौर पर चिंता का विषय है. इसका भविष्य के राष्ट्रपतियों पर भी दूरगामी प्रभाव पड़ेगा, जिसमें ट्रंप का संभावित दूसरा कार्यकाल भी शामिल है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से असमहति जताने वाले सोटोमायोर कहते हैं कि आधिकारिक शक्ति के हर उपयोग में, राष्ट्रपति अब कानून से ऊपर एक राजा है. उदार न्यायाधीशों को डर है इस फैसले का लोकतंत्र पर अच्छा असर नहीं पड़ेगा.

4. चुनावों में इसका क्या असर होगा
ये कहना चाहिए कि इस फैसले का चुनावों पर जरूरी नहीं कि ट्रंप के लिए बेहतर हो, क्योंकि अमेरिका में लोगों के बीच ये संदेश जा सकता है कि अगर ट्रंप राष्ट्रपति बने तो अपनी ताकत से परे जाकर लोकतांत्रिक संस्थाओं पर असर डालेंगे और तानाशाह जैसे व्यवहार भी कर सकते हैं. उनके मनमाने फैसलों का असर पूरे देश पर पड़ेगा. सबसे बड़ी बात ये होगी कि लोकतंत्र कमजोर होगा.

जाहिर सी बात है कि ये फैसला ट्रंप को दूसरे कार्यकाल में अधिक चरम तरीकों से कार्यकारी शक्ति का प्रयोग करने के लिए ताकतवर बनाएगा.

क्या ट्रंप चुनाव लड़ सकते हैं
ट्रंप बिल्कुल चुनाव लड़ सकते हैं हालांकि वह अब भी तीन संघीय और राज्य अभियोगों में 91 आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं. ट्रम्प को कई नागरिक मुकदमों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें न्यूयॉर्क अटॉर्नी जनरल द्वारा लाया गया 250 मिलियन डॉलर का धोखाधड़ी का मामला भी शामिल है. फरवरी 2024 में, ट्रम्प को व्यापार धोखाधड़ी के लिए उत्तरदायी पाया गया और $454 मिलियन का भुगतान करने का आदेश दिया गया.
– ई. जीन कैरोल को जूरी द्वारा बलात्कार के आरोप पर प्रतिक्रिया के लिए ट्रंप को मानहानि के लिए उत्तरदायी पाए जाने के बाद 83.3 मिलियन डॉलर का हर्जाना देने का आदेश दिया था.

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