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लटूरिया मंदिर से 07 जुलाई रविवार को 1 बजे निकलेगी भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा,मंदिर के इतिहास की अदभुत कथाएं है प्रचलित

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Lord Jagannath’s Rath Yatra will start from Laturiya temple on Sunday, July 7 at 1 pm, amazing stories of the history of the temple are popular

121 वर्ष पुरानी परंपरा का हो रहा निर्वहन

RO NO - 12784/135  

रविवार को भगवान जगन्नाथ पहुंचेगे अपने भक्तों को दर्शन देने उनके घर

इस मंदिर का रसोई भंडारा प्रसादी कभी कम नही पड़ता

सौरभ बरवाड़@भाटापारा :- भाटापारा को धर्म आयोजनों के चलते धर्मनगरी के नाम से जाना जाता है क्योंकि यहां लगभग जितने भी धर्म आयोजन है जिसमे भाटापारा की रामलीला का आयोजन 105 वर्ष पुराना चले आ रहा वही अखंड रामनामसप्ताह का आयोजन लगभग 90 वर्ष हो चुका है वही उसी कड़ी में इनसे भी प्राचीनतम एक आयोजन जो है वो है भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा । लगभग पिछले 121 वर्षों से अनवरत निकाली जा रही है भाटापारा के राम सप्ताह चौक के पास में स्थित जगन्नाथ मंदिर जहां भगवान जगन्नाथ के साथ बलभद्र जी और सुभद्रा देवी की मूर्ति स्थापित मंदिर है जिस मंदिर को लटूरिया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है जहां प्रतिवर्ष के आषाढ़ मास के द्वितीया के दिन रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है जिसमें भाटापारा के निवासियों के साथ आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी रथ यात्रा में शामिल होते हैं और बड़ी ही धूमधाम से रथ यात्रा लटूरिया मंदिर से निकालकर भाटापारा के बहुत सारे प्रमुख चौक चौराहों से होते हुए लगभग 10 से 12 किलोमीटर की यात्रा करते हुए वापस लटूरिया मंदिर में भगवान की स्थापना होती है। कहा जाता है कि इस दिन रथ यात्रा के माध्यम से भगवान जगन्नाथ सभी भक्तों के घर में दर्शन देने पहुंचते हैं जिसका आयोजन इस वर्ष 07 जुलाई 2024 दिन रविवार को होगा। जहां दोपहर 12 बजे भगवान की महाआरती और गजामूंग व महाप्रसाद का भोग लगने के पश्चात दोपहर 1:00 बजे से रथ यात्रा निकाली जाएगी।

इस मंदिर की अद्भुत प्रचलित कहानियां

भाटापारा के लटूरिया मंदिर जो कि जगन्नाथ भगवान का मंदिर है वहां के वर्तमान पुजारी जगदीश वैष्णव है जो कि चौथी पीढ़ी के है उनके द्वारा पूजन कार्य किया जा रहा है । बताया जाता है कि प्राचीनतम समय 121 वर्ष से भी पहले लटूरिया महाराज के द्वारा इस मंदिर की स्थापना की गई थी इस मंदिर में जो भगवान जगन्नाथ जी, बलभद्र जी एवं सुभद्रा देवी की जो मूर्ति है वह चंदन काठ की लकड़ी से निर्माणित मूर्ति है,जिसे लटूरिया दास जी महाराज ने भाटापारा से लगभग 610 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उड़ीसा राज्य के “पूरी” जहां की भगवान जगन्नाथ का मंदिर है जो चारों धाम में एक धाम है वहां से लाया गया है। लटूरिया दास महाराज जी के द्वारा भाटापारा से पैदल उड़ीसा राज्य के पूरी पहुंचे और वहां से अपने मित्र मंडली के साथ भगवान जगन्नाथ सुभद्रा देवी एवं बलभद्र जी महाराज की मूर्ति को लेकर वापस पैदल भाटापारा आए और इस मंदिर की स्थापना की। वही लटूरिया महाराज जी के बाद इस मंदिर का कार्यभार भगवान दास जी महाराज के हाथों में सौंपा गया बताया जाता है कि प्राचीनतम समय में बहुत वर्षों तक जो रथ निकाली जाती थी वह लकड़ी की रथ थी, जिसमें रथ यात्रा का आयोजन किया जाता था, वर्तमान में लोहे से बनी रथ में इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। वही कहते है “जगन्नाथ के भात को जगत पसारे हाथ को” जिस तरह से पूरी जगन्नाथ मंदिर में प्रसाद कभी कम नही पड़ता वैसे ही भाटापारा के लटूरिया महराज के जगन्नाथ मंदिर का भंडारा रसोई भोजन कभी श्रद्धालुओं के लिए कम नही पड़ता। भगवान दास जी महाराज के बाद उनके नाती पोते के रूप में धन्ना महाराज इस मंदिर के पुजारी रहे और वर्तमान में धन्ना महाराज के पुत्र जगदीश वैष्णव के द्वारा इस मंदिर में पुजारी की भूमिका निभाई जा रही है कहा जाता है कि यह मंदिर बहुत ही शुभ एवं सिद्ध माना जाता है जहां पर भगवान जगन्नाथ के दर्शन कर लोग अपनी मनोकामना मांगते हैं जो कि पूरी होती है। भाटापारा में लटूरिया मंदिर एक मात्र जगन्नाथ जी का प्रसिद्ध मंदिर है । जहां भाटापारा व आसपास के श्रद्धाल अपनी मनोकामना और भगवान का आशिर्वाद करने पहुँचते है ।

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