Amritpal Singh got angry at his own mother for her statement on Khalistan, it is not a crime to dream of a Khalsa state, said MP Amritpal after his mother’s statement
पंजाब के खंडूर साहिब से लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह ने शुक्रवार (5 जुलाई 2024) को संसद सदस्य की शपथ ली। सेफ हाउस में अमृतपाल ने लगभग 50 मिनट तक अपने पिता और चाचा से मुलाकात की। इसके बाद उन्हें डिब्रूगढ़ जेल ले जाया गया। इस बीच अमृतपाल का एक बयान आया, जिसमें उन्होंने खुद को पंथ का बेटा और खालसा राज्य की माँग को वाजिब बता रहा है।
‘वारिस पंजाब दे’ नाम के खालिस्तान समर्थक संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने खुद को अपनी माँ के बयान से भी अलग कर लिया। अमृतपाल की माँ ने कहा था कि पंजाब के युवाओं के पक्ष में बोलने से अमृतपाल ‘खालिस्तान समर्थक’ नहीं बन जाते। वह खालिस्तान समर्थक नहीं हैं। उन्होंने कहा, “अमृतपाल ने संविधान के दायरे में चुनाव लड़ा और अब उन्हें खालिस्तान समर्थक नहीं कहा जाना चाहिए।”
दरअसल, अमृतपाल की मां बलविंदर ने 5 जुलाई को कहा था, “अमृतपाल सिंह खालिस्तान समर्थक नहीं हैं. पंजाब के अधिकारों के लिए आवाज उठाना और युवाओं की भलाई के लिए काम करना किसी को खालिस्तान का समर्थक नहीं बनाता है. उन्होंने भारतीय संविधान के दायरे में रहकर चुनाव लड़ा. अब उन्होंने संविधान की शपथ भी ले ली है. ऐसे में उन्हें वैसा नहीं बताया जाना चाहिए.” वीडियो वायरल होने पर सिख कट्टरपंथियों ने बयान की आलोचना भी की थी.
मेरे परिवार या समर्थकों से नहीं आना चाहिए ऐसा बयान: अमृतपाल सिंह
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार (7 जुलाई) को अमृतपाल सिंह का बयान भी वायरल होने लगा. इसमें उन्होंने कहा, “आज जब मुझे कल माता जी के जरिए दिए गए बयान के बारे में मालूम चला तो मैं बहुत दुखी हुआ. हालांकि मेरा मानना है कि माता जी ने अनजाने में ऐसा कहा है. मेरे परिवार या मेरा समर्थन करने वाले किसी भी शख्स की तरफ से ऐसा बयान कभी नहीं आना चाहिए.”
खालसा राज का सपना अधिकार नहीं गर्व की बात: अमृतपाल सिंह
खडूर सांसद ने कहा, “खालसा राज का सपना देखना सिर्फ अधिकार नहीं बल्कि बेहद गर्व की बात है. अनगिनत सिखों ने इस सपने के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है और हम इस पवित्र रास्ते से पीछे हटने की कल्पना भी नहीं कर सकते. मैंने अक्सर मंचों से ऐलान किया है कि अगर कभी भी पंथ और मेरे परिवार के बीच चयन करने का सामना करना पड़ा, तो मैं हमेशा बिना किसी हिचकिचाहट के पंथ को चुनूंगा.”
आगे कहा गया, “इस संबंध में इतिहास का वाक्य बहुत सटीक है जहाँ बंदा सिंह बहादुर के 14 वर्षीय युवा साथी इस सिद्धांत के प्रमुख उदाहरण हैं। जब माँ ने अपने बेटे को बचाने के लिए उसके सिख होने से इनकार कर दिया तो उस किशोर ने कहा कि जब वह सिख नहीं है तो वह भी उसकी माँ नहीं है। बेशक यह उदाहरण इस घटना के लिए बेहद सख्त है, लेकिन सैद्धांतिक नजरिए से यह समझने के काबिल है।”
उसमें आगे लिखा है, “मैंने इसके लिए अपने परिवार को नसीहत देता हूँ कि सिख राज्य पर समझौते के बारे में सोचना भी अस्वीकार्य है। उम्मीद है कि आगे यह गलती नहीं दोहराई जाएगी। यह कहना बहुत दूर की बात है कि भविष्य में सोचते समय ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए।” पोस्ट में अंत में लिखा है, “गुरु पंथ का गुलाम अमृतपाल सिंह बांदी डिब्रूगढ़ जेल असम।”
अमृतपाल सिंह को खडूर साहिब सीट पर 1,97,120 वोटों से जीत मिले है। उन्हें कुल 4,04,430 वोट मिले थे। वहीं, कॉन्ग्रेस के कुलबीर सिंह जीरा को कुल 2,07,310 वोट मिले। साल 2019 में यहाँ से कॉन्ग्रेस के जसबीर सिंह गिल जीते थे। अमृतपाल फिलहाल NSA के तहत असम की जेल में बंद हैं। उन्होंने जेल में रहते हुए चुनाव लड़ा था।