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मनी लॉन्ड्रिंग: जामताड़ा के पांच साइबर क्रिमिनल दोषी,अदालत 23 जुलाई को सुनाएगी सजा

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Money laundering: Five cyber criminals from Jamtara convicted, court will pronounce sentence on July 23

रांची की एक विशेष पीएमएलए अदालत ने शनिवार को जामताड़ा के पांच निवासियों को एक “संगठित” साइबर अपराध सिंडिकेट चलाने के लिए धन शोधन विरोधी कानून के तहत दोषी ठहराया। सूत्रों ने बताया कि अदालत द्वारा 23 जुलाई को सजा की घोषणा किए जाने की उम्मीद है।

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2020 में स्ट्रीम की गई “जामताड़ा” नामक एक नेटफ्लिक्स सीरीज़ के बारे में कहा जाता है कि यह इस जिले के कुछ अपराधियों द्वारा शुरू की गई फ़िशिंग फ़ोन कॉल और बैंक खातों की ठगी की वास्तविक जीवन की घटनाओं पर आधारित है, जिसने इसे कई वर्षों तक ‘साइबर अपराध की राजधानी’ का नाम दिया।

पुलिस और अन्य जाँच एजेंसियों ने बाद में इन अपराधियों के खिलाफ़ पूरी ताकत झोंक दी, जिनमें से कई युवा थे। आधिकारिक सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दोषी ठहराए गए लोगों में गणेश मंडल (51), उनके बेटे प्रदीप कुमार मंडल (30), संतोष मंडल (51) और उनके बेटे पिंटू मंडल (33) और अंकुश कुमार मंडल (27) शामिल हैं।

ईडी ने झारखंड पुलिस की एफआईआर और आरोप पत्र का संज्ञान लेने के बाद इन साइबर अपराधियों के खिलाफ पीएमएलए के तहत आपराधिक आरोप लगाए, जिसमें उन पर बैंक अधिकारी होने की आड़ में भोले-भाले लोगों के खातों से पैसों की अवैध निकासी का आरोप लगाया गया था.

ईडी ने कहा था कि उसकी जांच में पाया गया कि आरोपियों ने अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर बैंक ग्राहकों, कुछ अन्य व्यक्तियों को धोखा देकर अपने बैंक खातों और परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर किया था. इन पैसों को घरों के निर्माण और वाहनों की खरीद में निवेश किया था.

बताते चलें कि साल 2020 में ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम की गई वेब सीरीज ‘जामताड़ा’ में इस जिले के साइबर अपराध को विस्तार से दिखाया गया था. इसके बाद जामताड़ा पूरे देश में साइबर अपराध के मामलों के लिए चर्चित हो गया था. तबसे पुलिस इस इलाके में सक्रिय है.

बताते चलें कि देश में बीते कुछ वर्षों के दौरान फाइनेंशियल फ्रॉड के मामलों में तेजी आई है. लोकलसर्किल्स के एक ताजा सर्वे में दावा किया कि बीते 3 साल में 47 फीसदी भारतीयों ने एक या ज्यादा फाइनेंशियल फ्रॉड का अनुभव किया है. यानी कि देश की आधी आबादी इस वक्त साइबर ठगों की पहुंच में हैं.

किसी न किसी तरह से ठग लोगों को चूना लगा रहे हैं. इस सर्वे में ये भी कहा गया कि इनमें यूपीआई और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी फाइनेंशियल फ्रॉड सबसे आम हैं. आधे से ज्यादा लोगों को क्रेडिट कार्ड पर अनऑथराइज्ड चार्ज लगाए जाने का सामना करना पड़ा है. सर्वे में पिछले 3 साल का डेटा शामिल है.

इस आधार पर लोकलसर्किल्स ने कहा है कि 10 में से 6 भारतीय फाइनेंशियल फ्रॉड की सूचना रेगुलेटर्स या लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों को नहीं देते हैं. सर्वे में शामिल लोगों में से 43 फीसदी ने क्रेडिट कार्ड पर फ्रॉड वाले ट्रांजैक्शन की बात कही है. 36 फीसदी ने कहा कि उनके साथ फ्रॉड वाला ट्रांजैक्शन हुआ है.

फ्रीज किए गए 8674 खाते
झारखंड में जनवरी 2024 तक साइबर अपराधियों से जुड़े 8674 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया है। सीआईडी के एक अधिकारी के अनुसार इन खातों को फिशिंग गतिविधियों के तहत इस्तेमाल होने के संदेह में फ्रीज किया गया है। इसमें देवघर जिले में करीबन 2002 खातों को फ्रीज किया गया है। वहीं धनबाद में 1183 और रांची में 959 खाते फ्रीज हुए हैं। अधिकारी ने बताया, ‘हमें इंडियन साइबरक्राइम कोर्डिनेशन सेंटर से फ्रीज किए गए खातों के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद हमने जिलों और बैंकों के आधार पर सूची तैयारी की।’

 

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