The issue of airline ticket booking in Lok Sabha, this is too much! Flight ticket worth Rs. 33000 sold for Rs. 93000, questions raised on the airline company
नई दिल्ली: संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है। इस दौरान लोकसभा में एयरलाइंस की टिकट बुकिंग का मुद्दा उठा। इस दौरान डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने टाटा कंपनी पर सवाल खड़े किए। उन्होंने आरोप लगाया कि कि टाटा कंपनी एयरलाइन्स की टिकट बुकिंग में मोनोपॉली करती है। इसके लिए उन्होंने खुद के टिकट बुकिंग का उदाहरण दिया। उन्होंने सदन में मुद्दा उठाते हुए बताया कि आखिर कैसे 33 हजार रुपये का टिकट 93 हजार तक पहुंच गया। जैसे ही डीएमके सांसद ने इस बात का जिक्र किया तो लोकसभा अध्यक्ष ने भी इस पर चिंता जता दी।दयानिधि मारन ने कहा कि उन्होंने चेन्नई से दिल्ली का एक वन वे टिकट बुक कराया, जिसकी कीमत 33,000 रुपये थी. लेकिन, जब वे पेमेंट करने के लिए आगे बढ़े तो टिकट के दाम बढ़कर 78000 से 93000 रुपये पर पहुंच गए. उन्होंने इस मामले को गंभीर बताया और सिविल एविशन मिनिस्ट्री से जांच करने को कहा.

DMK सांसद ने उठाया फ्लाइट टिकट का मुद्दा
डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने लोकसभा में गुरुवार को बताया कि मैं विस्तारा एयरलाइन से टिकट बुक करता हूं। मुझे ऑनलाइन टिकट बुक करने की आदत है। जो टाटा कंपनी के मातहत है। टाटा कंपनी बुकिंग के लिए एक सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करती है जो टाटा की टीसीएस के मातहत है। लेकिन ये देखा गया है और मैंने भी देखा है कि जब हमने कोई टिकट बुक किया तो वो 33 हजार रुपये का था, चेन्नै से दिल्ली का वन वे टिकट। जब मैं पेमेंट करने गया तो वहां एक एरर मैसेज शो कर रहा था, जैसे ही एरर मैसेज आया कीमत 93 हजार रुपये तक पहुंच गया।
चेन्नई से दिल्ली का टिकट इतना महंगा
डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने प्रश्नकाल के दौरान संसद में कहा, “मैं टाटा के स्वामित्व वाली विस्तारा एयरलाइन से चेन्नई से दिल्ली का टिकट बुक कर रहा था, बुकिंग के समय फेयर 33,000 रुपये था. लेकिन, बुकिंग के दौरान कंपनी की वेबसाइट पर एरर आने से प्राइस बढ़कर 93 से 78 हजार रुपये हो गया.” उन्होंने कहा कि यह देखकर मैं हैरान रह गया. दयानिधि मारन ने इस घटना को षडयंत्र बताया और इसकी जांच करने को कहा है.
दयानिधि मारन के आरोपों के बाद सिविल एविशन मिनिस्टर के राममोहन नायडू ने कहा कि वे इस मामले की जांच कराएंगे. वहीं, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी इस मामले पर चिंता जाहिर की. उन्होंने सिविल एविएशन मिनिस्टर से कहा कि इस मामले की जांच कराई जाए, क्योंकि सांसदों को मिलने वाले यात्रा भत्ता का पैसा सरकार के कोष से जाता है.