UPSC took a big action against Pooja Khedkar, she will no longer be an IAS officer, she is also barred from giving exams, she will never be able to give exams again
नई दिल्ली। आईएएस पूजा खेडकर पर विवादों के बाद संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने बड़ा कदम उठाया है। यूपीएससी ने Pooja Khedkar के भविष्य में किसी भी परीक्षा या चयन में भाग लेने पर रोक लगा दी है। यूपीएससी ने आईएएस पूजा खेडकर के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए उनकी CSE-2022 की उम्मीदवारी को भी रद्द कर दिया है। आयोग ने पुष्टि की है कि पूजा खेडकर ने CSE-2022 के नियमों का उल्लंघन किया है।
यूपीएससी ने CSE के पिछले 15 वर्षों के डाटा की गहन जांच की, जिसमें 15 हजार से अधिक उम्मीदवार शामिल थे। जांच के दौरान पाया गया कि पूजा खेडकर ने परीक्षा के नियमों का पालन नहीं किया। इस जांच के आधार पर उनकी उम्मीदवारी को रद्द कर दिया गया है। खेडकर के खिलाफ पिछले कुछ समय से विभिन्न विवादों की रिपोर्टें सामने आ रही थीं, जिनमें उनके कार्यशैली और फैसलों को लेकर सवाल उठाए गए थे।
यह कदम यूपीएससी द्वारा लिए गए कड़े निर्णयों में से एक माना जा रहा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आयोग अपनी चयन प्रक्रियाओं और अधिकारियों की आचरण की गंभीरता से निगरानी करता है। वर्तमान में पूजा खेडकर को भविष्य में किसी भी सरकारी सेवा परीक्षा में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी, जिससे उनके करियर पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
यूपीएससी ने कहा कि सभी रिकॉर्ड की जांच के बाद ये सामने आया कि पूजा खेडकर ने CSE-2022 नियमों का उल्लंघन किया है. आयोग ने सीएसई के पिछले 15 सालों के डाटा को रिव्यू किया जिसमें 15 हजार से ज्यादा कैंडिडेट्स शामिल थे.
गौरतलब है कि पूजा खेडकर पर फर्जीवाड़े का आरोप लगा है. दिल्ली की कोर्ट में बुधवार (31 जुलाई) को पूजा खेडकर की अंतरिम जमानत पर सुनवाई हुई. कोर्ट से सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. कोर्ट 1 अगस्त को अपना फैसला सुनाएगा.
बीते दिनों पूजा खेडकर के खिलाफ दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मामला दर्ज किया था. यूपीएसपी की शिकायत के बाद पुलिस ने ये कार्रवाई शुरी की. पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने दस्तावेजों में नाम, तस्वीर, ईमेल और एड्रेस में गलत जानकारी दी. क्राइम ब्रांच की कार्रवाई के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए ही पूजा खेडकर ने कोर्ट का रुख किया.
इससे पहले यूपीएससी ने पूजा खेडकर को नोटिस भी जारी किया था. आयोग अपनी जांच में पाया था कि खेडकर ने नाम, पिता और माता का नाम, तस्वीर/हस्ताक्षर, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और पता बदलकर अपनी फर्जी पहचान बनाकर परीक्षा नियमों के तहत स्वीकार्य सीमा से अधिक प्रयास का धोखाधड़ी से लाभ उठाया.