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महतारी वंदन योजना से बांस शिल्प कला को मिल रही है नई पहचान, आर्थिक रूप से सशक्त होने में भी मिल रही है मदद

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Bamboo craftsmanship is getting a new identity through the Mahtari Vandan Yojana, and is also helping in becoming economically empowered

पीएमजनमन के तहत शत प्रतिशत विभागीय योजनाओं से किया जा रहा है लाभांवित

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सौरभ बरवाड़@बलौदाबाजार,27 अगस्त 2024/ जिले के अंतिमछोर में स्थित कसडोल विकासखंड अंतर्गत ग्राम बल्दाकछार में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजाति कमार महिलाओं के लिए महतारी वंदन योजना बड़ी खुशी लेकर आई है। महतारी वंदन योजना से यहाँ के बांस शिल्प कला को अब एक नई पहचान मिल रही है। इसके साथ ही उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त होने में भी मदद मिल रही है। जिला प्रशासन द्वारा पीएमजनमन के तहत शत प्रतिशत विभागीय योजनाओं से लाभांवित करने का प्रयास किया जा रहा है।

कमारपारा में निवासरत श्रीमती चांदनी बाई कमार ने बताया कि वह परंपरागत रूप से बांस शिल्प एवं कृषि के समय मजदूरी का कार्य करके ही अपने जीवकोपार्जन करती है। उन्होनें आगे कहा कि महतारी वंदन योजना से प्रतिमाह 1 हजार रूपये मिलने वाले पैसों का उपयोग बांस खरीदने में करती हूं। जिससे मैं बांस से निर्मित झेंझरी, सुपा,पर्रा,टुकनी सहित अन्य सजावटी वस्तुएं अधिक संख्या में बना पाती हूं। इसे बेचकर मुझे अच्छी खासी आमदनी मिल जा रही है। उन्होनें महतारी वंदन योजना के लिए राज्य सरकार को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए इसकी राशि बढ़ाने की आग्रह की है। इसी तरह उनके पड़ोसी श्रीमती ममता कमार भी महतारी वंदन योजना से मिलने वाली राशि का उपयोग बांस शिल्प एवं अपनी बच्ची 1 वर्षीय लवली कमार के शिक्षा के लिए बचत कर रही है। साथ ही उन्होनें बताया कि राज्य सरकार द्वारा खाद्यान्न सहायता के तहत 35 किलो चावल हर माह मिलता है। महतारी वंदन योजना से हर माह मिलने वाली राशि उनके लिए बहुत बड़ा सहारा है। छत्तीसगढ़ की परंपरा रही है कि यहां बेटियों को अगाध स्नेह और सम्मान दिया जाता है। बेटियों का हर घर में विशेष स्थान होता है। तीज- त्यौहारों में बेटियों और बहनों को स्नेह से भेंट और राशि दी जाती है। महतारी वंदन योजना लागू होने से महिलाओं के विश्वास की जीत हुई है।

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