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रास पंचाध्यायी भागवत जी का प्राण आचार्य अंशुमान शास्त्री

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Acharya Anshuman Shastri, the lifeblood of Raas Panchadhyay Bhagwat

साकेत तिवारी
तिवारी परिवार चांपा में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा में आचार्य अंशुमान शास्त्री ने कहा की भगवान जी का साक्षात विग्रह स्वरूप बताया जाता है जिसमें 12 स्कंध हैं वह भगवान जी के 12 अंग माने जाते हैं और इसी में से दशम स्कंध भगवान जी का हृदय और दशम स्कंध में पांच अध्याय रास की कथा भगवान श्री कृष्ण जी का प्राण माना जाता है भगवान श्री सुखदेव जी महाराज कहने लगते हैं कि है राजन परीक्षित यह रास मैं प्रवेश पाने के लिए गोपियों को जैसा अपने अंदर से जीव एवं परमात्मा के बीच माया रुपी पर्दा को हटाना पड़ा इस प्रकार हम मनुष्यों को यह रास की कथा श्रवण करने के लिए अपने हृदय से मोह माया रूपी भ्रम को दूर करना पड़ेगा तब जाकर के यह रस की कथा को हम धारण कर सकते हैं क्योंकि भगवान जी को प्राप्त करने के लिए निर्मल मन का होना एवं माया रुपी पर्दा का हमारे जीवन से दूर होना अत्यंत ही आवश्यक है और जिस प्रकार से निर्मल मन लेकर गोपिया भगवान जी को पाने के लिए प्रवेश की इस प्रकार हम मनुष्यों को भी स्वच्छ निर्मल हृदय लेकर भगवान जी को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए

Ro No- 13028/187

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