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प्रशासन की टीम ने रुकवाया 5 नाबालिगों का विवाह

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The administration team stopped the marriage of 5 minors

सौरभ बरवाड़/बलौदाबाजार- 22 फ़रवरी 2025/कलेक्टर दीपक सोनी के मार्गदर्शन में जिला बाल संरक्षण इकाई महिला एवं बाल विकास बलौदाबाजार द्वारा जिले में बाल विवाह रोकथाम के लिए समुदाय को जागरूक करने हेतु विविध गतिविधियों का आयोजना किया जा रहा है साथ ही बाल विवाह किए जाने की जानकारी मिलने पर जिला बाल संरक्षण इकाई एवं चाईल्ड हेल्पलाईन की टीम के द्वारा संबंधित एकीकृत बाल विकास परियोजना एवं पुलिस थाने के सहयोग से त्वरित कार्यवाही कर बाल विवाह की रोकथाम की जा रही है। इसी कड़ी में फरवरी माह के तीसरे सप्ताह में संयुक्तटीम द्वारा 5 प्रकरणों में बाल विवाह रुकवाया गया।

Ro.No - 13073/128

प्राप्त जानकारी के अनुसार चाईल्ड हेल्पलाईन 1098 एवं अन्य माध्यमों जिला बाल संरक्षण इकाई को पलारी विकासखण्ड के नगर पंचायत क्षेत्र,भाटापारा विकासखण्ड के ग्राम कुम्हारखान,तरेंगा एवं टोनाटार तथा बलौदाबाजार विकासखण्ड के ग्राम खम्हरिया यदु में कुल 5 प्रकरणों में नाबालिग बालिकाओं तथा विवाह की आयु पूर्ण नही किए बालकों का विवाह तय किए जाने की जानकारी प्राप्त होने पर जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री टिक्वेन्द्र जाटवर के द्वारा प्रकरणों में त्वरित कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया। जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम द्वारा संबंधित ग्रामों में जाकर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों से परिजनों को अवगत कराकर बाल विवाह रोकथाम की कार्यवाही की गई। ग्राम खम्हरिया यदु में 17 वर्ष 9 माह की ,ग्राम घोटिया में 17 वर्ष 03 माह की नाबालिग बालिका के विवाह को मंडप दिवस के एक दिन पूर्व, ग्राम कुम्हारखान में 17 वर्ष 05 माह एवं 19 वर्षीय युवक के विवाह को कुम्हरखान पहुच चुकी बारात को वापस भेजकर रोका गया। बेमेतरा की 16 वर्ष 5 माह की बालिका से विवाह करने जाने वाले युवक एवं परिजनों को समझाईश देकर रोका गया। ग्राम टोनाटार के 15 वर्ष 5 माह की नाबालिग बालिका के ग्राम लवनबन के 18 वर्ष 5 माह के लड़के से दिनांक 25 फ़रवरी को होने वाले विवाह को भी परिजनों को समझाईश देकर रोका गया।
पांचो प्रकरणों में वर-वधु पक्ष को बाल विवाह के कारण बालिकाओं तथा युवको पर होने वाल सामाजिक,शारीरिक दुष्प्रभावों के बारें में जानकारी प्रदान की गई। विवाह हेतु निर्धारित आयु से कम उम्र में विवाह , गर्भधारण से जोखिम पूर्ण प्रसव तथा कुपोषित शिशु एवं नवजात शिशु की मृत्यु तक हो जाने की संभावनों को बताते हुए दोनो पक्षो को विवाह हेतु निर्धारित आयु पूर्ण होने के उपरांत विवाह करने की समझाईश दी गई।

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