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जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ….संसद सदस्यता रद्द होने के बाद महुआ मोइत्रा पर एक और आफत

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Know what the Supreme Court said….After cancellation of Parliament membership, another trouble for Mahua Moitra

कैश फॉर क्वेरी के मामले में संसद की सदस्यता गंवा बैठीं तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता महुआ मोइत्रा ने बुधवार (13 दिसंबर) को सुप्रीम कोर्ट से मामले में तत्काल सुनवाई की मांग की. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसको भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ के सामने रखना होगा और वो इसकी लिस्टिंग पर फैसला करेंगे.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महुआ मोइत्रा की लोकसभा से अपने निष्कासन को चुनौती देने वाली याचिका को सूचीबद्ध करने पर भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ फैसला लेंगे. जस्टिस संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ के सामने मोइत्रा की याचिका का, तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए उल्लेख किया गया.

8 दिसंबर को महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित किया गया था. कैश फॉर क्वेरी मामले की जांच के बाद संसद की एथिक्स कमेटी ने महुआ की सदस्यता खत्म करने की सिफारिश की थी. 8 दिसंबर को उसने अपनी रिपोर्ट संसद में पेश कर दी थी. इसके बाद वोटिंग हुई जिसके दौरान सदन में जमकर हंगामा हुआ था.

11 दिसंबर को मोइत्रा अपने निष्कासन को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं. उन्होंने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इसमें महुआ ने अपनी सदस्यता रद्द करने की प्रक्रिया को गैरकानूनी बताया है.

‘कैश फॉर क्वेरी’ मामला
सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई ने जांच एजेंसियों को एक चिट्ठी लिखकर महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाया था कि वो आर्थिक लाभ लेकर संसद में सवाल पूछती हैं. इस चिट्ठी के बाद बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर ये आरोप लगाया और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की. दुबे ने पैसे देने वाले का नाम भी लिया- बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी. TMC सांसद पर लगे आरोपों की शिकायत संसद की एथिक्स कमेटी को भेजी गई थी. कमेटी ने जांच के बाद इन आरोपों को सही ठहराया था.

लोकसभा में मंजूर हुई आचार समिति की रिपोर्ट
जस्टिस कौल ने महुआ मोइत्रा के वकील अभिषेक सिंघवी से कहा, ‘‘इस पर सीजेआई फैसला लेंगे.’’ चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ पांच-न्यायाधीशों की उस संविधान पीठ का नेतृत्व कर रहे हैं जो बुधवार को एक मामले की सुनवाई के लिए बैठी. लोकसभा में आचार समिति की उस रिपोर्ट को मंजूर कर लिया गया जिसमें तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के मामले में ‘अनैतिक एवं अशोभनीय आचरण’ का जिम्मेदार ठहराया गया था.

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