Only 89 primary and 1 final appeals were made across the country for correction in voter list: No appeal from Chhattisgarh
रायगढ़, देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों (CEOs) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, अब तक सिर्फ 89 प्राथमिक अपीलें और 1 अंतिम अपील ही दायर की गई हैं — वह भी केवल महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पूर्व। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद और 7 जनवरी 2025 को SSR के अंतिम प्रकाशन तक छत्तीसगढ़ सहित किसी अन्य राज्य में कोई अपील नहीं दायर की गई। विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (Special Summary Revision – SSR)निर्वाचक नामावली के प्रकाशन के बाद नामों के समावेशन या विलोपन को लेकर राजनीतिक दलों द्वारा बहुत कम आपत्तियाँ दर्ज कराई गई हैं।

पूरे देश में SSR की व्यापक प्रक्रिया
यह रिपोर्ट देश के करीब 10.5 लाख मतदान केंद्रों और 4,123 विधानसभा क्षेत्रों में हुए SSR को समाहित करती है। इसमें उन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का SSR भी शामिल है, जहां 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव हुए, जैसे महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली।
मतदाता सूची का सतत अद्यतन
निर्वाचन आयोग के अनुसार, मतदाता सूची को पूरे वर्ष अद्यतन किया जाता है, सिवाय उस समय के जब किसी निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रक्रिया चल रही हो — अर्थात नामांकन की अंतिम तिथि से लेकर मतदान प्रक्रिया पूर्ण होने तक।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 में संशोधन के बाद अब एक वर्ष में चार अहर्ता तिथियाँ निर्धारित की गई हैं — 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्तूबर। हालांकि, वार्षिक संक्षिप्त पुनरीक्षण केवल 1 जनवरी को संदर्भ तिथि मानकर ही किया जाता है।
अपील प्रक्रिया और नियम
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1961 की धारा 24 के अंतर्गत, कोई भी व्यक्ति मतदाता सूची में नाम जोड़े जाने या हटाए जाने के विरुद्ध पहले जिला मजिस्ट्रेट (DM) और फिर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (CEO) के पास अपील कर सकता है।
निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम, 1960 के नियम 27 के अनुसार प्रथम अपील ERO (Electoral Registration Officer) के आदेश के 15 दिनों के भीतर जिला मजिस्ट्रेट के पास और द्वितीय अपील जिला मजिस्ट्रेट के आदेश के 30 दिनों के भीतर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के पास दायर की जा सकती है। इन अपीलों में विलंब को नियम 27 के प्रावधान अनुसार क्षम्य भी माना जा सकता है, यदि सक्षम अधिकारी उचित समझें।
जहाँ एक ओर मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर कई आरोप सार्वजनिक मंचों से लगाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कानूनी रूप से उपलब्ध प्रक्रियाओं का शायद ही कोई उपयोग किया गया है। हाल ही में 6 और 7 जनवरी 2025 को प्रकाशित विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SSR) के दौरान, निर्वाचक नामावली में प्रविष्टियों में संशोधन (धारा 22) अथवा नामों की प्रविष्टि (धारा 23) के संबंध में धारा 24 के अंतर्गत शायद ही कोई प्रथम या द्वितीय अपील की गई हो। इसलिए, जनवरी 2025 में SSR की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद प्रकाशित निर्वाचक नामावलियों को सभी राजनीतिक दलों द्वारा निर्विवाद रूप से स्वीकार किया गया मानना ही विकल्प रह जाता है।