CAA is India’s internal matter, blunt reply to America’s statement, those with limited understanding should not tell us’, India’s befitting reply to America
संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत में सीएए लागू करने को लेकर आपत्ति जताई और कहा कि वह इस पर कड़ी नजर रख रहा है। इसको लेकर भारत ने अब अमेरिका को जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीएए राज्यविहीनता के मुद्दे को संबोधित करता है, मानवीय गरिमा प्रदान करता है और मानवाधिकारों का समर्थन करता है।
सीएए नागरिकता छीनने के लिए नहीं, देने के लिए है
विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीएए नागरिकता देने के के लिए है, छीनने के लिए नहीं। इसलिए इस बात को रेखांकित किया जाना चाहिए। यह अधिनियम मानवीय गरिमा प्रदान करता है और मानवाधिकारों का समर्थन करता है। जहां तक सीएए के कार्यान्वयन पर अमेरिकी विदेश विभाग के बयान का संबंध है और कई अन्य लोगों द्वारा टिप्पणियां की गई हैं वह पूरी तरह गलत सूचना पर आधारित है और अनुचित भी है। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान अपने सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
सीएए की आलोचना करने पर भारत ने दिया जवाब
भारत ने अमेरिका विदेश विभाग को जवाब देते हुए कहा, “नागरिकता संशोधन अधिनियम अपनी समावेशी परंपराओं, मानवाधिकारों के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए भारत का आंतरिक मामला है। नागरिकता (संशोधन) कानून नागरिकता देने के लिए है, यह नागरिकता छीनने के लिए नहीं है।
अमेरिका के बयान पर जवाब देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 भारत का आंतरिक मामला है और इसके कार्यान्वयन पर संयुक्त राज्य अमेरिका का बयान गलत, गलत जानकारी वाला और अनुचित है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, “यह अधिनियम अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में आ चुके हैं. CAA से नागरिकता मिलेगी, इससे किसी की नागरिकता नहीं छिनेगी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, CAA राज्यविहीनता के मुद्दे को संबोधित करता है, मानवीय गरिमा प्रदान करता है और मानवाधिकारों का समर्थन करता है.
अमेरिका ने अधिनियम को लेकर जताई चिंता
दरअसल, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि हम 11 मार्च से नागरिकता (संशोधन) अधिनियम की अधिसूचना के बारे में चिंतित हैं।