Nestle: Be careful feeding Cerelac to children! Nestle is adding lots of sugar

मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले (Nestle) के खिलाफ अक्सर निगेटिव रिपोर्ट आती रहती है. इस बार कंपनी के फेमस बेबी फूड प्रोडक्ट सेरेलैक (Cerelac) को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी यूरोपीय देशों में क्वालिटी प्रोडक्ट बेचती है, जबकि भारत जैसे विकासशील देशों में घटिया उत्पाद बेच रही. वह भी आपके नौनिहालों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले प्रोडक्ट.
जांच में हुआ खुलासा
इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (IBFAN) और पब्लिक आई (Public Eye) जैसी ग्लोबल संस्थाओं ने नेस्ले के बेबी फूड प्रोडक्ट सेरेलैक और दूध वाले प्रोडक्ट निडो (Nido) की लैब में टेस्टिंग के बाद यह रिपोर्ट जारी की है. इसमें कहा गया है कि कंपनी भारत, लैटिन अमेरिका और अफ्रीकी देशों में बेचे जाने वाले अपने प्रोडक्ट में हाई शुगर मिलाती है. कंपनी पर दोहरा मापदंड अपनाने और बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ करने जैसे आरोप भी रिपोर्ट में लगाए गए हैं.
WHO ने दी चेतावनी
रिपोर्ट में कहा गया है कि WHO ने चेतावनी दी है कि जीवन की शुरुआत यानी छोटे पैदा हुए बच्चों में चीनी के संपर्क में आने से जीवन भर चीनी प्रोडक्ट को प्राथमिकता दी जा सकती है, जिससे मोटापा और अन्य पुरानी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. साल 2022 में, WHO ने बच्चों के लिए फूड प्रोडक्ट में अतिरिक्त शर्करा और मिठास पर प्रतिबंध लगाने को कहा था.
भारत है सबसे बड़ा बाजार
भारत में, जहां 2022 में सेल्स 250 मिलियन डॉलर से ज्यादा हो गई है. वहीं, दूसरी तरफ सभी बेबी प्रोडक्ट में प्रति सर्विंग करीब 3 ग्राम एक्स्ट्रा चीनी होती है. वहीं, अफ्रीका और साउथ अफ्रीका में बेचे जाने वाले प्रोडक्ट में प्रति सर्विंग 4 ग्राम या फिर ज्यादा चीनी पाई गई है.
अपने देश में क्या है मानक
नेस्ले का दोगलापन इसी बात से समझ में आता है कि स्विटजरलैंड और यूरोप के अन्य प्रमुख बाजारों में कंपनी यही प्रोडक्ट बिना शुगर मिलाए बेचती है, जो इसका ग्लोबल स्टैंडर्ड है. जाहिर है कि कंपनी की नजर में भारत, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देशों के बच्चों की उतरी कीमत नहीं, जितनी यूरोपीय देशों के बच्चों की है.