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महादेव को क्यों इतना प्रिय है सावन का महीना, कैसे पड़ा इसका नाम? ये है कारण,सावन मास इसलिए करते है भगवान शिव का जलाभिषेक

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Why is the month of Sawan so dear to Mahadev, how did it get its name? This is the reason, this is why Lord Shiva is worshipped with water in the month of Sawan

Sawan And Lord Shiva Connection: अगर आप भगवान भोलेनाथ (Lord Shiva) के भक्त हैं और पूरी भक्ति से उनकी आराधना करते हैं तो आपको ये बात तो जरूर पता होगी कि भगवान शिव को सावन (Sawan) का महीना सबसे ज्यादा प्रिय होता है. कहते हैं जो भी भक्त सच्चे मन से सावन में शिव की उपासना (Lord Shiva Worship) करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि भगवान शिव को 12 महीनों में से सिर्फ सावन का महीना ही क्यों पसंद आता है. (Connection Between Sawan And Lord Shiva) आखिर शिव और सावन का कनेक्शन क्या है. आइए आज आपको इसी बारे में हम बताते हैं.

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क्यों है शिव को सावन प्रिय (Why Sawan Is Dear To Lord Shiva )
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, माता सती ने ये प्रण लिया था कि जब भी उनका जन्म हो तो उन्हें भगवान शिव ही पति के स्वरूप में मिलें. इसके लिए उन्होंने अपने पिता राजा दक्ष के घर अपने शरीर को त्याग दिया था और हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया. कहा जाता है कि माता पार्वती ने सावन के महीने में भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की, जिसके चलते ही आगे जाकर उनका विवाह भगवान शिव के साथ हुआ. ऐसे में भगवान शिव को सावन का महीना बहुत पसंद होता है.

सावन मास में हुआ था शिव विवाह
पौराणिक मान्यता है कि राजा दक्ष के यज्ञ में आत्मदाह करने के बाद माता सती का दूसरा जन्म माता पार्वती के रूप में हुआ था। माता पार्वती ने शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और सावन माह में शिवजी ने माता पार्वती से विवाह किया था, इसलिए उन्हें यह माह प्रिय है। ब्रह्मा के पुत्र सनत कुमारों ने शिवजी से एक बार पूछा था कि आपको सावन मास क्यों प्रिय है, तब शिवजी ने उपरोक्त बात सनत कुमारों को बताई थी।

सावन मास इसलिए करते है भगवान शिव का जलाभिषेक
इसके अलावा यह भी मान्यता है कि जब देव और दैत्यों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था तो इस दौरान सबसे पहले विष निकला था और इसे शिवजी ने अपने गले में धारण कर लिया था। इसके कारण भगवान शिव का नाम नीलकंठ पड़ा। विष के कारण उनके शरीर का तापमान बढ़ने लगा तो देवताओं ने उन पर शीतल जल डालकर उस ताप को शांत किया। तभी से शिवजी को जल अति प्रिय लगने लगता है।

बारिश में डूब जाते हैं कई शिवलिंग
देश में कई शिव मंदिर ऐसे हैं, जहां बारिश के दौरान जलधारा सीधे शिवलिंग पर ही आकर गिरती है या बारिश के कारण शिवलिंग डूब जाते हैं। शिवलिंग के ऊपर एक कलश लटका रहता है, जिससे बूंद-बूंद जल शिवलिंग का अभिषेक करता है, जिसे जलाधारी कहते है। इसलिए भी सावन मास का विशेष महत्व है।

चंद्रमा व मां गंगा से भी सीधे संबंध
शिवजी के मस्तक पर सुशोभित चंद्रमा और गंगा मैया का संबंध भी सावन मास से है। दरअसल कैलाश पर्वत पर सभी स्थान पर बर्फ जमी रहती है और उसके पास मानसरोवर भी स्थित है। भगवान शिव को जल से काफी लगाव है। भगवान विष्णु तो जल में ही निवास करते हैं।

सावन में अपने ससुराल गए थे शिव
इतना ही नहीं कहा जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष को पिया था और पहली बार भगवान शिव पृथ्वी लोक पर अपने ससुराल सावन के महीने में ही आए थे, जहां उनका जोरदार स्वागत हुआ था. ऐसे में कहा जाता है कि सावन के महीने में हर साल भगवान शिव पृथ्वी पर आते हैं और सभी को अपना आशीष देते हैं. कहा जाता है कि इस माह में मर कंडू ऋषि के पुत्र मार्कण्डेय ने कठोर तपस्या कर शिव जी से आशीर्वाद प्राप्त किया था.

कैसे रखा गया इस महीने का नाम सावन
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, पांचवां महीना सावन है. वहीं, हिंदू महीनों के नाम पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के नक्षत्र में देखते हुए रखे गए हैं. जब हिंदू कैलेंडर का पांचवां महीना शुरू होता है, तब चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में होते हैं. यही वजह है कि इस महीने का नाम श्रावण मास कहा गया. फिर धीरे-धीरे श्रावण को सावन कहा जाने लगा.

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