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कवर्धा में 13 लाख की इनामी महिला नक्‍सली ने किया सरेंडर, छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र् में कई गंभीर अपराधों में शामिल, आत्मसमर्पित महिला की नक्सल संगठन में कार्यविधि

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A female Naxalite with a bounty of Rs 13 lakhs surrendered in Kawardha, involved in many serious crimes in Chhattisgarh-Madhya Pradesh-Maharashtra, working style of the surrendered woman in the Naxal organization

महिला नक्सली पिछले आठ सालों से माओवादी संगठन में सक्रिय सदस्य के रुप में काम कर रही थी. साल 2020 में महाराष्ट्र के तांडा में हुए बड़े पुलिस नक्सली मुठभेड़ समेत मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बड़े पुलिस नक्सली मुठभेड़ में शामिल रही है. महिला नक्सली पर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में कुल 19 अपराध दर्ज हैं. इसके लिए महिला माओवादी पर 13 लाख का इनाम घोषित था. मध्यप्रदेश सरकार ने 3 लाख, महाराष्ट्र सरकार ने 5 लाख और छत्तीसगढ़ सरकार ने 5 लाख रुपए का इनाम घोषित किया था.

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एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार की आत्मसमर्पित नीति और कबीरधाम पुलिस की अपील के चलते महिला नक्सली रनीता उर्फ हिड़मे कवासी ने कबीरधाम पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है.

”महिला नक्सली पिछले 8 सालों से माओवादी संगठन से जुड़ कर काम कर रही थी. कबीरधाम पुलिस के चलाए जा रहे अभियान से महिला नक्सली प्रभावित हुई और पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है. इसके लिए शासन की ओर से महिला को सहायता के रुप में 25 हजार रुपए दिया गया है.”

एसपी अभिषेक पल्लव ने यह भी कहा कि आत्मसमर्पण या नक्सलियों का पता बताने पर पुलिस ने जो पांच लाख रुपए की इनाम की घोषणा की थी, जल्द ही शासन से उन्हें दिलाया जाएगा. इसके अलावा आत्मसमर्पित नक्सलियों को प्रदेश और केंद्र सरकार से मिलने वाली योजना और सहायता का लाभ मिलेगा.

रनीता ने बताया कि वो कैसे बनी नक्सली: सरेंडर करने वाली महिला नक्सली रनीता ने बताया कि जब वह 13-14 साल की थी, तब नक्सली उसे अगवा कर अपने साथ ले गए. धीरे धीरे वह माओवादी विचारधारा से जुड़ गई. आठ साल में सैकड़ों मुठभेड़ में शामिल हुई.

महिला नक्सली रनीता के मुताबिक नक्सली संगठन में रहते हुए उसे एक नक्सली से प्रेम हुआ और शादी कर ली. अब अहिंसा का रास्ता छोड़ अच्छी जिंदगी बिताने का ख्याल आया तो संगठन और पति दोनों को छोड़कर सरेंडर किया है. पति अब भी नक्सली संगठन में सक्रिय है. अब पति को वापस लाने का प्रयास करेगी.

एसपी अभिषेक पल्लव ने कहा कि अभी महिला नक्सली रनीता ने आत्मसमर्पण किया है. हमें उम्मीद है उसका पति प्रेम जो अभी नक्सली संगठन में है, वह भी रनीता के प्रेम में वापस आएगा. कबीरधाम पुलिस भी रनीता के पति प्रेम और उसके अन्य साथियों से अपील करती है कि अहिंसा का रास्ता छोड़कर सरकार की योजना से जुड़ें और आत्मसमर्पण करें. शासन प्रशासन पूरा सहयोग करेंगे.

आत्मसमर्पित महिला की नक्सल संगठन में कार्यविधि

वर्ष जून 2016 में किस्टाराम एरिया में बाल संगम में शामिल हुआ।

2017 में संगठन में पूर्ण सदस्य बना, 06 माह किस्टाराम क्षेत्र में रही।

सितंबर 2017 में विस्तार हेतु एमएमसी जाने कोतुल एरिया माड़ आयी।

सितंबर 2017 में माड़ क्षेत्र से 20 लोगों के साथविस्तार के लिये एमएमसी में आकर टांडा एरिया पहुॅची।

अक्टुबर2017 से 2020 तक टांडा एरिया कमेटी में रही।

वर्ष 2021 से टांडा एरिया कमेटी को समाप्त कर मलॉजखण्ड व दर्रेकसा में शामिल करने पर मलॉजखण्ड़ एरिया कमेटी में सदस्य के रूप में जनवरी-फरवरी 2024 तक सक्रिय रही।

मलॉजखण्ड़ एरिया में एसजेडसीएम/ डिवीजन सचिव- विकास नागपुरे के साथ रही।

संगठन में 2022 में संगठन में मलॉजखण्ड़ एरिया कमेटी कमांडर के साथ शादी हुआ था। एक साल बाद पति-पत्नि अलग हो गये।

संगठन में छोटे स्तर के कैडर के साथ भेदभाव, दुर व्यवहार के कारण संगठन छोड़कर चली आयी।

संगठन में धारित हथियार-12 बोर

अपराधिक रिकार्ड-जिला खैरागढ़-छुईखदान-गण्ड़ाई क्षेत्रांतर्गत 3, जिला बालाघाट म0प्र0 क्षेत्रांतर्गत 19 घटित माओवादी घटनाओं में शामिल रही है।

महिला माओवादियों को आत्मसमर्पण कराने में जिला कबीरधाम के DSB शाखा में कार्यरत प्र आर घनाराम सिन्हा, प्र आर अभिजीत सिंह, आर कृपाराम, नव आर राजूलाल यादव, डीएसएफ आरक्षक तथा गो.सै. तीजू एवं दिवाकर तथा अन्य कर्मचारियों का विशेष योगदान रहा।

आत्मसमर्पित महिला नक्सली को पुनर्वास नीति के तहत् तत्काल 25,000 रूपये की सहायता राशि प्रदान की गयी. इसके साथ छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति के तहत प्रावधानित अन्य समस्त सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी।

जिला पुलिस कबीरधाम मीडिया के माध्यम से नक्सल संगठन में कार्यरत सभी लोगों से अपील करती है कि वे हिंसा का मार्ग त्याग कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हों और एक स्वस्थ, सुरक्षित तथा खुशहाल जीवन जीएं। हमारा उद्देश्य सभी भटके हुए युवाओं को पुनर्वासित कर उन्हें सम्मानित और समृद्ध जीवन प्रदान करना है। हिंसा का मार्ग छोड़कर आत्मसमर्पण करने वाले सभी व्यक्तियों को शासन की पुनर्वास नीति के तहत हर संभव सहायता और सुरक्षा प्रदान की जाएगी।

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