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भारत की दिग्गज बैडमिंटन स्टार अश्विनी पोनप्पा ने किया संन्यास का ऐलान, पेरिस ओलंपिक्स में हार के बाद फूट-फूट कर रोईं, कहा- अब नहीं खेलूंगी

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India’s legendary badminton star Ashwini Ponnappa announced her retirement, cried bitterly after losing in Paris Olympics, said – I will not play anymore

भारतीय बैडमिंटन की दिग्गज खिलाड़ी अश्विनी पोनप्पा मंगलवार को यह कहते हुए रो पड़ीं कि उन्होंने अपना आखिरी ओलंपिक खेल लिया है. पेरिस खेलों की महिला युगल स्पर्धा में उन्हें और उनकी जोड़ीदार तनीषा क्रैस्टो को लगातार तीसरी बार हार का सामना करना पड़ा. अश्विनी और तनीषा मंगलवार को अपने अंतिम ग्रुप सी मैच में ऑस्ट्रेलिया की सेतियाना मापासा और एंजेला यू से 15-21, 10-21 से हार गईं.

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उन्होंने अपने तीनों ग्रुप मैच हारकर अपना अभियान समाप्त कर दिया. अपने तीसरे ओलंपिक में खेल रहीं 34 वर्षीय अश्विनी से जब पूछा गया कि क्या वह 2028 लॉस एंजिल्स खेलों में खेलना चाहती हैं, तो उन्होंने कहा, ‘यह मेरा आखिरी ओलंपिक होगा, लेकिन तनीषा को अभी लंबा सफर तय करना है.

उन्होंने आंसू रोकने की कोशिश करते हुए कहा, यह भावनात्मक और मानसिक रूप से बहुत भारी पड़ता है, मैं इससे दोबारा नहीं गुजर सकती. यह आसान नहीं है, अगर आप थोड़े छोटे हैं तो आप यह सब झेल सकते हैं. इतने लंबे समय तक खेलने के बाद, मैं अब और नहीं खेल सकती.

ज्‍वाला के साथ गाड़े झंडे

अश्विनी पोनप्‍पा कुर्ग की हैं और भारत की अनुभवी शटलर हैं। 2001 में वह नेशनल सर्किट में आईं जहां ज्‍वाला गुट्टा के साथ पहला नेशनल खिताब जीता। अश्विनी-ज्‍वाला की जोड़ी ने भारत के लिए कई शानदार प्रदर्शन किए। दोनों ने 2010 दिल्‍ली कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स में गोल्‍ड मेडल जीता था। इसके अलावा उबर कप (2014 और 2016) और एशियाई चैंपियनशिप्‍स (2014) में ब्रॉन्‍ज मेडल जीता था।

2013 में ज्‍वाला-अश्विनी ने वर्ल्‍ड चैंपियनशिप्‍स ब्रॉन्‍ज मेडल जीता था और तब वो पहली महिला डबल्‍स जोड़ी बनी थी, जिसने यह उपलब्धि हासिल की।

तनिशा भी नहीं रोक पाईं आंसू

बहरहाल, अश्विनी पोनप्‍पा ने अपनी जोड़ीदार तनिशा के बारे में बात करते हुए कहा, ”हम आज जीत दर्ज करना चाहते थे। हमें उम्‍मीद थी कि आज का नतीजा कुछ और निकलेगा। मेरे और तनिशा के लिए सबसे बेहतर बात यह रही कि ओलंपिक्‍स तक पहुंचने की हमारी एक यात्रा रही। यह आसान नहीं थी।”तनिषा अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाई और वह बेसुध होकर रोने लगी ‘वह (अश्विनी) यहां मेरा सबसे बड़ा सहारा रही है. हम बेहतर परिणाम चाहते थे और हमने अपना सिर ऊंचा रखा. उसने हर बार मुझे प्रेरित किया.

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