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एमसीडी को हाई कोर्ट ने लगाई फटकार, कहा- ‘शुक्र है बारिश के पानी का चालान नहीं काटा’, पर यहां तो भगवान को भी मिल चुका है नोटिस ,SUV ड्राइवर की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने पुलिस से कहा,CBI करेगी कोचिंग सेंटर हादसे की जांच,

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The High Court reprimanded the MCD, said- ‘Thankfully no challan was issued for rain water’, but here even God has received a notice, on the arrest of the SUV driver, the High Court told the police, CBI will investigate the coaching center accident,

Delhi Rau’s Coaching IAS Aspirants Death Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने डूबने की घटना पर पुलिस और दिल्ली नगर निगम को फटकार लगाते हुए कहा कि वह यह नहीं समझ पा रही है कि छात्र कैसे बाहर नहीं आ पाए। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को यहां एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में सिविल सेवा के तीन उम्मीदवारों के डूबने की जांच पुलिस से सीबीआई (CBI) को सौंप दी। एक एसयूवी चालक को गिरफ्तार करने और घटना के लिए उसे दोषी ठहराने के लिए पुलिस की आलोचना करते हुए हाईकोर्ट ने कहा, ‘शुक्र है कि आपने बेसमेंट में घुसने के लिए बारिश के पानी का चालान नहीं काटा।’

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कहा- ‘आपने कहा होता कि पानी बेसमेंट में घुसने की हिम्मत कैसे हुई। आप पानी पर भी जुर्माना लगा सकते थे, जिस तरह से आपने एसयूवी चालक को वहां कार चलाने के लिए गिरफ्तार किया’

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि एमसीडी अधिकारियों को इसकी कोई परवाह नहीं है और यह एक सामान्य बात हो गई है। दिल्ली पुलिस द्वारा कोचिंग संस्थान के पास से गुजरी एसयूवी के ड्राइवर को गिरफ्तार करने का हवाला देते हुए अदालत ने कहा, “शुक्र है कि आपने बेसमेंट में घुसने के लिए बारिश के पानी का चालान नहीं काटा, जिस तरह से आपने एसयूवी ड्राइवर को वहां कार चलाने के लिए गिरफ्तार किया।”

बता दें कि श्रेया यादव, तान्या सोनी और नवीन डाल्विन, तीनों की 27 जुलाई की शाम को ओल्ड राजिंदर नगर में राऊ के आईएएस स्टडी सर्किल के बेसमेंट में बारिश का पानी घुसने से मौत हो गई। विभिन्न कोचिंग संस्थानों में नामांकित छात्र घटना के बाद से ही विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और कोचिंग सेंटरों में बेहतर सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे हैं, जो उनके जीवन के लिए खतरा पैदा करते हैं।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि दिल्ली में नालियों जैसे भौतिक बुनियादी ढांचे की स्थिति न केवल पर्याप्त है, बल्कि उनका रखरखाव भी ठीक से नहीं किया गया है और हाल की त्रासदियों ने दिखाया है कि नागरिक एजेंसियों को दिए गए उसके आदेशों का सही अर्थों में पालन नहीं किया जा रहा है और उनके साथ पानी की तरह व्यवहार किया जा रहा है।

सुनवाई के दौरान पीठ ने सिविल सेवा की तैयारी कर रहे छात्रों की मौतों पर दिल्ली पुलिस और नगर निगम को फटकार लगाई। पीठ ने कहा कि एमसीडी अधिकारियों को इसकी कोई परवाह नहीं है और यह एक सामान्य बात हो गई है।

पीठ ने एसयूवी मालिक की गिरफ़्तारी पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए पूछा सड़क से गुजर रहे व्यक्ति को कैसे गिरफ्तार किया गया? पुलिस का सम्मान तब होता है जब आप अपराधी को गिरफ्तार और निर्दोष को छोड़ देते हैं। आप निर्दोष को गिरफ्तार करेंगे और दोषी को छोड़ देंगे हैं, तो यह बहुत दुखद होगा।

सुनवाई के दौरान पेश स्थानीय पुलिस उपायुक्त ने कहा जब पानी आया तो वहां पर करीब 20 से 30 बच्चे थे। अचानक काफी तेजी से पानी आया। ये एक बड़ा सा हॉल था। जब ये हुआ तो वहां का लाइब्रेरियन भाग गया था। काफी बच्चे निकालने में कामयाब हुए लेकिन पानी का बहाव इतना तेज था कि शीशा टूट गया। एक टेबल के कारण भी निकलने में दिक्कत आई। वहां पर कोई बायोमेट्रिक नहीं था। डीसीपी ने कहा कि हमारा बीट कांस्टेबल भी वहां पर पहुंचा था उसके गले तक पानी आ गया था बाद में हमने एनडीआरएफ की मदद से राहत और बचाव का काम किया।

अदालत ने एसयूवी मालिक की गिरफ्तारी पर नाराजगी जताते हुए आपको उनसे माफी मांगनी चाहिए। वहीं याचिका करता हूं कि वकील ने कहा कि हमको इन पर विश्वास नहीं है। अदालत ने कहा यह विश्वास का सवाल नहीं है एक्सपर्ट को लाने की बात है।

श्रेया यादव, तान्या सोनी और नेविन डाल्विन, तीनों सिविल सेवा की तैयारी कर रहे छात्रो की 27 जुलाई की शाम को ओल्ड राजिंदर नगर में राव के आईएएस स्टडी सर्किल के बेसमेंट में बारिश का पानी घुसने से मौत हो गई थी।

भगवान हनुमान को पेश होने का आदेश

इस तरह बिहार की एक कोर्ट ने एक मंदिर के उचित प्रबंधन से संबंधित एक मामले में भगवान हनुमान को पेश होने का आदेश दिया. मगर सबसे बड़ा मामला अयोध्या में भगवान रामलला को रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद केस में एक पक्षकार बनाए जाने का रहा है. अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद में विवादित भूमि पर स्वामित्व और अधिकारों का फैसला करना शामिल था, जहां 1992 में ध्वस्त होने से पहले बाबरी मस्जिद खड़ी थी. हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों की ओर से दायर मुकदमों में भगवान रामलला विराजमान को मामले में पक्षकार बनाया गया था.

राम जन्म भूमि विवाद

मुकदमों में रामलला की ओर से भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल के परासरन ने पैरवी की थी. फैसले में रामलला को एक नाबालिग के रूप में मान्यता दी गई, जो किसी मित्र या अभिभावक के जरिये मुकदमा चलाने के हकदार हैं. रामलला को पक्षकार बनाने से विवादित जमीन के मालिक के रूप में भगवान राम के दावे पर फैसला लेने में मदद मिली. सुप्रीम कोर्ट ने उत्कल ठाकुर मामले की कानूनी मिसाल पर भरोसा किया. जिसमें अदालतों ने हिंदू मूर्तियों की न्यायिक स्थिति को मान्यता दी थी. 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने विवाद पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें भगवान रामलला के न्यायिक व्यक्तित्व को बरकरार रखा गया.

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