नारायणपुर- जिले में धान कटाई का काम जोर पकड़ने लगा है। 1010 धान के साथ अब हाइब्रिड, एचएमटी, धान देर से पकने वाली धान की कटाई भी शुरू हो गई है। किसान सुबह से शाम तक खेतों में नजर आने लगे हैं। जिले के सभी ब्लाकों के गांवों में अधिकांश किसान देर से पकने वाले स्वर्णा धान की बुआई करते है।
कुछ गांवों में जहां सिंचाई के लिए बाँध,नहर पहुंची है तथा स्वयं के सिंचाई का साधन है, ऐसे किसान समय के पहले ही धान की बोआई पूरी कर लेते है। इन फसलों की कटाई अब शुरू हो गई है। वहीं देर से पकने वाले धान की कटाई भी कुछ गांवों में शुरू हो गई है। जिला मुख्यालय के समीपस्थ ग्राम गढ़बेंगाल, बखरुपारा, गरंजी, देवगांव,महका, पालकी,बिंजली गुरिया,करलखा में धान कटाई का काम जोर पकड़ने लगा है। धान कटाई के बाद किसान ट्रैक्टर या गाड़ा से फसल को खलिहान तक पहुंचाने में जुटे हुए है। लिहाजा किसान सुबह घर से निकल रहे हैं तो दिन ढलने के बाद ही घर पहुंच रहे हैं। किसानों ने बताया कि पौधों के अधिक सूखने से कटाई में दि-तें आती है। धान के पककर तैयार होने के बाद कटाई करना उपयुक्त है। हार्वेस्टर व थ्रेसर जहां अंदर तक नहीं पहुंच पा रहे हैं वहां हाथ से ही कटाई की जा रही है।

मजदूरी बढ़ने से किसानों की परेशानी
कटाई करने वाले मजदूरों के द्वारा साल दर साल मजदूरी बढ़ाए जाने से किसान पशोपेश में हैं। क्षेत्र में बमुश्किल मजदूर मिल रहे हैं। क्षेत्र के किसानों ने बताया 200 से 250 रूपए मजदूरी चलने के बाद भी समय पर मजदूर नहीं मिल रहे हैं। किसान बताते हैं कि मजदूर शुरूवात में अपने फसल की कटाई कर लेते हैं, इसके बाद ही दूसरे के खेतों में मजदूरी करने जाते हैं। आने वाले समय में मजदूरी में और इजाफा होने की संभावना है।
दूसरे प्रांत से पहुंचने लगे हार्वेस्टर
धान कटाई व मिंजाई एक साथ करने के लिए कंबाइन हार्वेस्टर पंजाब, हरियाणा से पहुंच रहे हैं। इसमें मजदूरों की अपेक्षा सस्ते में होता है और किसान सीधे धान को खेत से खलिहान ले जाने के बजाय खरीदी केन्द्रों में ले जाते हैं। जिले के बेनूर, बिंजली, क्षेत्र में भी कुछ किसानों ने हार्वेस्टर खरीद लिया है। इसका उपयोग वे स्वयं की खेती के अलावा दूसरों के खेतों में धान कटाई व मिसाई करते हैं। हालांकि हार्वेस्टर से धान कटाई कराने पर पैरा खेत में ही रह जाता है। इससे किसानों को मवेशियों को खिलाने के लिए पैरा नहीं मिल पाता, लेकिन इससे समय व पैसों की बचत होती है। इसके अलावा इन दिनों थ्रेसर का भी उपयोग कटाई, मिंजाई में बढ़ गया है। हालांकि अभी खेतों तक पहुंचने का रास्ता नहीं मिलने व नमी के चलते हाथों से कटाई अधिक हो रही है।