Chief Minister released the book ‘Raigarh Ek Khoj’ which highlights the history of Raigarh
रायगढ़ – रायगढ़ जिले के इतिहास, सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक संरचना को एकत्रित और व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करने वाली पुस्तक ’रायगढ़ एक खोज’ का विमोचन राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने किया। यह पुस्तक रायगढ़ जिले की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर व ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को दस्तावेजीकृत करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। पुस्तक के लेखक भानु प्रताप मिश्र ने इस पहल के माध्यम से रायगढ़ के ऐतिहासिक आयामों और सांस्कृतिक वैभव को सामने लाने का कार्य किया है, जो न केवल रायगढ़ जिले बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी उपयोगी होगी।
पुस्तक का उद्देश्य और महत्व
लेखक का मानना है कि इस पुस्तक के लेखन का उद्देश्य रायगढ़ के विविध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं को एकत्रित करना है। इसमें रायगढ़ जिले के ऐतिहासिक घटनाओं, स्थानीय रीति-रिवाजों, प्रसिद्ध हस्तियों और सांस्कृतिक परंपराओं का विस्तृत वर्णन किया गया है। यह पुस्तक पाठकों को रायगढ़ के अतीत से जोड़ने का प्रयास करती है, ताकि वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर के महत्व को समझ सकें और इसे सहेजने के प्रति जिम्मेदार बन सकें।
पुस्तक में रायगढ़ की बौद्धिक चेतना, कला, साहित्य, और समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं का भी उल्लेख किया गया है। साथ ही, इसमें रायगढ़ के विकास के विभिन्न आयामों और उन घटनाओं का विस्तृत विश्लेषण किया गया है, जिन्होंने इस क्षेत्र की पहचान और संरचना को आकार दिया।
मुख्यमंत्री का संदेश
विमोचन के अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने रायगढ़ के इतिहास को संरक्षित करने और उसे आने वाली पीढ़ी तक पहुँचाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, जनसंचार के सशक्त माध्यमों में से पुस्तक एक ऐसा माध्यम है, जो ज्ञान और सूचना को दीर्घकाल तक संप्रेषित करने में सक्षम होता है। जब हम किसी स्थान के सांस्कृतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक इतिहास को पुस्तक के माध्यम से दस्तावेजित करते हैं, तो यह न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण होता है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ी को भी अपने अतीत से जोड़ता है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री निवास पर हुए इस विमोचन कार्यक्रम में रायगढ़ के प्रसिद्ध समाजसेवी व पर्यावरणविद् सुनील रामदास, चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के पूर्व प्रदेश मंत्री राजेश अग्रवाल, इंडिया सी.एस.आर. के संस्थापक व जर्नलिस्ट रुसेन कुमार आदि गणमान्य जन उपस्थित रहे।
लेखक भानु प्रताप मिश्र द्वारा किया गया प्रयास
लेखक भानु प्रताप मिश्र ने इस पुस्तक को लिखने के लिए लंबे समय तक शोध और अध्ययन किया है। उन्होंने रायगढ़ जिले के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों, प्राचीन स्मारकों, काव्य रचनाओं और लोककथाओं का गहन विश्लेषण किया है। उनके द्वारा इस पुस्तक लेखन के लिए किए गए प्रयासों से रायगढ़ के इतिहास को एक नई दृष्टि से प्रस्तुत किया गया है, जिससे लोग न केवल अपनी सांस्कृतिक जड़ों को समझ सकें, बल्कि अपनी पहचान को लेकर गर्व महसूस कर सकें।
इस अवसर पर लेखक ने आगे कहा कि यह पुस्तक रायगढ़ की पहचान और इतिहास को प्रस्तुत करने का एक प्रयास है। मुझे गर्व है कि मेरे द्वारा किए गए प्रयास से रायगढ़ का सम्पूर्ण इतिहास प्रस्तुत किया जा सका है और मैं उम्मीद करता हूं कि इस पुस्तक के माध्यम से रायगढ़ के लोग अपने इतिहास को समझेंगे और उसे संरक्षित करने के प्रति जागरूक होंगे।
पुस्तक के संदर्भ में समीक्षा और प्रतिक्रियाएँ
पुस्तक ’रायगढ़ एक खोज’ के विमोचन के बाद से साहित्यिक और सांस्कृतिक समुदायों से सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ मिल रही हैं। विशेषज्ञों और साहित्यकारों का मानना है कि यह पुस्तक रायगढ़ के इतिहास और संस्कृति को दस्तावेजीकरण का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करती है। रायगढ़ के प्रसिद्ध साहित्यकार रमेश शर्मा ने कहा, यह पुस्तक रायगढ़ के इतिहास को जानने और समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत बनेगी। इसके माध्यम से स्थानीय इतिहास और संस्कृति को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ेगी।
वहीं, रायगढ़ के प्रमुख शिक्षाविद और कवि राम गोपाल शुक्ल ने कहा, यह पुस्तक हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का बहुत अच्छा प्रयास है। रायगढ़ के इतिहास को इस तरह से प्रस्तुत करना हमें हमारे अतीत से जोड़ता है और हमें अपनी पहचान को लेकर गर्व महसूस कराता है।
इसके अतिरिक्त विमोचन के अवसर पर सुनील रामदास, राजेश अग्रवाल और रुसेन कुमार ने कहा कि यह पुस्तक रायगढ़ से रायगढ़ को परिचित करने का कार्य करेगी। क्योंकि यह पुस्तक, रायगढ़ की उल्लिखित इतिहास, लोक संस्कृति, सामाजिक बनावट, लोक कला व शैलाश्रय के महत्त्वपूर्ण पहलू आदि से पाठकों को नूतन जानकारियां उपलब्ध करायेगी।