Mahatma Jyotiba Phule Jayanti and youth-girl introduction conference concluded with great pomp
उन्नाव, महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती के अवसर पर महात्मा ज्योतिबा सावित्रीबाई फुले संघर्ष मोर्चा भारत उत्तर प्रदेश जिला कमेटी उन्नाव द्वारा भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर होली मिलन, युवक-युवती परिचय सम्मेलन और सामाजिक संगोष्ठी भी संपन्न हुई, जिसमें देशभर से आए समाजसेवियों, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय श्री मनोज कुमार सैनी, राष्ट्रीय संस्थापक एवं संयोजक (महात्मा ज्योतिबा सावित्रीबाई फुले संघर्ष मोर्चा भारत) ने कहा,
> “महात्मा फुले दंपति सामाजिक समानता, शिक्षा और सुधार के प्रतीक हैं। उन्होंने बिना हिंसा के समाज की कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष किया और सबके लिए शिक्षा की ज्योति जलाई। हम सभी को उनके पदचिन्हों पर चलना चाहिए।”
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष माननीय अनुराग माली (लखनऊ) ने की। संचालन श्री नन्हे लाल सैनी “आज़ाद कलाकार” द्वारा किया गया।
मुख्य वक्ताओं के प्रमुख वक्तव्य:
श्री बाल गोविंद माली, राष्ट्रीय अध्यक्ष (जबलपुर, म.प्र.) –
> “महात्मा फुले ने बाल विवाह पर रोक और विधवा विवाह का समर्थन कर समाज को नई दिशा दी।”
कन्हैयालाल पटेल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (रायगढ़, छत्तीसगढ़) –
> “फुले जी ने ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना कर समता पर आधारित समाज की नींव रखी।”
भवानी शंकर सैनी, प्रदेश अध्यक्ष (म.प्र.) –
> “आज समाज को संगठित होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठानी होगी।”
श्री उमाशंकर सैनी, राष्ट्रीय महासचिव (कानपुर) –
> “शिक्षा ही समाज का भविष्य है, इसी को हथियार बनाकर समाज को उठाना होगा।”
डॉ. चंदन सैनी, प्रदेश कोषाध्यक्ष –
> “भारत सरकार को महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले को भारत रत्न से सम्मानित करना चाहिए। हम इस मांग को लेकर राष्ट्रव्यापी अभियान चलाएंगे।”
सम्मेलन के अन्य मुख्य बिंदु:
समाज को एकत्रित करने और रिश्तों की सरलता हेतु परिचय सम्मेलन आयोजित किया गया।
विभिन्न राज्यों – मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, दिल्ली, महाराष्ट्र – से समाज के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की।
समाज में शिक्षा, संगठन और स्वावलंबन पर विशेष जोर दिया गया
सम्मेलन के संयोजक मनीष सैनी एवं सह-संयोजक सुरेश सैनी ने समाज को जोड़ने, जागरूक करने और शिक्षा को प्राथमिकता देने की अपील की।
अंत में, सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि यदि समाज को सच्ची श्रद्धांजलि देनी है, तो बच्चों को शिक्षित कर, समाज को आत्मनिर्भर बनाना ही सबसे बड़ा कार्य होगा।