The whole story of the fight between two judges of the High Court, Supreme Court put a stay on the order of CBI investigation, what is the matte
उच्चतम न्यायालय ने आरक्षित श्रेणी के प्रमाणपत्र जारी करने में कथित अनियमितताओं को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल पीठ के सीबीआई जांच के आदेश पर रोक लगाई. उच्चतम न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष सभी कार्यवाहियों पर रोक लगा दी और पश्चिम बंगाल सरकार एवं याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया. उच्चतम न्यायालय आरक्षित श्रेणी के प्रमाणपत्र संबंधी अनियमितता के मामले में 29 जनवरी को सुनवाई करेगा.
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बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय की ओर से साथी न्यायाधीश सौमेन सेन के खिलाफ लगाए गए ‘कदाचार’ के आरोपों पर स्वत: संज्ञान लिया. मामले को आज यानी 27 जनवरी (शनिवार) को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने न्यायमूर्ति सौमेन सेन पर इस राज्य में कुछ राजनीतिक दल के लिए स्पष्ट रूप से कार्य करने और बंगाल में एक राजनीतिक नेता के पक्ष में दूसरे न्यायाधीश को डराने-धमकाने का आरोप लगाया है.
क्या है पूरा विवाद
दरअसल कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने 24 जनवरी बुधवार को सुबह एक आदेश पारित कर पश्चिम बंगाल पुलिस से फर्जी प्रमाण पत्र के मामले से संबंधित दस्तावेज सीबीआई को सौंपने को कहा था. हालांकि हाईकोर्ट की एक दूसरी डबल बेंच ने उसी दिन जस्टिस गंगोपाध्याय के आदेश पर रोक लगा दी थी.
इस रोक के बावजूद अगले दिन जस्टिस गंगोपाध्याय की सिंगल बेंच ने अगले दिन 25 जनवरी को फिर से आदेश सुनाते हुए मामले के कागजात सीबीआई को सौंपने की अनुमति दे दी. यही नहीं जस्टिस गंगोपाध्याय ने डिवीजन बेंच की अध्यक्षता कर रहे जज सोमेन सेन पर एक राजनीतिक पार्टी के इशारे पर काम करने का आरोप लगा दिया.
इस आदेश के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ का रुख किया. इसके बाद न्यायमूर्ति सौमेन सेन और उदय कुमार की खंडपीठ ने मामले की सीबीआई जांच के एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी.
गुरुवार को न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की सिंगल बेंच ने कहा कि खंडपीठ की ओर से पारित आदेश पूरी तरह से अवैध है और इसे नजरअंदाज किया जाना चाहिए.
न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने एडवोकेट जनरल से पूछा कि कौन सा नियम एक डबल बेंच को सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने की अनुमति देता है. उन्होंने कहा कि जब इस मामले में अपील का कोई आवेदन नहीं था तो आदेश कैसे पारित किया जा सकता है.
यही नहीं, न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने अपने आदेश में खंडपीठ की अगुवाई कर रहे न्यायमूर्ति सेन पर राज्य में एक राजनीतिक दल के लिए काम करने का आरोप लगाया और कहा कि इसी वजह से न्यायमूर्ति सेन के नेतृत्व वाली पीठ की ओर से पारित आदेशों पर दोबारा गौर करने की जरूरत है.